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Thursday, February 12, 2015

दिल्ली चुनाव का - सिरफ़ विदेशी निवेश से विकास होगा पर झन्नाटेदार झापड़

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                  दिल्ली चुनाव का  सिरफ़ विदेशी निवेश से विकास होगा पर झन्नाटेदार झापड़ 

                                विमर्श - भीष्म कुकरेती  

 . हालांकि हरेक चुनाव अलग अलग कथा बयाँ करद अर अग्वाड़ी हरेक चुनाव परिणामो भविष्यमा अलग अलग परिणाम आंदन।  किन्तु फ़रवरी 2015 कु  दिल्ली चुनाव कुछ अभिनव इ छौ।  2009 कु सिक्किम विधान सभा चुनाव परिणाम का जन ये टैमो दिल्ली चुनाव परिणाम ऐ।  
मोदी विजय रथ का सब अंजर पिंजर टुटि गेन अर कॉंग्रेसक त रथ का टुट्यां टुकड़ों कखि पता नी च। 
यु चुनाव कुछ हौर दिशा तरफ अंगुळि  बि उठाणु च अर समाज व राजनीतिज्ञों तैं एक साफ़ संदेश बि दीणु च। 
सबसे पैल त यु चुनाव बथाणु च कि इंदिरा गांधी अर नरेंद्र मोदीक संगठन पर एकाधिकार वाळ मॉडल हरेक पार्टी का वास्ता घातक हूंद अर कुछ हद तक कार्यकर्ता हाई कमांड की हेकड़ी सौंद पर अंत मा प्रजातांत्रिक हिस्सेदारी ही पार्टी तैं जितांद , ज़िंदा रखदि। 
दिल्ली विधान सभा चुनाव से यु साबित हूणु च कि जनता असमजस मा च तबि त नौइ मैना मा भाजपा पर या विपदा आइ। 
जनता मा असमजस्य विकास तैं लेक च।  जब जनता दिखदि कि विकास से मुकेश अम्बानी मुंबई मा अपकुण , एक परिवारौ कुण दस मंजिला घौर बणाणु च किन्तु आम जनता मुंबई मा एक झोपडी खरीदण लैक नी च।  असल मा जनता मनमोहन  सिंगी  विकास मॉडल पर प्रश्न चिन्ह लगाणी च अर विकल्प का खोज मा आठ मैना पैल नरेंद्र मोदी तैं हीरो बणान्दी अर नौ मैना मा वै नरेंद्र भाई तैं धूल बि चटै दींदी।  असमजस्य तो सारा भारत मा च कि क्या विकास प्राइवेट कम्पनी ही करवै सकद ? क्या सरकार तैं निठल्ला    ही रौण ? जब अरविन्द कजीरवाल  ऐंड कम्पनीन ब्वाल कि उंकी सरकार दिल्ली मा बीस सरकारी  कॉलेज ख्वाललि तो जनतान केजरीवाल पर विश्वास कार अर प्राइवेट कॉलेज ही सही शिक्षा दे सकदन  सिद्धांत तैं नामंजूरी दे दे। 
जो जनता मा सबसे बडु असमजस्य च व च विकास मॉडल कु रूप। 
16 मई से लेकि नरेंद्र मोदी  का हरेक पग यु बताणु च कि नरेंद्र मोदी समजद कि भारत का विकास केवल विदेशी निवेश से ही ह्वे सकद।  जनता कु प्रश्न च माना कै तरह से विदेशी निवेश नि आंद तो विकास बंद ह्वे जालु क्या ?
 मोदी से जनता सवाल करणी च कि ठीक च विदेसूं से निवेश जब आल तब आल पर भारत मा सब जगा स्माल स्केल इंडस्ट्री अर मिड स्केल इंडस्ट्री बंद पड़ीं छन ऊंक क्या ह्वाल ? नरेंद्र मोदी सरकारन आज तक स्माल स्केल इंडस्ट्री का बारा मा विजन तो छोडो विजन लाणो क्वी बात नि कार। स्माल स्केल इंडस्ट्री से ज्यादा रोजगार पैदा हूंद अर पूंजी व लाभ वितरण मा समानता का आसरा रौंद।  जब कि मनमोहन मॉडल जैक पिछलगु नरेंद्र मोदी बि च मा देस की जमीन, आस्मां अर जल पर अम्बान्युं , जिन्दलुं अधिकार ह्वे जांद। 
जनता तैं पता च कि भारत से भ्रस्टाचार कम नि ह्वे अर नरेंद्र मोदी तैं पड़ीं  बि नि कि जनता भ्रस्टाचार से निजात चाणि च। 
दिल्ली क चुनाव राजनीति मा क्या ह्वे सकद पर बि प्रश्न खड़ा करद।  पर म्यार विषय विकास च तो विकास पर ही ध्यान रालु।  दिल्ली वाळुन नरेंद्र मोदी तैं पूछ कि ठीक च विकास एक दिन मा नि हूंद पर बताओ तो सही कि रस्ता क्वा च जै पर नरेंद्र मोदी चलणु च। क्वी ब्लू प्रिंट त बताओ !
नरेंद्र मोदी इंडिया ब्रैंडिंग जोरों से करणु च यां पर कै तैं ऐतराज नी च पर जनता कु सवाल कि हमकुण क्या हूणु च पर जब जबाब नि मिल्दु तो जनता भाजपा की छिछलेदारी करण से बि नि चुकदि ।    
मीडिया अब सामन्य जन तैं बि उपलब्ध च तो सामन्य जन तैं अब सरकार की मनशा , सरकार का उठायां कदम , सरकार क्या करणी च की सब जानाकरी उपलब्ध च तो अब बेवकूफ बणाण जरा कठण च। काम कु परिणाम कुछ भी हो पर भाजपा सरकारन अबि तक यु नि बताई कि या सरकार करणी क्या च ? हाँ मीडिया का बदौलत यु पता त लगणु च कि भारत मा विकास का वास्ता हिन्दुओं तैं चार बच्चा पैदा करण आवश्यक च अर बगैर धर्मांतर का विकास ह्वेई नि सकद। 
  एक प्रश्न जो अब तक अन्नुत्तरित च अर वा च विकास को मतबल क्या या च कि मुकेश अम्बानी का घर दस मंजिला अर दुसरो कुण एक झोपडी बि ना !
दिल्ली चुनाव परिणाम बताणु च कि जनता का रुझान कम्युनिज्म की तरफ ढळकेणु च।  हाँ यु कम्युनिज्म इंडियन कम्युनिस्ट पार्टयूं तर्ज पर ना किन्तु महान अशोक से पैलक गणतंत्र का हिसाब से हूण   चयेंद। 
उन त दिल्ली का चुनाव कथगा इ प्रश्न खड़ा करणु च पर सबसे बड़ो सवाल च कि विकास कु कु मॉडल सही च ? 


11/2 / 15 Copyright @  Bhishma Kukreti , Mumbai India 
   *लेख की   घटनाएँ ,  स्थान व नाम काल्पनिक हैं । लेख में  कथाएँ चरित्र , स्थान केवल व्यंग्य रचने  हेतु उपयोग किये गए हैं।
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