Vithya Poojan mantra: A
Popular Folk Rite/Traditional Ritual of Garhwal for curing, healing various Fevers
and other Diseases
Notes on Folk Rite/Traditional Ritual
of for curing various Fevers and other Diseases; Asian Folk
Rite/Traditional Ritual for curing ,Healing
various Fevers and other Diseases; South Asian Folk Rite/Traditional
Ritual for curing, Healing various
Fevers and other Diseases; SAARC Countries Folk Rite/Traditional Ritual for curing,
Healing various Fevers and other Diseases; Indian Subcontinent Folk
Rite/Traditional Ritual for curing, Healing
various Fevers and other Diseases; Indian Folk Rite/Traditional Ritual for curing, Healing various Fevers and other
Diseases; North Indian Folk Rite/Traditional Ritual for curing, Healing various Fevers and other
Diseases; Himalayan Folk Rite/Traditional Ritual for Healing various Fevers and other
Diseases; Mid- Himalayan Folk Rite/Traditional Ritual for curing, Healing various Fevers and other
Diseases; Uttarakhandi Folk Rite/Traditional Ritual l for curing, Healing
various Fevers and other Diseases; Folk Rite/Traditional Ritual popular in Kumaun
for curing, Healing various Fevers and other Diseases; Folk
Rite/Traditional Ritual popular in
Garhwal for curing , Healing various Fevers and other Diseases
विभिन्न ज्वर, बीमारी
चिकित्सा मंत्र', एशियाई
विभिन्न ज्वर,बीमारी
चिकित्सा मंत्र', दक्षिण
एशियाई विभिन्न ज्वर,बीमारी
चिकित्सा मंत्र', सार्क
देशीय विभिन्न ज्वर,बीमारी
चिकित्सा मंत्र', भारतीय
उपमहाद्वीपीय विभिन्न ज्वर,बीमारी
चिकित्सा मंत्र', भारतीय
विभिन्न ज्वर,बीमारी
चिकित्सा मंत्र', उत्तर
भारतीयविभिन्न ज्वर,बीमारी
चिकित्सा मंत्र', हिमालयी
विभिन्न ज्वर,बीमारी
चिकित्सा मंत्र', मध्य
हिमालयी विभिन्न ज्वर,बीमारी
चिकित्सा मंत्र', उत्तराखंडी
विभिन्न ज्वर,बीमारी
चिकित्सा मंत्र', कुमाऊं
में प्रचलित विभिन्न
ज्वर,बीमारी चिकित्सा
'विथ्या पूजन मंत्र',
गढ़वाल में प्रचलित
विभिन्न ज्वर,बीमारी
चिकित्सा 'विथ्या पूजन
मंत्र' लेखमाला
The following
folk rite or traditional ritual is an example of folk medical facilitation,
traditional way of curing or healing various types of fever or diseases were
popular in Kumaun and of Garhwal, Himalayas. Vithya poojan mantra is a folk
rite for to cure fevers or other disease performed by Mantrik. Mantrik does
perform other tantric ritual along with chanting folk rites for curing fevers
or other diseases. The following folk rite or traditional ritual popular in
Garhwal and Kumaun for curing fever or other diseases seems to be quite new as
the folk rite for curing fevers is having Garhwali phrases especially verbs.
The subject of Ramayana in the traditional way of curing fever or folk rite for
curing fever or diseases also prove that
the folk rite or traditional way popular in Garhwal for curing fever or other diseases is newer
version. The subject of Ramayana or hanuman in mantras came very late after popularization
of Ramcharitmanas by Tulsidas and Hanuman Chalisa.
कुमाऊं -गढ़वाल में प्रचलित विभिन्न ज्वर,बीमारी चिकित्सा 'विथ्या पूजन मंत्र'
Vithya Poojan
mantra: A Popular Folk Rite/Traditional Ritual of Garhwal for Healing various
fevers and other Diseases
ओउम नमो आदेश माता पिता गुरु देवता को आदेशा गुरु को जुहारा विद्या माता को नमस्कारा, प्रथम देवी सावरी भई , सावर कि समुंद्री भई , समुद्र कि नील भई, नील कि अनील भई , अनील कि आमी भई, आमी कि चामी भई, चामी का चौवन से चेड़ा बावन भूत ले सूर्ज देवता को छल करणा लायो, ताल बेताल को महिपाल, महिपाल को राजा अजैपाल , राजा अजैपाल को विजैपाल , विजैपाल कि इजली विजली द्वी राणी छना,तानो राणी यों को कौं कौं पुत्र भयो, पहले लोचडिया , दूजो दाद्रिया जर भयो, तीजो तेतरिया जर भयो, चौथा चौथिया जर बह्यो, पांचो इकुन्द्रिया जर भयो, छटो मण मसाण जर भयो, सातो सतजर भयो, आटों अठेलिया जर भयो, नौ नकुवा फेकुवा जर भयो, दशों दारिरिया जर भयो, अग्यार्हो अग्निजर भयो, बारो भटलिया जर भयो, तेरो तेतरिया जर भयो, चौदा चौंडिया जर भयो, पन्द्रो कांपतो जर भयो, सोलों पहलदों जर भयो, स्तरों सुनजर भयो, अठारों वेसुन जर भयो, उन्नीसों उनादों जर भयो, बीसों बिशवा जर भयो, इकीस्वान इकुन्द्रिया जर भयो, सरोदिया जर भयो, तब भयो ताई जर, वै जर, सीट जर, पीत जर, धौकलिया जर, फीलिया जर, पति जर, कुपति जर, बिषम जर, सरोदिया जर, भयो, भटालिया जर, लोमड़िया जर, दमडिया जर, थीलिया जर, कांस्दो जर, थरदो जर,लीन्ड़ो जर, लोच्दdiया जर, सुन जर, वेसुन जर, घोर जर, अघोर जर, बैणताई जर, भड़मौड़ा जर, ह्ल्दो जर, सिल्कुंदो जर, सीन्दो जर, निसीन्दो जर, रामदो जर, कंदों जर, भटक जर, भटलिया जर, एकजरी यकजरों, दुजरो ,तिजारी, तिजरो, चौथा, छठी, जर भयो, ये भाया सात सो जर, पुत्र भयो तह भयो, अठोत्र सौ फोड़ी बारह सौ बयालीस नौ सौ निन्नाबे छल को बाण, छिदर को बाण, मणो मासाड़ को बाण, खांदी विथ्य, काटती विथ्य, मुंड को मुंडारो, पेट को तलवारों, छल छिद्र को बाण, अन्डो पिया का बाण, फोड़ी लोच्ड़ी, सीतला, तोतला, म्ज्याली, विकराली, इसली, विशली, सुन केला, मेग माला मी जटाक पूरी हिंदु तुर्खणि वेदु बामणी, माल कि मसाड़ी, परवत कि सोकी, गोला बामणी डांड की डांकणी, पातळ की कांगनी थल की जोगड़ी, राड़ी पाड़ी हिंदु तुरखणी , मुसल्वानी, वेदु बामणी, खस खातणी ,राक्सणी,, भोकसणी, तुम जैल्या देंती मसाणी, चौकी चरणी फूल माला ठकुराणी, हाड की हाड फोड़ी , मांस की मांस फौड़ी, रक्त की रक्त फोड़ी, सीन्दी की सीन्दी फोड़ी, गोरी फोड़ी काली फोड़ी, लूली फोड़ी, अड़ती बहड़ती, जल भूत, थल भूत, मण सर धुंवा, अगासर धुंवां , पाताळ रथुवा, पाई रथुवा, वर्ण रथुवा, लर रथुवा, छिद्र रथुवा, आई लगोट रथुवा, जाई पड़ोड़ रथुवा, सुन बाण, बेसून बाण, घोर बाण, अघोर बाण, डैणी डाकणी , चूडा चमारी, कुक्माला ठकुराणी, देशी, लंका की लंकावळी छवा, लंकागद होई आवा, जंहा हनादे नाचदा छना, पसोरा वाजदा छना, ताल मंदीर गांदो छना , अस्तरे लड़ छडे छना, पंक दुकार्न्दे छना, आई बाजी दुई सेल छना, ऊंके आँखें भेरिया सैणी मंदे होई जावा, हिडी गई मिया भूमि देखी , जांखी जांखीजूसू का छना, घोड़ी का घुड़ ल़े छना, ताई होई जा, हाथी चुक हलका छना, घोड़ी कि सूंड ल़े दूजो रातो लाणे, तातो खाणो छना, ताजो तुरखण मा चढ़दा छना,ए देश होई जावा, ऊचो लाणो छ , पूंछो खाणो छ, सात सतनाजों को दैज्यो दिऊलो, डडी अंगार लाल पिंगली पिटाई कि वानी दिऊलो , भट्ट भगुली का खोजा दिऊलो, यकतालो रोट दिऊलो, पांच कैणास शहर दिऊलो , बारह फूल का हार दिऊलो, पाणी कि धार दिऊलो, बोल बचन कि कार दिऊलो, तेरी भेणी कार करी जूलो, मोरा बाँधी जूलो, खब हलवाई लंका बार बांदी दिलो, लंका सारी गढ़ बीच समोदर सारी करवई, नीचा तह होई जा, बैणी तेरा भट वारी ता जाई, नि त माता का घर सोत्या ली होई जा, पिता दशोगिरी घर घरवाली होई जावा, काका कुम्भकरण का पाप जाई, मामा कंससुर का पाप जाई, कनक पहली का पाप जाई, कि कुवा ठोली का पाप जाई, कौड़ीया बेताल का पाप जाई , चोली पडिया का पाप जाई, नौ सयणो का पाप जाई, दस दैत्यों का पाप जाई, लंका का लंका पतियों का पाप जाई, लंका फ़ोणी राम दुहाई, लक्ष्मण जाती कि जयकारा है जावा, लंका का बान इस पिण्डा पर रहिता शिव शक्ति इश्वर पार्वती तेरी आण, गौरजा गणेश तेरी आण , इतना उपरान्त सांख करीता संघा सो गरड कि कार पढ़ी, गरड तो बाबा कहा पैसदा छना, बालू समुन्दर, नीला समुद्र , तालू समुद्र, रत्नागिरी समुन्द्र महादूंदी समुन्द्र , फीणी समुन्द्र , खीरी समुन्द्र , गली समुन्द्र , सात समुन्द्र हसदा छना, तानो गणों कि कार लीन्दा छना, टे गढ़ तो बाबा कहाँ बैसदा छना, सिर बैस्दा छना, सिर की विथ्य टू टू टू फोड़दा छना, नंगो नंगो फोरदा छना, पंखी पख्यो झड़दा छना,
झूड़ी घाली शक्ति पाताल मार विथ्या झड़, विथ्या मरीजा , विथ्या उठाई जा, विथ्या विलाई जा, विथ्या कुघर को वासो, जिय को नासो, ये देश छोडि दे परदेश होई जा इस पिण्डा छोडि दे . भैणी का लंका गढ़ मा अहिरावण , कुलाण लागो तेरा हाथ से कपासणी जूडी न तू भैणी लंका बुलाई, तू जा जा भैणी लंका का बार लंका गढ़ होई जाय , फोर मंत्र इश्वरो वाच्य
References:
Mantra
from Garhwal source: Dr Nandkishor Dhoundiyal, Dr. Manorama Dhoundiyal Garhwali
Lokmantra (ek Sanklan)
Himadri
Prakashan, Kotdwara
Collected
by
Sandeep
ishtwal, Isodi, Mavalsyun, Pgarhwal,
DhairyaRam
Baudai , Bharpoor, Sabali, P Garhwal
Girish
Chandra Dabral, Dabar, Dabralsyun, P.Garhwal
Keshvanand
Maindola, Sidhpur, Rikhnikhal, P Garhwal
Ghuttaram
Jagri, Bilkot, Nanindandaa, P Garhwal
Dharma Nand
Jakhmola’s collection (Jaspur, Dhangu, Garhwal)
Abodh Bandhu Bahuguna,
(gad matyeki Ganga, Kaunli Kiran, Shailvani)
Dr Vishnu Datt
Kukreti (village-Barsudi, Langur, Garhwal) Gorakhpanth
Copyright@ Bhishma
Kukreti
Notes on Folk
Rite/Traditional Ritual of for curing various Fevers and other Diseases; Asian Folk
Rite/Traditional Ritual for curing ,Healing
various Fevers and other Diseases; South Asian Folk Rite/Traditional
Ritual for curing, Healing various
Fevers and other Diseases; SAARC Countries Folk Rite/Traditional Ritual for curing,
Healing various Fevers and other Diseases; Indian Subcontinent Folk
Rite/Traditional Ritual for curing, Healing
various Fevers and other Diseases; Indian Folk Rite/Traditional Ritual for curing, Healing various Fevers and other
Diseases; North Indian Folk Rite/Traditional Ritual for curing, Healing various Fevers and other
Diseases; Himalayan Folk Rite/Traditional Ritual for Healing various Fevers and other
Diseases; Mid- Himalayan Folk Rite/Traditional Ritual for curing, Healing various Fevers and other
Diseases; Uttarakhandi Folk Rite/Traditional Ritual l for curing, Healing
various Fevers and other Diseases; Folk Rite/Traditional Ritual popular in Kumaun
for curing, Healing various Fevers and other Diseases; Folk
Rite/Traditional Ritual popular in
Garhwal for curing , Healing various Fevers and other Diseases to be
continued….
विभिन्न ज्वर, बीमारी
चिकित्सा मंत्र', एशियाई
विभिन्न ज्वर,बीमारी
चिकित्सा मंत्र', दक्षिण
एशियाई विभिन्न ज्वर,बीमारी
चिकित्सा मंत्र', सार्क
देशीय विभिन्न ज्वर,बीमारी
चिकित्सा मंत्र', भारतीय
उपमहाद्वीपीय विभिन्न ज्वर,बीमारी
चिकित्सा मंत्र', भारतीय
विभिन्न ज्वर,बीमारी
चिकित्सा मंत्र', उत्तर
भारतीयविभिन्न ज्वर,बीमारी
चिकित्सा मंत्र', हिमालयी
विभिन्न ज्वर,बीमारी
चिकित्सा मंत्र', मध्य
हिमालयी विभिन्न ज्वर,बीमारी
चिकित्सा मंत्र', उत्तराखंडी
विभिन्न ज्वर,बीमारी
चिकित्सा मंत्र', कुमाऊं
में प्रचलित विभिन्न
ज्वर,बीमारी चिकित्सा
'विथ्या पूजन मंत्र',
गढ़वाल में प्रचलित
विभिन्न ज्वर,बीमारी
चिकित्सा 'विथ्या पूजन
मंत्र' लेखमाला जारी
…
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