कुमाऊं व गढ़वाल में प्रचलित छल का मंत्र
एसिया में प्रचलित छल का मंत्र, दक्षिण एसिया में प्रचलित छल का मंत्र,
सार्क देशीय में प्रचलित छल का मंत्र, भारत में प्रचलित छल का मंत्र,
उत्तर भारत में प्रचलित छल का मंत्र, हिमालय में प्रचलित छल का मंत्र,
मध्य हिमालय में में प्रचलित छल का मंत्र, उत्तराखंड में प्रचलित छल का मंत्र,
कुमाऊं में प्रचलित छल का मंत्र, गढ़वाल में प्रचलित छल का मंत्र, लेखमाला , जारी
ॐ नमो आदेशा, माता पिता गुरु देवता को आदेशा , नाद बुड भैरों को आदेशा,
बैरागणी माता को आदेशा, ॐ नमो आदेशा, तकपीर को आदेशा, तक्ताने पीर
को आदेशा, मोटे पीर को आदेशा, फाड़ पीर को आदेशा, औत्या पीर को आदेशा,
परिवाच्छा को आदेशा, नादा बुद्ध भैरों का आदेशा, वार विथ्या वार दलाई को आदेशा,
वार्पंथ सन्यासी को आदेशा, चन्द्र सूर्य पौन प्राणी को आदेशा, अघोरनाथ भैरों
को आदेशा, पाई माई धरती को आदेशा, ब्रह्मा की वेदी कालिनका को पुत्र को आदेशा,
कलिनका को पुत्र काल भैरों को आदेशा, चौंसठ जोग्णी को आदेशा,
समुद्र की खाड़ी , छार खाशी को आदेशा, दूधाधारी नरसिंग को आदेशा, बाबा नरसिंग को आदेशा,
विला नारसिंग को आदेशा, दूधाधारी नरसिंग को आदेशा,झनामिरी नारसिंग को आदेशा,
उदागिरी नारसिंग को आदेशा, बुदागिरी माता मन्दोदरी शराग गढ़ी हस्ती, आली चाम मैमन्दा
सिधि जायो , खंडारो चौबाट खंडारो , चारकोश पूर्व को बंथो, चारकोश पश्चिम को बंथो,
चारकोश उत्तर को बंथो, चारकोश दक्षिण को बंथो, ॐ नमो आदेशा नारसिंग चले आयो,
अस्सी कोष चले आयो, अस्सी कोश से सीधो सर्व काटें, जापत भाई भरली उभाड़ा
गृहते गोपी का खीला खोरे दे , बावन बीरा बावन भैंसा भी काटे, छटा संक्रा मारे,
संसारी मासाणी , काल़ा गोरखा क्षेत्र पाल, जंतर हमारा मन्त्र तुमारा , श्री गुरु पाद्काओं फोर
मन्त्र इश्वरो वाचा.
कुमाऊं व गढ़वाल में प्रचलित बभूत मंत्र - ३
ओउम नमो आदेशा, माता पिता गुरु देवता को आदेस, गुरूजी को जुहारा विद्यामाता
को नमस्कारा , लाल रे वीर अर्जुन का सुत वेलकर खम्बा कौन कौन देश ते आयो,
मै मनदागनी का तूरखणी का जाया , क़ाली सिला मत फिर्न्तो आयो, घोरंतो आयो,
गाड्न्तो आयो, मार पार बाज्न्तो आयो, बांद बादंतो आयो, इस पिण्डा ने कौन कौन से भूत को मारा .
प्रेत को मारा , आकाश की आंछरी को मारा, पाताल की नागणी को मारा, दिन दोपरी बाण को मारा, बलदा रथ को मारा,
सैद सैदास को मारा, मुगल पठान को मारा, छिद्र को मारा, बूट को मारा, प्रेत को मारा, दाग को मारा, दोष को मारा ,
वार विथ्या वार बलाई को मारा, लाल वाम को मारा, छिया छाये को मारा, मुर्दा की हाड को मारा, मसान खपड़ा को मारा ,
दुश्मन की आस, अगुरु खेगदास की आण , राजा दुल्लासाही की कारा, मिकवा ठौली लाख लाख दूवाई,
पढ़ जाई नी संख्या मोहर भाई की दुवाई,
फोर मंत्र ऐश्वरो वाच्या
भूत-पिचास भगाने के एशियाई बभूत मंत्र, भूत-पिचास भगाने के दक्षिण एशियाई बभूत मंत्र,
भूत-पिचास भगाने के भारतीय बभूत मंत्र, भूत-पिचास भगाने केउत्तर भारतीय बभूत मंत्र,
भूत-पिचास भगाने के हिमालयी बभूत मंत्र, भूत-पिचास भगाने केमध्य हिमालयी बभूत मंत्र,
भूत-पिचास भगाने के उत्तराखंड में प्रचलित बभूत मंत्र ,भूत-पिचास भगाने के गढवाल में प्रचलित बभूत मंत्र,
भूत-पिचास भगाने के कुमाऊँ में प्रचलित बभूत मंत्र पर लेखमाला जारी ...
कुमाऊं व गढ़वाल में प्रचलित उखेल मंत्र-३
भूत-पिचास भगाने के एशियाई तन्त्र मंत्र, भूत-पिचास भगाने के दक्षिण एशियाई मंत्र,
भूत-पिचास भगाने केभारतीय तन्त्र मंत्र, भूत-पिचास भगाने केउत्तर भारतीय तन्त्र मंत्र,
भूत-पिचास भगाने के हिमालयी तन्त्र मंत्र, भूत-पिचास भगाने केमध्य हिमालयी तन्त्र मंत्र,
उभूत-पिचास भगाने के त्तराखंड में प्रचलित मंत्र ,भूत-पिचास भगाने के गढवाल में प्रचलित तन्त्र मंत्र,
भूत-पिचास भगाने के कुमाऊँ में प्रचलित तन्त्र मंत्र पर लेखमाला
ओउम नमो आदेशा, पूर्ब दिशा ते खिलकंदी मारंती आई, तू भैणी चंडी प्रचंडी छे,
तेरी क्या क्या पूजा छा, मेरी रात लाणों छ, तातो खणो छ, सुवर की बली, ढाई सेर की
मिठाई , खीचड़ी उखेल, उखेल रे बाबा उखेल, गली नली का बाण, जिकुड़ी का बाण उखेल,
बुकड़ी का बाण उखेल, सिर चडी पेट पडी तो , नौ तीस नारसिंग की दुआई, बूढ़ी अरबी
भूतनी का पाप जाई, क़ाली क़ाली कुखडी का बाण उखेल, तोतला भैणी तेरी क्या क्या पूजा छई,
रातो लाणो , तातो खाणो, मेढा कि बली लीन्दो छऊ, उखेल, रे बाबा उखेल, जिकुड़ी का बाण उखेल,
बुकड़ी का बाण उखेल, सिर चडी पेट पडी तो , कुम्भकरण काका का अमोल जाई , मेरा गुरु का दुआई ,
फोर मंत्र ऐश्वरो वाच्या
भूत-पिचास भगाने के एशियाई तन्त्र मंत्र, भूत-पिचास भगाने के दक्षिण एशियाई मंत्र,
भूत-पिचास भगाने केभारतीय तन्त्र मंत्र, भूत-पिचास भगाने केउत्तर भारतीय तन्त्र मंत्र,
भूत-पिचास भगाने के हिमालयी तन्त्र मंत्र, भूत-पिचास भगाने केमध्य हिमालयी तन्त्र मंत्र,
उभूत-पिचास भगाने के त्तराखंड में प्रचलित मंत्र ,भूत-पिचास भगाने के गढवाल में प्रचलित तन्त्र मंत्र,
भूत-पिचास भगाने के कुमाऊँ में प्रचलित तन्त्र मंत्र पर लेखमाला जारी ....
कुमाऊं व गढ़वाल में प्रचलित उखेल मंत्र
ओम नमो आदेशा, माता पिता गुरु देवता कोआदेशा, अष्ट भैरों , चावन चेड़ा,
बावन बीर, तुम उखेल उखेल करी नी लाइ ता, अपना गुरु की दुवाई,
फोर मंत्र इश्वरो वाच्या , ओम नमो आदेशा, माता पिता गुरु देवता कोआदेशा,
हनुमान वीर लोह का सांगला तोड़न्तो आयो, , बज्र की कील मरंतो आयो, पीच्छे
भरन्तो आयो, हनुमंत वीर लोह का चाणा चावंतो आयो, हनुमंत वीर बेडी का
पार पड़ी आयो, हनुमंत वीर तुम दुःख लीजे, हम सुख दीजै, कितने वीर न तेरे
पीच्छे, बन्दों रहण करे , राखौ लोह का सांगला से तोई बंथो , ख़पर की लॉन्ग से तोई
बंथो, सुपारी की पूजा लीजे हनुमंत
वीर, एक वीर चले, तीन वीर चले, चार वीर, चौसठ वीर चले, पांचो नारायण चले,
तुम हे हनुमंत वीर कौं कौं की भारी बहुत को भारी , मेरो बैरी की कलेजी चख, इस पिण्डा रख ,
धूरे जादू को मक , चार पहर चौसठ घडी को उखेल, अपणा गुरु की मांश खाई मेरा गुरु की
दुवाई, फोर मंत्र ऐश्वरो वाच्या
कुमाऊं व गढ़वाल में प्रचलित छळयूँ ठीक करणो/छल का मंत्र
एशियाई तन्त्र मंत्र, दक्षिण एशियाई तन्त्र मंत्र, भारतीय तन्त्र मंत्र, उत्तर भारतीय तन्त्र मंत्र,
हिमालयी तन्त्र मंत्र, मध्य हिमालयी तन्त्र मंत्र, उत्तराखंड में प्रचलित मंत्र , गढवाल में प्रचलित तन्त्र मंत्र,
कुमाऊँ में प्रचलित तन्त्र मंत्र पर लेखमाला
ओउम नमो आदेशा, माता गुरु देवता कोआदेशा, नाद बुद भैरों का आदेशा , वैरागणी माता को आदेशा,
ओउम नमो आदेशा,बाबा तकपीर को आदेशा, तकताने पीर को आदेशा,, मोटे पीर को आदेशा,
फाड़ पीर को आदेशा, औत्या पीर को आदेशा, परिवाच्छा को आदेशा, नाद बुद्ध भैरों का आदेशा,
वार विथ्या वार वलाई को आदेशा, वारपन्थ सन्यासी को आदेशा, सूर्य चन्द्र पौन पाणी को आदेशा,
अघ्र्नाथ भैरों को आदेशा, ब्रह्मा बेदी माता कलिन्का को पुत्र को आदेशा, कलिन्का को पुत्र काल भैरों को आदेशा,
चौसठ जोगणी को आदेशा, समुंदर की खाड़ी को आदेशा, चार खाशी को आदेशा, बाबा नरसिंग को आदेशा,
वैला नरसिंग को आदेशा, दूधाधारी नरसिंग को आदेशा, झनामिरी नरसिंग को आदेशा, उदागिरी नरसिंग को आदेशा,
बुदागिरी मंदोदरी शरगगढ़ी हस्ती, आली चाम मैमंदा सिद्दी जायो , खंडारो चौबाट खंडारो, चार कोश पूर्ब को बंथो,
चार कोश पश्चिम को बंथो, चार कोश उत्तर को बंथो, चार कोश दक्षिण को बंथो, ओउम नमो आदेशा नरसिंग
चले आयो,अस्सी कोश से चले आयो, अस्सी कोश से सीधो का सर्व काटें, जापत भाई भरली उभाड़ा ग्रिहते गोपी का खीला खोरे दे ,
बावन बीरा बावन भैसा भी काटे, छटा संक्रा मारे, संसारी मसाणी, काल़ा गोरखा क्षेत्र पाल,
जंतर हमारा मंतर तुमारा, श्री गुरु पाद्काओं फॉर मंत्र इश्वरो वाच्या
एशियाई तन्त्र मंत्र, दक्षिण एशियाई तन्त्र मंत्र, भारतीय तन्त्र मंत्र, उत्तर भारतीय तन्त्र मंत्र,
हिमालयी तन्त्र मंत्र, मध्य हिमालयी तन्त्र मंत्र, उत्तराखंड में प्रचलित मंत्र ,गढवाल में प्रचलित तन्त्र मंत्र,
कुमाऊँ में प्रचलित तन्त्र मंत्र पर लेखमाला जारी ....
कुमाऊं व गढ़वाल में प्रचलित पूजा मंत्र
एशियाई तन्त्र मंत्र, दक्षिण एशियाई तन्त्र मंत्र, भारतीय तन्त्र मंत्र, उत्तर भारतीय तन्त्र मंत्र,
हिमालयी तन्त्र मंत्र, मध्य हिमालयी तन्त्र मंत्र, गढवाल में प्रचलित तन्त्र मंत्र,
कुमाऊँ में प्रचलित तन्त्र मंत्र पर लेखमाला
ॐ नमो आदेस, गुरु को आदेश, सत गुरु को आदेस, ऊपर आकाश को आदेस,
नीचे धरती क आदेस, माता पिता को आदेश, गुरु देवता को आदेश, दिन पड़े सूरज देवता को आदेश,
रात पड़े चंद्रमा को आदेश, महादेव पार्वती को आदेश, श्री गोपीनाथ श्री कृष्ण को आदेश,
सोलह हजार गोप राणियों को आदेश, आठ हजार राणियों को आदेश, अंजनी पुत्र वीर हनुमंत को आदेश,
गुरु सम्बेरा बल को आदेश, गुरु शम्भ्नाथ को आदेश, गुरु चौरन्गीनाथ को आदेश, चार बीस चौरासी सिद्धों को
आदेश, नौ कड़ी का नागों का आदेश, स्वर्ग का इंद्र को आदेश, कुंती का पांडवों को आदेश,
स्वर्ग का इंद्र को आदेश, कुंती का पांडवों को आदेश, श्री कृष्ण जी कि आज्ञां वरदारी को आदेश .
इति रासो मन्त्र
एशियाई तन्त्र मंत्र, दक्षिण एशियाई तन्त्र मंत्र, भारतीय तन्त्र मंत्र, उत्तर भारतीय तन्त्र मंत्र,
हिमालयी तन्त्र मंत्र, मध्य हिमालयी तन्त्र मंत्र, गढवाल में प्रचलित तन्त्र मंत्र,
कुमाऊँ में प्रचलित तन्त्र मंत्र पर लेखमाला जारी ....
कुमाऊं व गढ़वाल में प्रचलित नाल उतारने का मंत्र
ॐ नमो आदेशा, , माता पिता गुरु देवता को आदेशा,
वद दो भैरों भाई, चार कोश अगाडी, चार को पिछाड़ी
गोबंद दो भैरों भाई , काली भाई
काली काम मेरा बैरी की नली बन्दा ,
असत अन्गुला नाभि का बंधा ,
रघ भैरो भाई काली का भाई मेरा बैरी को खवणी बध,
आठ अंगुली निलाठ बेध
बारा अगुली मंदर वद नकशीर वद,
मेरो भाई , काली को जै , तेरी दुवाई
मेरा बैरी की आँख बध ,
चार कोश जग कि अगाडी पष्टपिंदडा वंदा
मेरा बैरी का घीट नसाई दे
घर चढ़ाई दे , खल बताई दे,
भैरो भाई , तेरी दुवाई , जम्बू बोगसा तेरी दुवाई
नंदू बोगसा तेरी दुवाई , नाथ बोगसा तेरी दुवाई
फोर मंत्र इश्वरो वाचा:
कुमाऊं व गढ़वाल में प्रचलित महादेवी बभूत मंत्र
ॐ नमो आदेसा , माता पिता गुरु देवता को आदेसा ,
बभूत माता , बभूत पिता को नमस्कारा,
बभूत तीन लोक निर्वाणी , सर्व दुःख निर्वाणी ,
कीने आणी ,कीने छाणी, अनंत सिद्धों का मस्तक चढ़ाणी
बभूत माता , बभूत पिता , रक्षा करे गुरु गोरख राऊ ,
चौकी करे राजपाल,
आरोग्य रखे बेताल, चौकी नरसिंग तेरी आण ,
नारी के पुत्र नारसिंग वीर तोही सुमरो ,
आधी रात के बीच आयो उदागिरी कंठो से लाल घोड़ा ,
लाल पलाण , लाल सिद्धि, लाल मेखला, फोटकी धुंवां
टिमरू का सोंटा , नेपाली पत्र , भसमो कंकण
नाद बुद्ध सेली को मुरा बाघवीर छाला
फोर मंत्र इश्वरो वाचा:
कुमाऊं व गढ़वाल में प्रचलित राइ मंत्रने का मंत्र
ॐ नमो आदेस,
राई रुपी तेरी क्या क्या पूजा छै,
मेरी पूजा कुखडी मंद की धार ,
रातो लाणो, पिंगळो खाणों,
सफेद चंदन गली नली को बाण उखेला ,
जिकुड़ी को बाण उखेला,
सिर छड़ी पेट पड़ी ,
आँखों को मांदो
पेट को डाँडो, उखेल करी नि लाइ
ता माता यशोदा पिता उग्रसेन की दुवाई ,
फोर मंत्र इश्वरो वाचा:
कुमाऊं व गढ़वाल में प्रचलित चौबटिया मंत्र
ॐ नमो आदेस,
जै गुरु की विद्या तै गुरु को आदेस,
श्री गुरु दाता ज्ञान सौ वारौ,
डंक बजाओ बड़ा बेटा जोगणी सिद्ध,
उनके साथ कौन कौन चले,
काली कपाली उनके साथ चले
हाथ कालो, तेरो केश कालो ,
तेरो दंत कालो,
तेरा भाई कालो,
तेरा मित्र कालो ,
तेरे साथ में चौसठी जोगणी क़ाली,
माथे देऊ तेरे सिंदूरी की बिंदी
भेंट लगाऊं तेरे लौंग का जोड़ा,
कौणियूँ के ज्युन्दाल तेरे मस्तक लगाऊँ ,
चौबटिया मसाणी कु वेदी लाया लगाऊं
सवा पांच सेर तेरी पूजा लगाऊं ,
फोर मंत्र इश्वरो वाचा:
कुमाऊं व गढ़वाल में प्रचलित बाण मंत्र
Ban Mantra: A Mantra from Kumaun and Garhwal
ओम नमो आदेसा,
माता पिता गुरु देवता को आदेसा,
ओम नमो आदेसा,
ते आई सावा लड़ी सुरता बैणि क्या क्या लाणो,
क्या क्या खाणों,
सिर की सिंधोर ,
पाँव का पोल्या ,
सिर की सिंगार सुफेद लाणो,
मिठाई मुंडा की बाजी उखेल रे मंत्र
गली का बाण उखेला ,
जिकुड़ी का बाण उखेला
हाड का सांट दिऊलो
मास का सांट दिऊलो
मै तेरी भाई टु मेरी बैणि
जंहाँ चलाऊ तहाँ नी जेता
गुरु महादेव की आण पड़ी ,
फ़ोर मंत्र इश्वरो वाचा:
कुमाऊं व गढ़वाल में प्रचलित काली मंत्र
ॐ नमो आदेशा,
काली काली महाकाली
भरवी काली ,
उत्तरदिसा से खिलक्न्ती आई ,
मडी मसाण को हमने बुलायो,
मेरा बैरी को मुख उल्टी चलाऊं
दुसरे की कलेजी चख
गुरु मणि में दिया जलाऊं ,
इस पशु की पिण्डा मणि मासों को दूर जाऊ
मेरी कारी धारी जाय ता तो उत्तर दिशा को मांशो नी पाई ,
ढाई सेर की खिचडी ना पाई .
फोर मंत्र इश्वरो वाच:
कुमाऊं व गढ़वाल में प्रचलित मसाण मंत्र
ओउम नमो गुरु को आदेस,
माता पिता गुरु देवता को आदेस,
काली काली महाकाली,
वार विथ्या देवू ताली मड़ो मसाण ,
मुगतीस उड़ान्दा मसाण को मार ,
लाड को मसाण को मार ,
बैठदा मसाण को मार ,
मणो मसाण को मार ,
काली कुखडी मंद की धार नी पाई ,
लोंगों को जोड़ा नि पाई
पं को बीड़ा नी पाई
कुमाऊं व गढ़वाल में प्रचलित कटोरा चलाने क मन्त्र
ओउम नमो गुरु को आदेस
माता पिता गुरु देवता को आदेस
काली काली महाकाली, अघोर काली
ब्रह्मा कि बेटि, राजा इन्द्र की शाली
इन्द्र शान से बजावे ताली
क्या क्या करन्तो आयी
आप काली भस्मन्ती आइ ,
पर लोह की कील उखेल्न्ती आइ
आप चौकी उखेलन्ती आइ
पर चौकी उठालन्ती आइ
मेरा चोर पकड़ी नी लाइता नौ नौरतों की पूजा नी पाई
काली कुखडी मंद की घाट ट्ज देखो
तेरा अवतार आपकी चौकी करनी लाइ
तो आगे जादू पीछे घाऊ, माता चंदीका की दूधि दंता लाइ
अपना गुरु का मांश खाई
मेरा गुरु की दुआई
फोर मंत्र इश्वरो वाच:
विस्वा का मन्त्र /खुर्या/खुरपका/कीड़े झाड़ने मन्त्र
ओउम नमो गुरु को आदेस
काली काली तेरो कालिया कंहा गयो
चौ गंगू पार चौ गंगू पार गयो
व क्या लायो
पान पता दुरी दुरी नक्या करलो
जंगू को जंगिलो , काख को कखिलो
मणि को मणिलो
पीठि को नरिया , दुधि को सब मुख्या
अगुली को गदडा
खुर्या बार से रोग विस्वा काटी कूटी
सात समुन्दर पार बवाऊंलो
जाल टेके सिरु चढी , पेट पढी
इश्वर महादेव कि दुहाई
उन्द रड़ी , उभ रड़ी
उब सरी
हणाइ टणाइ खाकी पाकी दुखी
त ईश्वर मध्य देव पार्वती , धन्वन्तरी वैद तेरी दूवाई
फोर मंत्र इश्वरो वाच:
हूक झाड़ने का मंत्र
ओउम नमो गुरु को आदेस
ओउम नमो गुरु को आदेस ,
ओउम नमो गुरु को आदेस ,
माता पिता को जुवार
माता पिता को जुवार
माता पिता को जुवार
गंगा पार बैठो भाट
कांव कुलाड़ी हाथ थमाळी
कंहाँ जांदी ,
मैं जाऊं गंगा पार
गंगा पार जै क क्या कैलो
सोलह सुले पयाँ बेंदी दाथी
सोला सुले करूणो मूल माटी
ऊपर की उवसरी जल के हूक फटाई नी लाइ
राजा रामचन्द्र धन्वन्तरी वैद तेरी दुवाई
बाल सुन्दरि तेरी दुवाई
फोर मंत्र इश्वरो वाच:
हंगरी में मिर्गी झाड़ने का मंत्र
बिर्जिन मेरी की माया विर्जिन मेरी को सपूत
वा सतोतर अनिष्ट करन्दार दैन्तुं तैं मील
वीन एक अनिश करन्दार दैंत तैं पूछ बल
ये दैंत कख छे तू जाणो?
मी जाणो लीज को लाल लाल ल्वे पीणो .
मेरी न बोली बल
नि जाणि देलू त्वे तै वीं पर दांत पुडाण से
त्वे रोकी देलू वींको खून पीण से
जा जा हे दैंत ! जा !
तू उख जा जख काळो कुत्ता नि ह्वावन
जा जा हे दैंत ! जा !
तू उख जा जख काळो घ्वाड़ा नि ह्वावन
जा जा हे दैंत ! जा !
तू उख जा जख मन्दिरों मा घंडल नि बजदा ह्वावन
जा जा हे दैंत ! जा !
तू उख जा जख धरती काळी ह्वाऊ
जा जा हे दैंत ! जा !
तू उखी पाख पख्यडु मा लुकी जा
मी वींक गिचु पुटुक पवित्र क्वीला ड़ाळणु छौं
वीन्का गिच मा हजारों देवदूत आणा छन
फेर देखदुं तू कनै तै पश्वा तैं परेशान करदी धौं !
कुमाऊं व गढ़वाल में प्रचलित मिर्गी झाड़ने का मंत्र
ओउम नमो गुरु को आदेस , जै गुरु की विद्या तैं गुरु को नमस्कार
राला जीवली गौमति ही आसण जा बाबा गौरी पाखेम पाल
भैरों काऊं कीजै. इस मणसत हाक औ चाट बोल बेताल मीर्गी या
मसाण की छया छुटाई दीजे . लीख मंत्र दीजिये . बनई जाफ्तो
ब्रह्मा ऋषि लोही खाई , नौ रत की पूजा नी पाई. शरीर पड़ी माता आरसी दई
का सेज या उदारी पीला दुलारे का थल बिष घोल पाली पंतना वाक, दूण की
जेऊं दीख पड़ी कलजी की बाण जौला , जख तेरो भद मसाण भखे
दको सासुर बाजा भेड़ा की बली , दक्षिण दिशा छुटी जौला .
फोर मंत्र इश्वरो वाच:
कुमाऊं व गढ़वाल में प्रचलित रतवा को मंत्र
ओउम नमो गुरु को आदेस , जै गुरु की विद्या तैं गुरु को नमस्कार,
प्रथम मही जाल रतवा को मारू , थल रतवा को मरू , ऐरा रतवा को मारू,
वेरा रतवा को मारू, अरचंड रतवा को मारू, उस्वास को आगे जाई मारू,
पिछै रह्या तो अपणा गुरु का मॉस खाई , मेरे गुरु की दूवाई ,
जाग जाग मर -मर के बिस भर,
सात बार उल्ला गरड़ा तेरी कार लूहा, गरुड़ की कार, केरी न टली दो बार,
मेढ़ा कि बली दक्षिण दिशा छुटी जौला ,
फॉर मंत्र इश्वरो वाच:
कुमाऊं व गढ़वाल में प्रचलित दाग उतारने का मंत्र /नजर उतारने का मंत्र
ओउम नमो गुरु जी को आदेस .
हो वीर चक्र धारिणी असमानीय पठान आयो मैद्दा लोदा पठान को नाली
खाप्राचारी को बेटा लद्दाक दलैला पठान अमर पचि म्स्लानी फकरी खुले में पड़ता है
संगी नाम भजता है , पूजा अपनी लेता है ,
सरे जादू मंगता है , चौकी अपनी रखता है,
सुमरन सेज वे कु लगाना पड़ता है, निगुरु पन्थ्य को मार,
लेटा दि मसाणि को मार,
गुजरनि तुरखाणि को मार,
मुसलमानी उढत कौ मार,
सेरजादू को मार,
मुसलमानी की चौट को मार,
मारी बदकरनी लाई तो , स्वा शेर को तु सो नी पायी
मुर्गा की बली नी पायी ,
दम को दरिया को वाच बासो नी पायी , फॉर मंत्र जाग मंत्र जंत्र इश्वरी वाच .
महाराष्ट्र में प्रचलित दाग उतारने का मंत्र
ओउम नमो गुरु जी को आदेस
तुझ्या नवे भूत पळे , प्रेत पळे, खबीस पळे, सब पळे अरिष्ट पळे
न पळे गुरु की गोरख नाथ की बीद माहीचले गुरु की संगत मेरी भगत चले मंत्र इश्वरा वाचा.
पीलिया (कौंळ बाई ) झाड़ने का मंत्र
ॐ प्रथम कोरकी राजा , कोरकी राजा को फोर्की राजा ,
फोर्की राजा को किबारी राजा, किबारी राजा को रावण मंडली,
रावण मंडली को राजा रावण कि जन्मी सात कन्या
औशाली , बैशाली , मेघमाला , रायकेला, जाकेला, कौलतिथि, कौंळबाई,
झड़ी जा बैणी ,कौंळबाई झड़ी ना जाई ट पिता रावण को पाप जाई, बड़ा बिभीषण को
पाप जाई, काका कुम्भकर्ण को पाप जाई , दादा इंदु का पाप जाई, गौंत
को छीड़ो, कडुवा तेल की धार, जब को जोड़ो , कांश की काळी झड़ी
जा बैण कौंळबाई झड़ी नी जाई तो महादेव पार्वती के दुहाई , हनुमंत बीर
तेरी केर , सिर चढी , पेट पड़ी , तो पंचनाम देवतों कि कार पड़ी ,
फॉर मंत्र इश्वरो वाच:
बिच्छु विष निवारण मंत्र
बिच्छू बिस मारणो मंतर
ओउम नमो गुरु को आदेस ,
ओउम नमो गुरु को आदेस,
ओउम नमो गुरु को आदेस,
ओउम नमो मरजाय परबन जाय श्री परिसकू बबूल
सूल गाय गोबर ग्यों छ:
ओउम नमो मरजाय परबन जाय श्री परिसकू बबूल
सूल गाय गोबर ग्यों छ:
ओउम नमो मरजाय परबन जाय श्री परिसकू बबूल
सूल गाय गोबर ग्यों छ:
वू बिच्छो सजक को कंकाल वाको ,
सांप पखती हरो नीलो पीलो उतरो व उतारूँ नही तो मोरू कुभ:
को द्वार हर नाग्रून शब्द साँचा , पिंड कांचा , फॉर मंत्र इश्वरो वाच:
सर्प विष निवाराण मंत्र
गुरौ विष उतारणो मंत्र
ओउम नमो गुरु को आदेस ,
ओउम नमो गुरु को आदेस,
ओउम नमो गुरु को आदेस,
जै गुरु नन्दी ने गुरु का वार तैं गुरु को लगु पायें पुआर
इंद्र वंथौ, जाल वंथौ शक्ति की पाताल वंथौ
श्री मारौ, लोहा कील जो इस माटी का शिर पडी पेट पड़ी
अखल करी दखल करी तो राजा राम हे तेरो विष नी छ: मेरो विष बड़ो छ:, सिर
मारौ ब्रज शीला जीवा मारौ लौहा की कील, ज्र्बर टोपी खरबर थैली को वंथौ
तेरो नाप जीने तू जागते ऊपयो , सिर मारो ब्रज की शीला जिव्हा मारौ
लौहा की , जो इस माटी का सिर चढी पेट पड़ी तो राजा परथ की आण
पड़ी , लक्ष्मण की आण पड़ी , रामचंद्र की आण पड़ी , सीता की
आण पड़ी , हनुमंत की आण पड़ी , जती नाम गरुडों की आण पड़ी
फॉर मंत्र ईश्वरा वाच:
Reference :Dr Nandkishor Dhoundiyal, Garhwali Lokmantra (ek Sanklan)
Himadri Prakashan, Kotdwara
Collected by
Sandeep ishtwal, Isodi, Mvalsyun, Pgarhwal,
DhairyaRam Baudai , Bharpoor, Sabali, P Garhwal
Girish Chandra Dabral, Dabar, Dabralsyun, P.Garhwal
Keshvanand Maindola, Sidhpur, Rikhnikhal, P Garhwal
Ghuttaram Jagri, Bilkot, Nanindandaa, P Garhwal
रवाईं क्षेत्र के लोक गीतों में गहने आभूषण
मुई देण बा लो कानू की लाबी
मुई देण बा लो हाथूं की पोंछी
मुई देण बा लो नाक नथूलू
मुई देण बा लो लांबी बिसार
मुई देण बा लो शीशफूल सुहाग
मुई देण बा लो जेवरूं की खाण
रवाईं क्षेत्र में भभूत मंत्र
ओउम नमो भभूत माता भभूत पिता
भभूत तीन लोक तारणी
ओउम नमो भभूत माता भभूत पिता सर्व दोष की निवारणी
ईश्वर औणी गौ जाली छाणी
अनंत सिद्धौ न मस्तक चढ़वाणी
चढ़े भभूत निपडे हाउ
रक्षा करें आतम विस्वामी गुरु गोरखनाथ
जरे-जरे तरी फले धरेती माता गायत्री चारे
सुषे -मुषे अग्निमुख जले सयास भभूत
नौनाथ पूर्षु चढ़े
तिरा तेरा भभूत तीन लोक कू चढ़े
चतुर्थी भभूत चार वेद कू चढ़े
पंचमे भभूत पंच देव कू चढ़े
हंसन देवे तुम्हारे आऊँ
आय गुरु दाता तारी
Collection of folk song by- Dr.Jagdeesh Naudiyal, Uttarakhand ki Sanskritik Dharohar
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भूत भागने का मंत्र
इंटरनेट प्रस्तुतिकरण - भीष्म कुकरेती
ओउम नमो गुरु जी को आदेश , ओउम नमो गुरु जी को आदेश
ओउम नमो गुरु जी को आदेश , मैमंदा वीर को आदेश चार बीर चौरासी सिद्धों को आदेश,
मैमंदावरी माता पिंगला को आदेश , मैमंदा वीर वायुं हाथ अग्नी का
मस्तिक चढ़े चौरासी चेड़ा , कुर्विण चले , मड़े मसाड़ी कुर्विण चले , धरती अकास
कुढोणा होटमणा चले, मढ़े मसाण कुर्विण चले , मारकंरवां चले, तब कौं कौं को मारे ,
उल्लुपाक उखेला , रात सुइलो को नरग उखेला , मूल्या कि माटी उखेला
चौबाट कि धुल उखेला , लामसाणी की छया उखेला , काल़ा मासा उखेला,
, पिंगला धानोवला उखेल रे बाबा बीर भनैडा बार वीत्या , छतीस रोग कुतुब्त की
उखेला , निल्लायी त माता तुरकरणी कु बोल जाई , अपणा गुरु को मांस खाई , फॉर मंत्र इश्वरो
वाच:
संकलन व सम्पादन - डा. नन्द किशोर ढौंडियाल
गढवाली लोकमंत्र , हिमाद्री प्रकाशन, कोट्द्वारा
मूल स्रोत्र - संदीप इष्ट्वाल , इसोड़ी,मवाळस्यूं
धैर्यराम बौड़ाई , भरपूर, साबळी
गिरीश डबराल, डाबर, डबरालस्यूं
प.केशवानंद मैंदोला , रिखणि खाळ
घुताराम जागरी , बिल्कोट नैनीडांडा
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धर्म मेरो आज य़ी च
छंऊं मी देश को सिपाई
हमूं तैं राष्ट्र पैल च , हमारि जाण पैथर छन
जबरि बि औंद क्वी संकट , तरुण बलिदान ऐथर छं
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डट्यां छन मोर्चा तअ , पिछाड़ी नि हटा करदा
नि खांदा जो मार , जौंको नि जान्दो वार क्वी खाली
इना छन शूर रण बांका , बहादुर बीर गढ़वाळी
१- अबोध अबन्धु बहुगुणा , रण मंडाण
२- डा शिवा नन्द नौटियाल
टिहरी राजा खिलाप रवाईं को लोक गीत
हड़दी हड़ी काँवणी खिलादीना तीर रे
सुरेतू का डेरे दा बिजली से जोर रे
घरे दा लाणा गाडिया कटियों दा चूना रे
डेरे दा फूका सुरेतू गाँव का पड़ा सुना रे
फूली जाला फुलेटू डाटटी ना दाई रे
सुरेतू का डेरा पुलिस रे आई रे
तुमारे भीतर सुनेरी ना चाकी रे
थाणे दी आई पुलिस ओबेर दी राखी रे
(संकलन - डा. जगदीश नौडियाल )
Reference-Dr. Jagdish Naudiyal, Uttarakhand ki Sanskritik Dharohar pg247
दुर्योधन पूजा लोक गीत
(संकलन - डा-जगदीश नौडियाल )
तू लाइ सच्ची हामू, देव दुर्योधन
हामू देई ताई भेड़ी, देव दुर्योधन
चार सिंगा खाडू ,देव दुर्योधन
बात रीत लाणी , देव दुर्योधन
भेड़ी देऊ भौत ,देव दुर्योधन
सन्दर्भ: डा जगदीश नौडियाल , उत्तराखंड कि सांस्कृतिक धरोहर )
रवाईं क्षेत्र में भूत भगाने का मंत्र
(मूल संकलन करता , डा. जगदीश ( जग्गू ) नौडियाल
भगूती माता भगूती पिता , कौन आणी कौन जाणी
गुरुजा माता ने आणी , पार्वती माता ने जाणी
अटे - जटे गुरु-गुरु को नाथ , कहाँ लगाऊं
अंग में लगाऊँ निलथापू माथे पे लगाऊँ
फूल मन्त्रे हिंसार वाचा पड़ी डाग मन्त्रे , भूत मन्त्रे
पिचास मन्त्रे निकट नहीं आवे
(इस मंत्र को सात बार मंत्र करें )
सन्दर्भ - डा. जगदीश नौडियाल , उत्तराखंड कि धरोहर
चैत माह में संध्या समय औजियों द्वारा बजाये जाने वाला 'श्याम कल्याणी' नृत्य- गीत
स्थाई चरण - झै माता सकल भवानी
सहायक चरण - जाल थल उदपी भवानी झै माता सकल भवानी
द्यूल थाल कपास की बाती माता सकल भवानी
सवा गज जोत जगाई माता सकल भवानी
माता को रिंगद छतर चढ़ाई झै माता सकल भवानी
द्यबतौं की टु ध्याणी भवानी माता सकल भवानी
दैन्तू को दल भगसीणे भवानी माता सकल भवानी
यक दांत अगास यक दंत पाताल माता सकल भवानी
लोई तिसाली मासू की मुकाली माता सकल भवानी
खडग चक्रर लेकी आजा माता सकल भवानी
गीत मूल स्रोत्र : केशव अनुरागी , नाद नंदनी
सन्दर्भ- डा शिवा नन्द नौटियाल
चैत माह में दोपहर समय औजियों द्वारा बजाया जाने वाला चैती नृत्य गीत
दान्युं मा को दानी
स्थाई चरण - इजू ! छायो दान्यूं मांग को दानी
सूरिजा बंशी राजा हरीचंदा जी ..
सहायक चरण - जैका छाया सूना का छतर
छाया वैका चांदी का पतर जी . इजू ! छायो दान्यूं मांग को दानी
जैका छाया मोत्यूं का ख्ल्याण
छाया जैका हीरों का डिसाण जी. इजू ! छायो दान्यूं मांग को दानी.
जैका पास छई नौऊ निधि
चरणु मा जैकी अष्ट सिद्धि जी . इजू ! छायो दान्यूं मांग को दानी
छायो जै को पराणी उमैलो
आज वैको सरैला धुमैलो जी . इजू ! छायो दान्यूं मांग को दानी
बलूरी आज वै की छन फ़ैली
धुंवां ला आँखी वे की मैली जी .इजू ! छायो दान्यूं मांग को दानी
विधना की कनी या ठकुरी
राजा लायो ध्यूंरा की चाकरी . इजू ! छायो दान्यूं मांग को दानी
दान्युं मा को दानी
इजू ! छायो दान्यूं मांग को दानी
गीत मूल स्रोत्र - केशव अनुरागी , नाद नंदनी
सन्दर्भ- डा शिवानन्द नौटियाल
लांग खेलते समय शिव-पार्वती पूजन
स्रोत्र डा. शिवानन्द नौटियाल , गढ़वाल के लोक-नृत्य-गीत
खंड बाजे हो खंड बाजे
शिव-पार्वती को खंड बाजे
पंचनाम देवतों को खंड बाजे
गौं कि भगवती को खंड बाजे
गौं को भूम्याळ को खंड बाजे
क्षेत्र का क्षेत्रपाल को खंड बाजे
नरसिंग नागर्जा को खंड बाजे
भैरों -निरंकार को खंड बाजे
गौं का पधान को खंड बाजे
सत धर्मी नारियों को खंड बाजे
दानि राजों को खंड बाजे
पंच हिस्सेदारों को खंड बाजे
खंड बाजे हो खंड बाजे
प्रभाती
स्थाई चरण - रबी भानूं कांठी चढ़ी ऐ गेना , देवी सीता जी
सहायक चरण - ब्यूजी गैना पंचनाम देवा ये देवी सीता जी
सस्ना बन्द चकवे की दुरो मंद तारा सीता जी
गौं की गुलबंद खुची , पंथी पंथूं को चली सीता जी
पूरब उज्याळी पंछी बोल्दीं देवी सीता जी
गंगा जाल भरि ला दे गागरी देवी सीता जी
राम जी को नयेण की ये बेला देवी सीता जी
राम जी को लादे धोती पीताम्बरी देवी सीता जी
रबी भानूं कांठी चढ़ी ऐ गेना , देवी सीता जी
गीत मूल स्रोत्र - केशव अनुरागी , नाद नंदनी
सन्दर्भ - डा शिवा नन्द नौटियाल
Garhwali Folk Songs
Compiled on intenet by Bhishm Kukreti
कब आलो ह्यूंद मंगसिर मैना
कब आलो ह्यूंद मंगसिर मैना
हे ज्योरू हे ज्योरू मिन दिल्लि जाण हे ज्योरू मिन दिल्लि जाण
होटल की रुट्टी मिन उखी खांण
आलू प्याजौ बणाइ साग
आलू प्याजौ बणाइ साग
घुमणो क जाण मीन करोलाबाग हे ज्योरू मिन दिल्लि जाण
प्याई च सिगरेट फेंकी चिल्ला
घुमणो क जाण मीन लाल किल्ला हे ज्योरू मिन दिल्लि जाण
हे ज्योरू मिन दिल्लि जाण
गोभी की भुज्जी उखी खाण
गिंदी म्याल़ा प्रसिद्ध गीत
चर्खी टूटी जाली गोविंदी ना बैठ चर्खी मा
चर्खी मा च त्यारो जिठाणो गोविंदी ना बैठ चर्खी मा
पाणी च गरम गोविंदी ना बैठ चर्खी मा
त्वेकू नी च शरम गोविंदी ना बैठ चर्खी मा
मरे जालू मैर गोविंदी ना बैठ चर्खी मा
मरणे कु च डौर गोविंदी ना बैठ चर्खी मा
ताल की कुखडी गोविंदी ना बैठ चर्खी मा
तेरी दिखेली मुखड़ी गोविंदी ना बैठ चर्खी मा
खेली जाला तास गोविंदी ना बैठ चर्खी मा
सरिल च उदास गोविंदी ना बैठ चर्खी मा
चर्खी टूटी जाली गोविंदी ना बैठ चर्खी मा
स्रोत्र स्व. पीताम्बर दत्त देवरानी , मटियाली , लंगूर
सन्दर्भ डा. शिवा नन्द नौटियाल
द्रौपदी बाजा नृत्य -गीत
द्रुपद--- बोल बोल दुरपदी कै माल बरदी
तू बोल बेटी कै माल बरदी
द्रौपदी --- मीन जाण बुबा जी वै माल कुणि
जु माल बेद मच्छी को आँखों ब्यादलो
द्रुपद -- दुरमा गढ़ मा मालू का थावेड़ा
तू बोल क्वांरी कै माल बरदी
द्रौपदी--- छाती का बाळओंन जी किवाड़ खोलल़ो
जो नौ पोल लिम्बू मोछुं मा थामलो
द्रुपद--- बड़ा बड़ा बीर स्वयम्बरा मा छन
तू बोल बोल बाळी कै माल बरदी
द्रौपदी- डांडा जनि हत्थी भुज्जों मा राखला
जैकी गरजाणि सुणी की दिगपाल कांपला
धर्म हवालो जैको गद्दी का जग्वळया
अर कर्म हवालो जैको भूमि को रख्वळया
मूल स्रोत्र ; स्व.केशव अनुरागी , नाद नंदिनी
सन्दर्भ : डा.शिवा नन्द नौटियाळ
अभिमन्यु बाजा- नृत्य-गीत
तुम रौंदा होला राजा जयंती ध्रिग्पल
तुम होला राजा छत्रसाल भौर
कपटी कौरवों न राजा कुचालू रचेली
जौन रचे राजा सात द्वारों की लड़ाई
जयंती राज भंज राजा सणि पत्री देंदा
जती रंदा पांडो तुम जीती राज मान
तुम आवा पंडो अब सात द्वारों की लड़ाई
जयंती मा ह्व़े ग्याई झोंळी झंकार
सीली त ओबरी राजा झिली ह्वेगे खाट
राजा अर्जुन जायुं च दक्खन का देस
साथ छ वैका किरसण सारथी
घर मा रयुं च बालो अभिमन्यु
मी जौंलो पिता रण भूमि -लड़ाई
छै किलों की कथा मैन मा का पेट मा सुणयाले
जब माता सुभद्रा तैं लगी छै पेट की वेद
अर्जुन न लगाई छै द्वारों की कथा
चक्रव्यूह तोड्नो कु जान्दो छ बालो घंडयाळ
बीरता से दंग रेने पापी कौरव
चालो कौरिक तौं मारे बालो अभिमन्यु
स्रोत्र डा. पुरुषोतम डोभाल
सन्दर्भ डा. शिवा नन्द नौटियाल
पंडौं अर्जुन बाजा नृत्य-गीत
कृष्ण अब पोंछी गे हे अर्जुन
देखी तौं तब हे अर्जुन
जनीति मा विलाप हे अर्जुन
प्रण करी याले हे अर्जुन
जयद्रथ तैं मी मारी धोळलु हे अर्जुन
निथर सूरज डुबण पर भोळ हे अर्जुन
चिता मा पोड़लु हे अर्जुन
****************************** **
जयद्रथ घर्मु लुक्युं च हे अर्जुन
सूर्य अछ्लेणु वाळ च हे अर्जुन
अर्जुन चिता मा बैठण लगी गे हे अर्जुन
जयद्रथ तमासो दिखण को परगट ह्व़े गे हे अर्जुन
कृष्ण न अपणो माया को चक्र हटाये हे अर्जुन
सूर्य सौब जगा दिखयाण लैगे हे अर्जुन
अर्जुन न तीर मार आले हे अर्जुन
जयद्रथ को सिर आकाश उड़ेगे हे अर्जुन
तेरी परतिज्ञा रै ग्याई हे अर्जुन
सन्दर्भ : डा. शिवा नन्द नौटियाल
पंडो भीम रिन्गौण को लोकगीत : या भीम बाजा नाच गाण
बाला दैणी होई जैन तेरी
दैणी होई जैन त्यरी वा सौ मण कि गदा
परतिज्ञा को दानि बाला
सौ मन कि गदा वाला तेरी होली नौ मन कि ढाल
बाला जंगलूं जंगलूं बाला
भाबरु भाबरु तुमकू रै गेन भारत पियारा
डाल़ा को गोळ हिलैकी बाला
डाल़ा मा बैठयाँ कौरौ कि पटापट पतगे लगाई दिने
चांदी छैला चौक मा बाला
नौ खारी रीठों को मेरा जोधा पिसम्यल्लो बैण याल़े
सौ मन का गोला भीम रे जोधा
सर्ग चूलेने असी असमान अपतां फेंकने हाथी
पर मेरा बाला. भीमसेण जोधा
स्रोत्र ; अबोध बंधु बहुगुणा एवम डा शिवा नन्द नौटियाल
पंडो नृत्य मा कुंती माता अर गैंडा क कथा
कोंती माता सुपिनो ह्व़े गे , ताछुम ताछुम
पांडु का सराध कु चैन्द गैंडो , ताछुम ताछुम
ओड़ू आवा नेडू आवा मेरा पांच पंडाउ, ताछुम ताछुम
तुम जावा पंडउ गैंडा कि खोज, ताछुम ताछुम
सरध क चैन्द पंडो गैंडा की खाल , ताछुम ताछुम
तब पैट्या , पंडो , गैंडो की खाल ,ताछुम ताछुम
नारी दुरपता तप कना बैन बोदा, ताछुम ताछुम
मी बि मेरा स्वामी स्न्ग्मांग औंदु , ताछुम ताछुम
भूक लागलि मै भोजन ह्व़े जौलू , ताछुम ताछुम
तीस लगली मी पाणि ह्व़े जौलू , ताछुम ताछुम
उकाळ लगली मै लाठी बणी जौलो, ताछुम ताछुम
पसीना होलू मै साफा ह्व़े जौलू , ताछुम ताछुम
सेज की बगत मै नारी ह्व़े जौलू, ताछुम ताछुम
जुद्ध लगलो मै कालिका ह्व़े जौलू ,ताछुम ताछुम
त्वेकू होलू मेरी नारी , भूषण बिस्तर ,ताछुम ताछुम
तू घर रैली बैठीं दुरपता . ताछुम ताछुम
तब घुमदा गें पंडाउ गैंडा की खोज, ताछुम ताछुम
ऐ गेन पंडौ हरियाली की ताल, ताछुम ताछुम
वख देखी तौंन सीतारामी गैंडो, ताछुम ताछुम
मै छऊँ पंडो , जनानी जात ,ताछुम ताछुम
में मारिक काम नि होण क्वी , ताछुम ताछुम
तुम जावा पंडो , गागळी का बौण , ताछुम ताछुम
मेरा स्वामी रैन्दो , वख स्वामिपाल, ताछुम ताछुम
तब गैन पंडो गागळी क बण, ताछुम ताछुम ,
गैंडा का ग्वेर छयो नागार्जुन , ताछुम ताछुम
माल़ू ग्वीराळ म्यारो गैंडा नि खांदो, ताछुम ताछुम
पीली छंचरी मेरो गैंडा को चैन्दो , ताछुम ताछुम
तब मारे पंडो न स्वामीपाल गैंडो , ताछुम ताछुम
तब गडी पंडो न गैंडो की खगोती ,ताछुम ताछुम
पंडो नृत्य में अर्जुन वासुदत्ता प्रेमगाथा
द्रोपती अर्जुन सेयाँ छया
रातुड़ी होयें थोडं स्वीणा ऐन भौत
सुपिना मा देखद अर्जुन
बाळी वासुदात्ता नागुं कि घियाण ,
मन ह्वेगे मोहित , चित्त ह्वेगे चंचल
वींकी ज्वानी मा कं उलार छौ
वींकी आंख्युं मा माया को रैबार छौ
समळीक मुखड़ी वींकी अर्जुन घड्याण बिसे गे
कसु कैकु जौलू मै तै नागलोक मा
तैं नागलोक मा होला नाग डसीला
मुखड़ी का हँसीला होला, पेट का गसीला
मद पेंदा हठी होला, सिंगू वाल़ा खाडू
मरखोड्या भैसा होला मै मारणु आला
लोहा कि साबळी होली लाल बणाइ
चमकादी तलवार होली उंकी पैळयाँयीं
नागूं की चौकी बाड़ होलो पैरा
कसु कैकु जौलू मैं तै नागलोक मा
कमर कसदो अर्जुन तब उसकारो भरदो ,
अर्जुन तब सुसकारो भरदो
मैन मरण बचण नागलोक जाण
रात को बगत छयो , दुरपदा सेइं छयी
वैन कुछ ना बोले चाल्यो , चल दिने नागलोक
मद्पेंदा हाती वैन चौखाळी चीरेन
लुवा की साबळी नंगून तोड़ीन
तब गै अर्जुन वासुदत्ता का पास
घाम से घाम, पूनो जसो चाम
नौणीवालो नाम , जीरी वल़ो पिंड
सुवर्ण तरूणी छे , चंदन की लता
पाई पतन्याळी, आंखी रतन्याळी
हीरा की सी जोत , ज़ोन सी उदोत
तब गै अर्जुन सोना रूप बणी
वासुदत्ता वो उठैकी बैठाए अर्जुन
वींको मन मोहित ह्व़े ग्याई
तब वीन जाण नी दिने घर वो
तू होलो मेरो जीवन संगाती
तू होलो भौंर मै होलू गुलाबो फूल
तू होलो पाणी मै होलू माछी
तू मेरो पराण छई, त्वे मि जाण न देऊँ
तब तखी रै गे अर्जुन कै दिन तै
जैन्तिवार मा दुरपदा की निंद खुले ,
अर्जुन की सेज देखे वीन कख गये होला नाथ
जांदी दुरपदा कोंती मात का पास
हे सासू रौल तुमन अपण बेटा बि देखे
तब कोंती माता कनो सवाल दीन्दी
काली रूप धरे तीन भक्ष्याले
अब मैमू सची होणु आई गए
तब कड़ा बचन सुणीक दुर्पति
दणमण रोण लगी गे
तब जांदी दुरपदी बाणो कोठडी
बाण मुट्ठी बाण तुमन अर्जुन बि देखी
तब बाण बोदन , हम त सेयान छया
हमुन नी देखे , हमुन नी देखे
औंदा मनिखी पुछदी दुरपता
जांदा पंछियों तुमन अर्जुन बि देखे
रुंदी च बरडान्दी तब दुरपदी राणी
जिकुड़ी पर जना चीरा धरी ह्वान
तीन दिन ह्वेन वीन खाणो नी खायो
ल़ाणो नी लायो
तब आंदो अर्जुन का सगुनी कागा
तेरो स्वामी दुरपति, ज्यूँदो छ जागदो
नागलोक जायुं वासुदत्ता का पास
तब दुरपता को साँस एगी
पण वासुदत्ता क नौ सुणीक वा
फूल सी मुरझैगी डाळी सी अलसेगी
तिबारी रमकदों झामकदों
अर्जुन घर ऐगे
स्रोत्र : डा गोविन्द चातक
सन्दर्भ : डा शिवा नन्द नौटियाल
गढवाली लोक नृत्य पंडो नाच का 'चाल मांगण ' गीत
अमर रयान तेरी राम तोता बाणी ..... (ढोल-दमाऊ की ध्वनि-- गिजा-गिजड़ी ),
अमर रयान तेरा ह्रदय सागर ...........(ढोल-दमाऊ की ध्वनि-- गिजा-गिजड़ी ),
अमर रयान तेरो सोवन कनौठी........(ढोल-दमाऊ की ध्वनि-- गिजा-गिजड़ी ),
अमर रयान यो तामा बिजेसार ......... (ढोल-दमाऊ की ध्वनि-- गिजा-गिजड़ी ),
अमर रयान नौ टंका नागर ............(ढोल-दमाऊ की ध्वनि-- गिजा-गिजड़ी ),
अमर रयान सोळ टंका ढोल ...............(ढोल-दमाऊ की ध्वनि-- गिजा-गिजड़ी ),
पिता स्याम्दासु ! माता महाकाली .........(ढोल-दमाऊ की ध्वनि-- गिजा-गिजड़ी ),
लगौ मेरा दास टकनौरी रान्सा ............ (ढोल-दमाऊ की ध्वनि-- गिजा-गिजड़ी ),
जंगलूं की सैर ..............(ढोल-दमाऊ की ध्वनि-- गिजा-गिजड़ी ),
कुंती बाजा नृत्य गीत
प्रगट ह्व़े जान, प्रगट ह्व़े जान
प्रगट ह्व़े जान , पांच भाई पंडों
००० ००० ०००
प्रगट ह्व़े जान , कुंती माता
कुंती माता होली पंडो की माता
००० ००० ०००
कोंती माता सूपीनो ह्व़े गए ताछुम ताछुम
पांडू क सराधु कु चैन्द गैंडो ताछुम ताछुम
००० ००० ००००
ओड़ू आवा नेड़ू मेरा पांच पंडऊँ ताछुम ताछुम
तुम जावा पंडऊँ गैंडा की खोज ताछुम ताछुम
पंडौ नृत्य का 'बींद' या जाग जागर
हरि को हरिद्वार जाग , गाँव का भूम्या ळ जाग
धौळी पयाल जाग, छेत्र का छेत्रपाल जाग
गंगोत्री घाट जाग
भांसरी का ताल जाग
तै सातरू जाग
तै मूलु मुखेम जाग
तै तलबला सेम जाग
चन्द्रबदनी माता जाग
राज राजेश्वरी नंदा जाग
खेंटा की अंछरियों जाग
पीड़ी कि भरड़ीयो (सरडी ) जाग
बदरी केदार जाग
दूध धारी नाग जाग
धर्म युधिसठर कि गादी जाग
अर्जुन को गांडीव जाग
भीम कि गदा जाग
सतवंती कुंती माता जाग
सतवंती नारी द्रौपदी जाग
सहदेव कि लाठी जाग
नकुल कि पाटी जाग
बाला घंड्याळ अभेमन्यु जाग
जाग जाग पाँच परमेश्वर जाग
पयाळी : एक पंडौ गीत
मै छयो मेरा दामी निंदरा भुल्युं
अर म्यारो दामी, मै छयो सियूँ -
झलाकार्या बिस्तरा , घुंघराळयाँ चारपाई
अब मेरा दामी , त्वेन लगाए मैं पराज
ढोल का शब्द , नगाड़ू की गूंज
मै आयूँ यख , धारु रड़ीक, गाडू बौगीक
अमर रयाँ भुला , तेरी पंदर पच्चीसी
आज मेरा दामी , तू मैकू
फूल स खिलै दे -भौंर सा उडै दे
महाभारत युद्ध का करण बतलाता लोक गीत
डाळी बडी स्वरीग नैगी, डाळी बडी स्वरिग नैगी
कौरों बोद डाळी हमारि , कौरों बोद डाळी हमारि
पंडो बोद डाळी हमारि , पंडो बोद डाळी हमारि
कौरों पंडो को झगड़ा लैगी, कौरों पंडो को झगड़ा लैगी
डाळी होली कौरों की, खून लग्या धारी
डाळी होली पंडो की, दूध भर्याँ पारी
डाळी दूखु लैगीं तोणण, डाळी दूखु लैगीं तोणण
डाळी लेगी दूध की धारी , डाळी लेगी दूध की धारी
पंडो बोद डाळी हमारि , पंडो बोद डाळी हमारि
कौरों -पंडो को जुद्ध लैगी , कौरों -पंडो को जुद्ध लैगी
रास -सरांव नृत्य का एक गढ़वाळी लोक गीत
कजे - कज्याणी ; तल्या स्यारा सिमी स्यारा मल्या स्यार गिजार .
सबि कजे : चला स्याळी मंदरोळी बनाद्यौ का बजार
सबी कज्याणी ; नाक कि विसोर नी च किलै औं मी बजार
सबि कजे : विसोर त्वेकू तखी ल्यूंल़ो चल स्याळी बजार
सबि कज्याणी : टाट की टटोळी नी च किलै औं मी बजार
सबि कजे : टटोळी त्वेकू तखी ल्यूंल़ो चल स्याळी बजार
सबि झण : तल्या स्यारा सिमी स्यारा मल्या स्यार गिजार
सिमार = दलदल
विसोर = नाक की बुलाक
टाट = गला
टटोळी = गले की हंसुळी/खग्वळी
राधा कृष्ण नाच- गाण कु गीत
कृष्ण: तेरा खुटु का घुंघुरू बाजा, छनना , छनना , छन-छन
तू भली छै बांदा राधा छनना , छनना , छन-छन.
राधा: तू बडी हौन्सिया कन्हया , छनना , छनना , छन-छन
भलो विराज देंदा हाथ की वान्सु ळी , छनना , छनना , छन-छन
कृष्ण : तेरा मुंड कि लटूली उड़ीन सररा , सररा सर सर
तू बडी रंगीली राधा छनना , छनना , छन-छन
राधा : मेरो दिल लागी कन्हैया, त्वेपर फररा, फ़ररा फर फर
तू बड़ो हिन्सौण्या कन्हैया , सररा , सररा सर सर
कृष्ण : तेरी नथुली बुलाक हिली , झलला, झलला झल-झल
तू मेरी दिल कि पियारी , सररा , सररा सर सर
राधा : तेरी गौडियों की घांडी बाजि , ठनना ठनना ठन-ठन
उनि मुरली की सोर बाजि , हररा, हररा , हर हर
कृष्ण : राधा की गागर फूटी .ठनना ठनना ठन-ठन
बैठी ग्याई राधा रुण , आंसू ऐना तरर , तरर तर तर
राधा : तीन मुरली बजाई , छनना , छनना , छन-छन
तब दौड़ी ऐग्युं मी, हीरिरि,हीरिरि , हिर-हिर
कृष्ण : तेरा खुटु का घुंघुरू बाजा, छनना , छनना , छन-छन
तू फूलूँ माकी फूल राधा छनना , छनना , छन-छन
नट नटी नाच गाण (नट नटी लोक नृत्य गीत )
Garhwali Folk song for a Garhwali Nat Nati Folk Dance
अलसी, सिमानी चुची बौ
अलसी, तू रौंदी कख छे ?
तै मथ्या गौं !
अलसी , तेरा यार कत्ती ?
एक बीसी नौ
अलसी, तेरा भितर क्या च ?
एक फुटयूँ तौ
अलसी, तेरा घिन कत्ति ?
एक डून्डी डी गौ
अलसी , तू खांदी क्या छे ?
एक डाळी जौ
अलसी , सिमानी चुची बौ
थाळी नाच-गाण (थाली लोक नृत्य गीत )
हुंगरा लागौन्दी भग्यानी , नाकै की नथुली
हुंगरा लागौन्दी भग्यानी , नाकै की नथुली
जूनी सी मुख तेरो
चमकद इनी जनी
दूध सी धुईं रात
छै जांद जन पूनो
मोती स दांत तेरा
हिलांदी नाथुली
हुंगरा लागौन्दी भग्यानी , नाकै की नथुली
ओ मोटा होंठ तेरा
हिसुरी गोंद जन
ओ बिंदी इन लगदी
जन बदली बीच जून
जब तू खित्त हौसंदी
जब तू मुल्ल हैंसदी
चमकद दांतूड़ी
हुंगरा लागौन्दी भग्यानी , नाकै की नथुली
तेरो सौंल़ू रंग
तेरो छड़बड़ो गात
जै दिन बटे देखी भग्यानी
ह्व़े गे बक्की बात
जब तू ठुम्म हिटदी
जब तू मट्ठू हिटदी
हिलांदी फांकूड़ी
हुंगरा लागौन्दी भग्यानी , नाकै की नथुली
चूड़ी बजदीं छम
जब तू जांदी धाणी
बौणु गुंजणी रैंद
तेरी सुरीली बाणी
गाती रोपीं रैंद
कमर रोपीं रैंद
छुणक्याळी दाथड़ी
हुंगरा लागौन्दी भग्यानी , नाकै की नथुली
Deepak Dance -Somg " An Ancient Garhwali Folk Dance and Song
Bhishm Kukreti
( Garhwali Traditional Folk Dance-Song , Uttarakhandi Folk Dance -Somg, Himalayan Indian Folk Dance-Song)
जय-जयो शुभ घडी आई
जय जयो शुभ दिन आयो
माट औ दीवा कबास क बत्ती
तिलूं तेल, जागो दीवा पूरी पूरी रात
स्यूण/सुई नाच -गाण
हे लठयाळी दादू कैकी बौराण छे ?
धुंवा सी धुपळी , पाणी सी पथळी
केल़ा सी गळखी , नौण सी गुंदकी
दिवा जसी जोत , कैकी बौराण छे ?इनी मेरी होंदी जिकुड़ी मा सेंदी
बादळ सी झडि दुबला सी लड़ी
भ्यूंळ सी सेटकी, लाबू सी ठेलकी
नाक मा च तोता, जीभ मा क्वील
आखौं मा आग, गाळऊँ मा बुरांस .
हूड़की सी कमर , कैकी बौराण छे ?
इनिम्मेरी हुंडी हथकूळी मा सेंदी
बांदू मा की बांद , चांदु मा की चाँद
चीणा जसी झाम , पाळीण्गा सी डाळी
हिसर की सी डॉळी , कैकी बौराण छे ?
घास काटद काटद बणि छे गितांग
स्वामी गें माल चिट्ठी आई नी च
कनू निर्दयी होलू जु बिसरदू ईं तैं
हे लठयाळी दादू कैकी बौराण छे ?
बहुत सुंदर प्रयास हार्दिक शुभकामनाएं आगे भी सुंदर जानकारी प्राप्त होती रहे
ReplyDeleteEfferts are highly appreciated.
ReplyDeleteबहुत सुंदर जी
ReplyDeleteJai bhero nath
ReplyDeleteबहुत सुन्दर रचना
ReplyDeleteKhilaya pilaya Bahar nikalne ka mantar batao plz 7985138570
ReplyDeleteThanks
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