Wars between Aryas and Anaryas (Das) (History of Vedic Period )
आर्य नरेश वध्रयश्व
शक्तिशाली आर्यनरेश दिवोदास
शुष्ण का कुत्स से युद्ध
हरिद्वार , बिजनौर , सहारनपुर इतिहास संदर्भ में आर्यों व अनार्य नरेशों के मध्य युद्ध
History of Haridwar Part --54
हरिद्वार, बिजनौर , सहारनपुर का आदिकाल से सन 1947 तक इतिहास -भाग -54
इतिहास विद्यार्थी ::: भीष्म कुकरेती
हरिद्वार, बिजनौर , सहारनपुर का आदिकाल से सन 1947 तक इतिहास -भाग -54
इतिहास विद्यार्थी ::: भीष्म कुकरेती
पर्वतीय शत्रुओं से भिड़ने के लिए वध्रयश्व वंशजों ने प्रमुख रूप से भाग लिया था। अग्नि वध्रयश्व को हमेशा सहायता करती थी। वध्रयश्व ने अनार्य क्षेत्र के खेतों , वनो , घरों पर आग लगाकर स्वहा करने पर प्रसिद्धि पायी थी।
आर्यराजाओं में दिवोदास सबसे अधिक शक्तिशाली राजा था। दिवोदास के पुरोहित भारद्वाज जा अन्य कई आर्य नरेशों पर प्रभाव था। अतः आर्य दिवोदास के साथ संगठित हो पाते थे। यदि आर्य संघ न बनता तो शंबर से आर्य नही जीत सकते थे। दिवोदास का साथ कुत्स , श्रुत्र्य , तुरवीत , दभीति , ध्वसंती तथा पुरुषांत जैसे आर्य नरेशों ने दिया था। अजुर्न पुत्र कुत्स ने अनार्य पर्वतराजा शुष्ण की हत्या की थी। पुरुकुत्स दिवोदास का दाहिना हाथ था।
दास शुष्ण का पराक्रम
शुष्ण शंबर के सहायकों में सबसे पराक्रमी , युद्ध कुशल , कूटनीतिज्ञ था जिसे ऋग्वेद में मायावी कहा गया है। शुष्ण आर्य कुत्स का प्रतिद्व्न्दी था। शुष्ण के स्थाई व अस्थाई दुर्ग थे।
शुष्ण व कुत्स के मध्य कई बार युद्ध हुए जो द्योतक है कि शुष्ण व कुत्स के राज्य आस पास सटे थे। एक बार शुष्ण के पंजे में कुत्स फंस गया तो इंद्र ने उसे बचाया था। कुत्स को रणभूमि से भागना पड़ा था। अंत में कुत्स शुष्ण को पकड़ने में आर्य में सफल हो गये । ऋषियों ने इस कार्य हेतु इंद्र की प्रशंशा की।
शुष्ण को कारागार में डाला गया और इंद्र ने उसके अंडे फोड़ डाले क्रूरता पूर्वक उसे मार डाला। शुष्ण के अश्वो -गायों को लूट लिया गया। इसके बाद शुष्ण के परिवार , रिश्तेदारों और बच्चों पर भयकर अत्त्याचार किये गए।
*संदर्भ - ---
वैदिक इंडेक्स
डा शिव प्रसाद डबराल , उत्तराखंड इतिहास - भाग -२
राहुल -ऋग्वेदिक आर्य
मजूमदार , पुसलकर , वैदिक एज Copyright@ Bhishma Kukreti Mumbai, India 1/2/2015
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History of Haridwar to be continued in हरिद्वार का आदिकाल से सन 1947 तक इतिहास; बिजनौर इतिहास, सहारनपुर इतिहास -भाग 55 Vedic Period & History of Kankhal, Haridwar, Uttarakhand ; Vedic Period &History of Har ki Paidi Haridwar, Uttarakhand ; Vedic Period &History of Jwalapur Haridwar, Uttarakhand ; Vedic Period &History of Telpura Haridwar, Uttarakhand ; History of Sakrauda Haridwar, Uttarakhand ;Vedic Period & History of Bhagwanpur Haridwar, Uttarakhand ;Vedic Period & History of Roorkee, Haridwar, Uttarakhand ; Vedic Period &History of Jhabarera Haridwar, Uttarakhand ; Vedic Period &History of Manglaur Haridwar, Uttarakhand ; Vedic Period &History of Laksar; Haridwar, Uttarakhand ; History of Sultanpur, Haridwar, Uttarakhand ; History of Pathri Haridwar, Uttarakhand ; History of Landhaur Haridwar, Uttarakhand ; History of Bahdarabad, Uttarakhand ; Haridwar; History of Narsan Haridwar, Uttarakhand ;Vedic Period &History of Bijnor;Vedic Period &History of Nazibabad Bijnor ; Vedic Period &History of Saharanpur
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