Notes on Folk Rites/Folk
Rituals for Worshipping Fairies in Culture; Folk Rites/Folk Rituals for
Worshipping Fairies in Asian Culture; Folk Rites/Folk Rituals for Worshipping
Fairies in South Asian Culture; Folk Rites/Folk Rituals for Worshipping Fairies
in SAARC countries Culture; Folk Rites/Folk Rituals for Worshipping Fairies in Indian
subcontinent Culture; Folk Rites/Folk Rituals for Worshipping Fairies in Indian
Culture; Folk Rites/Folk Rituals for Worshipping Fairies in North Indian Culture;
Folk Rites/Folk Rituals for Worshipping Fairies in Himalayan Culture; Folk Rites/Folk
Rituals for Worshipping Fairies in Mid Himalayan Culture; Folk Rites/Folk Rituals
for Worshipping Fairies in Uttarakhandi Culture; Folk Rites/Folk Rituals for
Worshipping Fairies in Kumauni Culture; Folk Rites/Folk Rituals for Worshipping
Fairies in Garhwali Culture
परी संतोष हेतु पूजा मन्त्र, परी संतोष हेतु एशियाई पूजा मन्त्र, परी संतोष हेतु दक्षिण एशियाई पूजा मन्त्र, परी संतोष हेतु सार्क देशीय पूजा मन्त्र, परी संतोष हेतु भारतीय उपमहाद्वीपीय पूजा मन्त्र,परी संतोष हेतु भारतीय पूजा मन्त्र, परी संतोष हेतु उत्तर भारतीय पूजा मन्त्र, परी संतोष हेतु हिमालयी पूजा मन्त्र,परी संतोष हेतु मध्य हिमालयी पूजा मन्त्र,परी संतोष हेतु उत्तराखंडी पूजा मन्त्र,परी संतोष हेतु कुमाउनी पूजा मन्त्र,परी संतोष हेतु गढ़वाली पूजा मन्त्र, लेखमाला
It is
believed in Garhwali and Kumauni culture that Fairy may also harm. Therefore,
there are many Fairy worshiping folk rites or folk rituals for satisfying
Fairies in Garhwali and Kumauni cultures. The following folk rite/folk ritual
is also popular in Garhwali culture. The folk rite or folk ritual is definitely
created by a Garhwali folk poet as the folk rite/folk ritual is mixture of Garhwali,
Braj and Awadhi languages. The folk rite/folk ritual for worshipping fairies describes
many castes and many places of Garhwal. The folk rite/folk ritual about
worshiping fairies is in rhyme format and having And Upma alankar (repeated
words and comparison figure of speech). The mantra or folk rite/folk ritual is
definitely new as the words Pauri and Achar suggest that the folk rite is
created after British came to Garhwal.
रान्सो (अन्छेरी पूजन) मन्त्र
Ranso Mantra (Anchheri Puja mantra):
A Garhwali Folk Rite/Folk Ritual for Worshipping Fairies
श्री गणेशाय
नम: , ओउम नमो
गुरु को आदेश:,
पाये भरी पोतली
भरी, जग भरी,
जंगेली भरी,कौजु
की धियाणि, थर
थर कांपे, जाय
जाय देवी तुमको
नमस्कार, अचल दस देवराड़ी, दस
रंगी बीस भुजा,
जाय जाय देवी
भगवती, जसदेई, जसवंती,
नागलोक, सागलोक, उंचा
गढ़ लंका, जलमण
भयो, श्रावण माकौ
भ्या टंकार, माहामारी, माग्तानी भरे,
इस पिण्डा की
रक्षा करदी जाई:माता कालिनका तुमकू
जै जैकार, बावन
मृगवाले:चार्सम करये: तन्हां
को गौरी देवी
करै विचार, उत्रागढ़ लंका
पार: ते लंका
पार: ते
वै लंका
गयी, ते लंका
ते चढ़ी, ते
लंका ते उतरी
गै , देवी अकरी
गै पार, तब
पैडूळ पड़ी, कौन
गडी कौन मड़ी
, इश्वारण गड़ी , पारवती ने
मड़ी, तहां मूक
क मन का
न भया, छयासी
छिद्र भया, बयासी
बयाली भई, नौ
सेनानी ऐना, उंचाई
बाल, निस्सा पातळ,
संकचूड: ब्रह्म्खत्री: सियालो
ग्वालो, खबर-थबर,
तु वकीयाली, धर्मगण
लीणों औतार, देवतों,
नौ सेनानी ऐना,
चलण लागी, कंसासुरी बाजा
बजण लागो, सीयुं
परिवार वासुकी नाचण
लागो: आंख्युं अन्कारो मरिगो;,
कंदुड़ परी भारिगो
पिट्ठी, पीठी का
शाल भयो, पीठी
को पखालो भयो:,
बारा सांई छना
, ले छना माता
रे आछरी विचालदी छना,
रमोले, खपोले, (कफोले)
, घुरदौड़े, कण्डा ने छ्या,
बंगाने बर्त्वाल्यो छयो:,
खुड्या चौवान छया,
पवाने पोखरियाल छया,
रिंग्वाडा बुटोल्या छया, बागुड्या चौड़यालु के
धीएणी छई, रौथाणे
नौ को धियाणे
छया, तडयाल्या उम्राऊ
के धिये छया,
कुमाऊं की कुमैणी
छया, ढौंड की
धौंडीयाली छया, बाटल्या साबल्या छया,
जोनल की विश्वर्ग्या जुपल्या छई,सीर्नग्र्या नैथाणी छया, जसयाणो
उन्याला छया, बुधराया कुकरेणी छ्या,
सिरतोल्या गैरोल्या छया, खुगस्यालेया खड़योल्या छया,
बारा जाती छतीस
पौन की अन्छेरी छयी,
अठारह वर्ण देवियों; राजा
मनुसाई की सार्दुला , तलबी
की भित्रा रैंदी
छया, कमलौ का
बीच : बदाक्युं का
मोरा, व सीपड़यूँ का
बीच, वाखी भयो
औतार:देवियों , पैल
औतार देवियों हरि
हरद्वार, दुजो औतार बदरी
का बार;, तीजो
औतार तिरजुगी नारायण,
चुथा औतार चौखम्बा बदरी,
पांचो औतार पंचकेदार भयो,
छठो औतार देवियों: छ्टासी
भैरव भयो, सातों
औतार देवियों: सतनात
का घर, आठों
औतार देवियों अष्टभुजा देवी
क घर, नौंऊं
औतार नौकुली नागों
का घर, दासों
औतार देवियों: दसुअग्री रावण
का घर.
मांग भोरी
जा बैणी, मुंडले
क्न्गेला: स्योंद लगी डोल्या
वैरायों धौलि सी फाट,
भेंटुले बौन्दिल्या बजी सी पात:छडयाली सिंदूर दिऊलो,
गाजल दिउलो, सिरकी
बिंदी दिउलो, नाक
की बुलाक दिउलो,
अणोट की बिछुआ
दिउलो, टाटू की
सोन माला दिउलो,
पेरू जामा घुंघुरू दिउलो,
बाजूबंद चूड़ी दिउलो, आरसी
मुंदड़ी दिउलो, डब्बे की
सिंदूर दिउलो, श्रीफल
की चूड़ी दिउलो,
सिर की च्यूंट
दिउलो, सान्कुरी दिउलो,
मखमल की आंगी
(अन्गुड़ी ) दिउली, लोसदी (घिसटती)
घाघरू दिउलो, कुम्मयाँ साज
का कपड़ा दिउलो,
बारा जाती फूलूं
क हार दिउलो,
सेता सितराज दिउलो,
रातो (लाल) मखमल
दिउलो, पिंगली फ्यूंलड़ी दिउलो,
रतुवा बुरांस दिउलो,
सेमल फूल दिउलो,
बासमती च्युडा दिउलो,
बुरजी का रोट
दिउलो, दक (लाल)
दलम्या दिउलो, नारंग
नारकेल दिउलो, छोलक
(बड़ा) बिज्वर्या दिउलो,
बारा जाती का
फल दिउलो, पायें
पोट्या दिउलो, दस
अँगुलियों बीस मुंदडियाँ दिउलो,
हाडसारा कंघी दिउलो.
बिब्द्राबण में
बैणियों ग्वालने छया, गोकुल में
बैणियों गोप गण छया,
श्रीकृष्ण राधा छया, इंद्र
को अखाड़ा मोया
, ब्रह्मा को वेद मोया,
विष्णु को ध्यान
मोया, महारुद्र कि
जटा मोया, रिखेश्वर को
ज्ञान मोया, माने
कि मेष मोया,
दुनिया का ख्याल
मोया, तुमरो मन
लागो देवियों तब
आया बैठा माने
(मंडप ) का बीच,
कांठा सी सूरज
चलदा छन, स्वर्गा सी
बिजली चमकदा छ्या,
रुंवा सी पोरु
उडदी छ्या, पौरो
सी ठनकरदी छया,
पवन सी मेघ
छ्या, आषाढ़ सी
औडल उड़द छ्या,
होवर सी ह्युंचड़ो फेर्दी
छया, पाताळ सी
पोतली उड़दी छया,
कुमाळी सी ठाण
चलदी छया, डाँडो
कि मबूराडी व्यवरंदी छया,
बड्यार दी छया,
ज्ञान को पाटो
रैंदा छया, पंचरंगा फूलूँ
पै रैंदा छया,
बुरांसी फूल चलदै छया,
सेमल का फूल
चुग्दी छया, जबाड़ी
बाडील्यूं रंदा छया.
ढुंगी का
रावण बैण, डोली
कठिया बुला, निर्धन
धन देला, ओत
पुत्र देला, कुंवारा बैऊ
देला, गग्दर मोलो
अग्वानी चाकर देला, तुमारो
मदन पदों हौन्सिया वैक
तुमारो, जीतू बगडवाल
डोली कठियालो जस
दियां खैंट कि
आन्छ्रियों , पिंड्यों कि मायादारो ढौंड
की ढौंडियाल्यो, बैरी
की दौड़ाई छया,
देवियाँ, हतियार की मारिया
छया, आग की
डांडियाँ छ्या, भैल की
लोटियाँ छयां, गाड की
बोगीयीं छ्याँ, देब्यों इसका
या पिण्डा छोड़
देऊ देब्यियुं, और
पिण्डा होई जावा,
लादूला बसा की
पूजा द्युंल भट
,भांग, खाजा द्युंल,
सात मन नाजा
कू दैजा तेरा
घोड़ियों को द्युन्लू , पूरी
कचौड़ी द्युन्लू , छौरा
बदाम द्युन्लू, आम
अचार द्युन्लू, फेणे
जल द्युन्लू,पंच
भात की पूजा
द्युन्लू, जा जा बैणी
कुमाऊं का बण
जा बद्री का
कांठा होई जा,
लाल उत्तीस बा
होई जा, नेपाल
गढ़ होई जा,
सीपण बस होई
जा, भितइ का
सेमल होई जा,
पौड़ी का पीपल
होई जा, चौरा
का डांडा होई
जा, खिर्सू का
सैण होई जा,
सोमिनाथ थाल होई जा,
भद्र का डांडा
होई जा, हरिकुंद होई
जा, ऊंचा गढ़
लंका कोण होई
जा, सब समोदर
होई जा, गंगा
भागीरथी का छाला होई
जा, सिराल्सुर श्रीकांत का
मंडल होई जा
.
खाणी जी नी
जै त नौरता
की पूजा णी
पायी , माता मंदोदरी की
डूडी नी पाई,
पिता रावण की
आण पड़े , भाई
इन्द्रजीत की आण पड़े,
काका कुम्भकरण की
आण पड़े , बड़ा
भवेरावण (विभिसन) की आण
पड़े , फोर मन्त्र
इश्वरो वाच्या.
References:
Mantra
from Garhwal source: Dr Nandkishor Dhoundiyal, Dr. Manorama Dhoundiyal Garhwali
Lokmantra (ek Sanklan)
Himadri
Prakashan, Kotdwara
Collected
by
Sandeep
ishtwal, Isodi, Mavalsyun, Pgarhwal,
DhairyaRam
Baudai , Bharpoor, Sabali, P Garhwal
Girish
Chandra Dabral, Dabar, Dabralsyun, P.Garhwal
Keshvanand
Maindola, Sidhpur, Rikhnikhal, P Garhwal
Ghuttaram
Jagri, Bilkot, Nanindandaa, P Garhwal
Dharma Nand
Jakhmola’s collection (Jaspur, Dhangu, Garhwal)
Abodh Bandhu
Bahuguna, (gad matyeki Ganga, Kaunli Kiran, Shailvani)
Dr Vishnu Datt
Kukreti (village-Barsudi,Langur, Garhwal) Gorakhpanth
Copyright@ Bhishma
Kukreti , 14/5/12
Notes on Folk Rites/Folk
Rituals for Worshipping Fairies in Culture; Folk Rites/Folk Rituals for
Worshipping Fairies in Asian Culture; Folk Rites/Folk Rituals for Worshipping
Fairies in South Asian Culture; Folk Rites/Folk Rituals for Worshipping Fairies
in SAARC countries Culture; Folk Rites/Folk Rituals for Worshipping Fairies in Indian
subcontinent Culture; Folk Rites/Folk Rituals for Worshipping Fairies in Indian
Culture; Folk Rites/Folk Rituals for Worshipping Fairies in North Indian Culture;
Folk Rites/Folk Rituals for Worshipping Fairies in Himalayan Culture; Folk Rites/Folk
Rituals for Worshipping Fairies in Mid Himalayan Culture; Folk Rites/Folk Rituals
for Worshipping Fairies in Uttarakhandi Culture; Folk Rites/Folk Rituals for
Worshipping Fairies in Kumauni Culture; Folk Rites/Folk Rituals for Worshipping
Fairies in Garhwali Culture
परी संतोष हेतु पूजा मन्त्र, परी संतोष हेतु एशियाई पूजा मन्त्र, परी संतोष हेतु दक्षिण एशियाई पूजा मन्त्र, परी संतोष हेतु सार्क देशीय पूजा मन्त्र, परी संतोष हेतु भारतीय उपमहाद्वीपीय पूजा मन्त्र,परी संतोष हेतु भारतीय पूजा मन्त्र, परी संतोष हेतु उत्तर भारतीय पूजा मन्त्र, परी संतोष हेतु हिमालयी पूजा मन्त्र,परी संतोष हेतु मध्य हिमालयी पूजा मन्त्र,परी संतोष हेतु उत्तराखंडी पूजा मन्त्र,परी संतोष हेतु कुमाउनी पूजा मन्त्र,परी संतोष हेतु गढ़वाली पूजा मन्त्र, लेखमाला जारी ....
No comments:
Post a Comment
आपका बहुत बहुत धन्यवाद
Thanks for your comments