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उत्तराखंडी ई-पत्रिका

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Thursday, February 19, 2015

हरिद्वार , बिजनौर , सहारनपुर इतिहास संदर्भ में ययाति युग , ययाति काल

Yayati Era / Yug  in context History of Haridwar, Bijnor and Saharanpur 

                                  हरिद्वार , बिजनौर , सहारनपुर इतिहास संदर्भ में ययाति युग , ययाति काल 
                                                 History of Haridwar, Bijnor, Saharanpur  Part  --63     

                                                                    हरिद्वार,  बिजनौर , सहारनपुर का आदिकाल से सन 1947 तक इतिहास -भाग -63                                                                                    
                              

                                                               इतिहास विद्यार्थी ::: भीष्म कुकरेती 

   नहुष - नहुष पुरुरवा का पौत्र पौत्र था जिसने इंद्र का राज्य प्राप्त किया किन्तु भृगु श्राप से स्वर्ग से गिरा दिया गया।  भृगु का आश्रम हरिद्वार के निकट उदयपुर पट्टी , गढ़वाल में था।  अतः कहा जा सकता है कि नहुष का संबंध हरिद्वार, उत्तराखंड , बिजनौर और सहारनपुर से अवश्य था।  नहुष ने उत्तराखंड में यमुना किनारे यज्ञ किया था (वनपर्व , १२९/३ महाभारत ) 
ययाति - ययाति एक दिग्विजयी सम्राट था और कहा जाता है कि वह जम्बूद्वीप का सम्राट  था । इससे भी साबित किया जाता है कि ययाति का प्रभाव हरिद्वार , उत्तराखंड , बिजनौर और सहारनपुर पर था। 
ययाति ने शर्मिष्ठा व देवाइनी से विवाह किया और उनसे पांच पुत्र हुए - यदु , तुर्वसु , अनु , द्रह्यु तथा पुरू।  ययाति ने अपना राज्य निम्न भागों में सभी पुत्रों को बाँट दिया था। 
प्रतिष्ठान में - पुरू के वंशज पौरव 
गुजरात काठियावाड़ - यदु वंशज -यादव 
रेवा क्षेत्र - तरवसु के वंशज 
चंबल से यमुना तक - द्रह्यु वंशज 
उत्तरपांचल , उत्तराखंड - अनु वंशज /याने हरिद्वार , बिजनौर और सहारनपुर समेत उत्तराखंड में अनु वशज 
कान्यकुब्ज 
काशी 
अनु के समय चंद्रवंशियों के उपरोक्त सात राज्य हो चुके थे। 
इक्ष्वाकु वंशियों का राज्य अयोध्या क्षेत्र में था। 
ययाति काल में कई ऋषि हुए उनमे भृगु ने उत्तराखंड में भृगु श्रृंगी  तपस्या की थी।  शायद  भृगुखाल , उदयपुर ,पौड़ी गढ़वाल था। (वनपर्व ९०/२३ ) 


** संदर्भ - ---
वैदिक इंडेक्स
डा शिव प्रसाद डबराल , उत्तराखंड  इतिहास - भाग -२
राहुल -ऋग्वेदिक आर्य
मजूमदार , पुसलकर , वैदिक एज 
घोषाल , स्टडीज इन इंडियन हिस्ट्री ऐंड कल्चर 

Copyright@
 Bhishma Kukreti  Mumbai, India  19 /2/2015 

Contact--- bckukreti@gmail.com  
History of Haridwar to be continued in  हरिद्वार का आदिकाल से सन 1947 तक इतिहास; बिजनौर इतिहास, सहारनपुर इतिहास  -भाग 64 

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