घपरोळ
उत्तराखंड क्रान्ति दल कु कुहाल किलै ह्वेन ?
भीष्म कुकरेती
(यह लेख सन १९९१ में 'पराज' पत्रिका, मुंबई में प्रकाशित हुआ था . किन्तु इक्कीस साल बाद भी औचित्यपूर्ण है )
परस्या कि त छ्वीं छन. दगड्या मनमोहन जखमोला मीली गे अर बुलण मिस्याई बल," भैजी ! स्यू उत्तराखंड क्रान्ति दलौ त भट्टा बैठी गे "
सच बोलूं त मी थै कळकळि लगी ग्याई. अब द्याखो ना ! सही माने मा बिगळयूँ
राज्य उत्तराखंडौ बिगुल त्रेपन सिंह जीन बजाई. अब भले इ ऊँन जनता पाल्टी
वळु तै धौंस दिखाणौ बान अलग राज्य को ढोल बजाई पण इख मा द्वी राय नी छन बल
उत्तराखंड राज्य परिषद न इ अलग उत्तराखंड राज्य की हव्वा सुराई, बिगळयूँ
राज्य कि बात इना उना फैलाई. त्रेपन सिंह जीक बणयीं संस्था उत्तराखंड राज्य
परिषद न मुंबई, दिल्ली, ड्याराडूण. हल्द्वानी, नैनीताल जन जगों मा हल्ला
गुल्ला मचाई, अर राजकरण्या फल, पोलिटिकल फ्रूट को , असली सवाद , असली मजा त
भाजापा न ल्याई. उत्तराखंड राज्य परिषद न उत्तराखंड राज्य की सिणै बजाई ,
अलग राज्य को मूषक बाज बजाई अर द्याखो हाँ ! भाजपा बर-ब्यौला बौणिक ब्योली
लाई ग्याई. उत्तराखंड राज्य परिषद न छाँछ छोळणो पर्या बणाइ. छाँछ छोळणो
काम उर्याई, अर घी अर नौणि भारतीय जनता पार्टी खै ग्याई. बिचारा उत्तराखंड
राज्य परिषद न छांच बि नि पाई. उत्तराखंड राज्य परिषद ख़तम इ ह्व़े ग्याई.
किलै ? द ल्या ब्वालो ! अपणा त्रेपन सिंग जी क बारा मा एक सयाणो न इन
ब्वाल बल -उत्तराखंड राज्य परिषद इलै ख़तम ह्वाई बल किलैकि त्रेपन सिंग
नेगी हेमवती नंदन बहुगुणा क जुत पैरणो ग्याई.अर त्रेपन सिंग न उत्तराखंड
की छ्वीं लगाण बन्द कार अर अंतररास्ट्रीय बथौं छ्वीं लगाई .इन मा ह्वाई
क्या बल त्रेपन सिंग न अपणो ठट्टा अफिक लागाई. इन मा सब्यु तै क ळकळी लग
बल बिचारा त्रेपन सिंग जी ना इना का राई ना उना का राई.
उना उत्तराखंड की तपन. अगन, गर्मी कम
ह्वाई ना की इना उत्तराखंड क्रांति दल की चिणगारी चमकण मिसे ग्याई. जख
उत्तराखंड राज्य परिषद् पर सामाजिक संस्थौ रंग छ्याई उख उत्तराखंड
क्रांति दल पर राजनीति को पाणि चढ़यूँ छ्याई.लोकुं तै कळकळी उत्तराखंड
क्रांति दल की स्तिथि पर बि आई. लोकुं तैं रोष, गुस्सा उक्रांद का ऐरी अर
जसवंत बिष्ट प़र बि आई जौं तै जनता न उत्तर प्रदेश विधान सभा मा उनीन्दो -
सीन्दो पाई अर कै कै न त कशी सिंग ऐरी तै मुलायम सिंग को खुट पटकाँद बि
पाई. इन मा उत्तराखंड क्रान्ति दल की इ जगहंसाई इ ह्वाई.
अब द्याखो ना ! इन मा दुःख तो होलू इ कि
उत्तराखंड की पुंगड़ी बावन उक्रांद वळा ,उत्तराखंड की पुंगड़ी
सुदारान उक्रांद वळा, उत्तराखंड की पुंगड़ी मा बीज ब्वावन उक्रांद वळा,
उत्तराखंड की पुंगड़ी कि निरै गुडै बान सहेली धारन उक्रांद वळा अर फसल
काटिक ली जावन भाजपा वळा. जिकुड़ी फटदि च बल उत्तराखंड आन्दोलन का
असली पर्वाण त उक्रांद वळा छयाई , पुलिस वळु मार खावन उक्रांद वळा अर लखनौ-
दिल्ली मा मजा ल्यावन भाजपा वळा. निराशा अर कळकळी आँदी च बल जब चक्का
जाम कारन उक्रांद वळा पण बस का ड्राईबर बौणि जावन भाजापा वळा. मन खट्टो त
होंदी च बल जब उक्रांद की उरयीं आठ्वाड़ मा उत्तराखंड का असली जागर त
लगैन उक्रांद वळुन अर मुंडळी, रान खाई भाजापा वळुन. उक्रांद वळुन लुतकी
बि नि पाई. मांगळ लगैन उक्रांद वळुन अर मंगळेरूं पिठाई पाई भाजापा वळुन.
गाजा बाजा बजैन उक्रांद वळुन अर म्यूजिक को इनाम ल्याई भाजापा वळुन. इन मा
उक्रांद पर दया त आई जांद कि सरा दिन भट्युड़ तोडिक बल्द हौळ लगाओ अर
स्याम दै घोड़ी तै त हौरु डड्यळ मिल्दो पण बल्दों तै सुखो घास.
पण मी तै सबसे जादा कळकळी त मुंबई का उक्रांद का
द्वी बड़ा बड़ा नेतौं - अर्जुन सिंग गुसाईं अर जगदीश कापरी (*) पर आन्द
जौन मुंबई मा कट्ठा हुयाँ हजारो रुप्यों बल पर पौड़ी गढवाळ अर पिथौरा गढ़
का संसद सदस्य बणणो सुपिन देखी छौ कि द्वीई दिल्ली क एम्.पी. निवास मा
रौंस से राजनीति कारल. बिजोग इन पोड़ बल पौड़ी अर पिथौरागढ़ मा उत्तराखंड
क्रान्ति दल को क्वी संगठन इ नि छयाई.अर फिर मुंबई का पाँच दस हजार रुपयों
बल पर उख संगठन कनै कौरिक खड़ो हूण छयाई?. उन्नीस लोगूँ संगठन वळ उक्रांद
मुंबई का द्वी भावी संसद सदस्य बौं हड़ पोड्या राला त तुम तै रूण अणो इ च
कि ना? इख मुंबई मा एकाध नेता त उत्तराखंड की भावी मुख्य मंत्री पद कि
लालसा मा कशी सिंग ऐरी तै दंगळयांदो बि थौ. झूट बुलणो होऊं त
उक्रांद मुंबई का कै बि कार्यकारी कार्णि क सदस्य
तै पूछी ल्यावदी कि तुमारो उत्तराखंड को भावी मुख्यमंत्री क्वा च ? त जबाब
मीलि जालो. निथर गिरीश ढौंडियाल तै इ पूछे ल्यावादी जु बथाल बल लक्ष्मी
बिल्डिंग फोर्ट मुंबई मा कै हिसाब से मुंबई मा बस्यां उत्तराखंड का भावी
मुख्यमंत्री न लौबीइंग करी छौ.
अब जब उत्तराखंड मा उक्रांद को सुफडा साफ़
ह्व़े ग्याई अर जनता न बथाई द्याई बल उत्तराखंड आन्दोलन सिरफ़ एक राजनैतिक
आन्दोलन नी च बल्कण मा यू आन्दोलन एक आर्थिक, सामाजिक, अर सांस्कृतिक
आन्दोलन च. इन मा राजनैतिक धरातल वळो उक्रांद मुंबई को क्वी अर्थ इ नी च.
मुंबई मा प्रवास्युं बीच पृथक उत्तराखंड कि छ्वीं त जरूर होणि चयेंद, पण
राजनैतिक तुप्ला पैरिक मुंबई मा बात करण सर्वथा गलत च.
प्रवास्युं राजनैतिक निष्ठा इख अलग अलग इ होंद. त निपट राजनैतिक दल का रूप
मा उक्रांद मुंबई मा अपणि सार्थकता कनै सिद्ध कौरी सकद भै! हाँ उक्रांद कि
सार्थकता उत्तराखंड मा जरूर च पन मुंबई डिल्ली मा नी च.
पण गम्भीर सवाल त या च बल उक्रांद का नेता क्या
करण भै? ऊंको रूण च बल भाजापा अर हौरी राष्ट्रीय दल जब उत्तराखंड का बिगुल
बजाणा छन त पहाड़ मा उक्रांद कि हैसियत उनि बि कमजोर हूण वाळ च त मुंबई मा त
कुहाल ही ह्वाल. इख मुंबई का उक्रांदी नेतौं दिमाग इ नि चलणो बल करे जाओ त
क्या करे जाओ. मुंबई का लोखुं तै कन कै भकलए जाओ, कनकै बौगये जाओ! जब
मुंबई मा उक्रांद कि सार्थकता इ नी च त फिर क्या करे जौ? हाँ यि नेता रोज
उत्तरप्रदेश का मुख्य मंत्री तै एक चिट्ठी भेजी सकदन बल अलग राज्यौ
विधेयक चौड़ लाओ. बकै त उक्रांद का संरक्षक मंडल समजदार च अर वो इ जाणल बल
इन दुर्गती मा क्या करण चयेंद थौ अर क्या करण चयेंद ? .
Paraj, August, September 1991 page 13
Copyright@ Bhishma Kukreti 29/5/2012
* (पराज के सम्पादक मंडल ने ये दो नाम काट दिए थे जब कि मैंने 'घपरोळ' लाने हेतु दोनों नाम जान बूझ कर लिखे थे)
Regards
B. C. Kukreti
B. C. Kukreti
No comments:
Post a Comment
आपका बहुत बहुत धन्यवाद
Thanks for your comments