-बृजेन्द्र नेगी (सहारनपुर)
म्यारू आदिम
अपनी ब्वे से
लुका - छिपा के
मिखुंण जब कभी
खट्टी मिट्ठी ल्यान्द
तब सासु मेरी
भारी भारी सुणाद
पर भै दीदी
तू कन छे भग्यान
न सासु न स्वसुर
निर्झक
खुदी छे प्रधान
हाँ भुलि
मयारू आदिम
भारी च समझदार
इस्कोल कु मास्टर
सब थै कर्द खबरदार
सर्य दिन बल
बच्चो थै भली शिक्षा देन्द
अर अफु रोज
इस्कोली बटी
दारू पेकि लटकेंद आन्द
मिखुंण ब्य्खुन्दा
ऊटपटांग बथा
अर
गिच्चा की बास ल्यांद