Important Das or Anarya Kings in Rigved
ऋग्वेदीय पर्वतीय संघ के अन्य महत्वपूर्ण व्यक्ति
History of Haridwar, Bijnor, Saharanpur Part --56
हरिद्वार, बिजनौर , सहारनपुर का आदिकाल से सन 1947 तक इतिहास -भाग -56
इतिहास विद्यार्थी ::: भीष्म कुकरेती
हरिद्वार, बिजनौर , सहारनपुर का आदिकाल से सन 1947 तक इतिहास -भाग -56
इतिहास विद्यार्थी ::: भीष्म कुकरेती
दास नरेश भेदके सहायक
महायुद्ध के बाद भी पर्वतीय संघ समाप्त नही हुआ था। दिवोदास द्वारा पर्वतीय नरेशों जैसे शंबर , वर्चिन की हत्या के बाद भी पर्वतीय संघ आर्यों से बदला लेने को आतुर रहा था।
पर्वतीय संघ की कमान भेद ने संभाला। भेद के कई वीर सहायक थे। उनमे से निम्न मुख्य थे -
अज - शायद यह हिमाचल की एक जाति थी और इसकी पहचान खश जाति से की जा सकती है।
यक्षु -ऋग्वेद में यक्ष शब्द का प्रयोग पूजा , बलिदान , महोत्स्व के लिए हुआ है। शायद यह जाति खश जाति की एक शाखा थी।
शिग्रु - वेदकालीन संस्कृत शब्द शिग्रु सहजन वृक्ष के लिए प्रयोग हुआ है। शिग्रु जनो का जातीय चिन्ह प्रतीक है। अनुमान है कि वेद कालीन काल में शिग्रु जाति पंजाब , सहारनपुर , हरिद्वार , गढ़वाल हरिद्वार के भाभर -तराई , बिजनौर के तराई -भाभर तक फैली थी। पृलुस्की के अनुसार यह जाति कोलवंशी थी।
भेद एक अनार्य नरेश था जो वीर , निस्वार्थी था और अपनी पर्वतीय सर्वसत्ता को बचाने का कार्य किया। इस जाति फैलाव हिमाचल व उत्तराखंड में था।
उत्तर महायुद्ध के आर्य नरेश
सुदास -आर्य नरेश देवदास पुत्र सुदास था जिसने आर्य राज्य की रक्षा की थी।
चार दिशाओं से सुदास राज्य पर आक्रमण
सुदास पर सभी सीमाओं से आक्रमण हुए थे।
तेरह आर्य राजाओं -तुर्वस , यदु , अनु , द्रह्यु , पुरू , शिम्यु , कवष , मत्स्य , पकथ , भलानस , अलिन , विषाणी , शिव ने पश्चिम दिशा से रॉबी नदी को पार कर सुदास के क्षेत्र पर आक्रमण किया।
शत्रु को फंसा देख पर्वतीय नरेश भेद ने पूर्व दिशा से सुदास पर आक्रमण कर दिया।
एक एक कर सुदास ने आक्रमणों को रोका और जीत प्राप्त की।
भेद के चंगुल से सुदास को इंद्र ने बचाया। भेद की पराजय हुई, भेद की हत्या की गयी और सुदास ने भेद राज्य को लूटा। लूट का हिस्सा ऋषियों को भी दिया गया। और अज , यक्षु ,, शिग्रु जन ने सुदास की आधीनता स्वीकार की। हिमाचल हिस्से पर आर्यों का अधिकार हो गया। अन्य आर्य जन सुदास से पिछड़ गए।
*संदर्भ - ---
वैदिक इंडेक्स
डा शिव प्रसाद डबराल , उत्तराखंड इतिहास - भाग -२
राहुल -ऋग्वेदिक आर्य
मजूमदार , पुसलकर , वैदिक एज Copyright@ Bhishma Kukreti Mumbai, India 9 /2/2015
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