उत्तराखंडी ई-पत्रिका की गतिविधियाँ ई-मेल पर

Enter your email address:

Delivered by FeedBurner

उत्तराखंडी ई-पत्रिका

उत्तराखंडी ई-पत्रिका

Monday, May 7, 2012

कुमाऊं -गढ़वाल में प्रचलित विभिन्न ज्वर,बीमारी चिकित्सा 'विथ्या पूजन मंत्र'

विभिन्न ज्वर, बीमारी चिकित्सा मंत्र', एशियाई विभिन्न ज्वर,बीमारी चिकित्सा मंत्र', दक्षिण एशियाई विभिन्न ज्वर,बीमारी चिकित्सा मंत्र', सार्क देशीय विभिन्न ज्वर,बीमारी चिकित्सा मंत्र', भारतीय उपमहाद्वीपीय विभिन्न ज्वर,बीमारी चिकित्सा मंत्र', भारतीय विभिन्न ज्वर,बीमारी चिकित्सा मंत्र', उत्तर भारतीयविभिन्न ज्वर,बीमारी चिकित्सा मंत्र', हिमालयी विभिन्न ज्वर,बीमारी चिकित्सा मंत्र', मध्य हिमालयी विभिन्न ज्वर,बीमारी चिकित्सा मंत्र', उत्तराखंडी विभिन्न ज्वर,बीमारी चिकित्सा मंत्र', कुमाऊं में प्रचलित विभिन्न ज्वर,बीमारी चिकित्सा 'विथ्या पूजन मंत्र', गढ़वाल में प्रचलित विभिन्न ज्वर,बीमारी चिकित्सा 'विथ्या पूजन मंत्र' लेखमाला जारी
ओउम नमो आदेश माता पिता गुरु देवता को आदेशा गुरु को जुहारा विद्या माता को नमस्कारा, प्रथम देवी सावरी भई , सावर कि समुंद्री भई , समुद्र कि नील भई, नील कि अनील भई , अनील कि आमी भई, आमी कि चामी भई, चामी का चौवन से चेड़ा बावन भूत ले सूर्ज देवता को छल करणा लायो, ताल बेताल को महिपाल, महिपाल को राजा अजैपाल , राजा अजैपाल को विजैपाल , विजैपाल कि इजली विजली द्वी राणी छना,तानो राणी यों को कौं कौं पुत्र भयो, पहले लोचडिया , दूजो दाद्रिया जर भयो, तीजो तेतरिया जर भयो, चौथा चौथिया जर बह्यो, पांचो इकुन्द्रिया जर भयो, छटो मण मसाण जर भयो, सातो सतजर भयो, आटों अठेलिया जर भयो, नौ नकुवा फेकुवा जर भयो, दशों दारिरिया जर भयो, अग्यार्हो अग्निजर भयो, बारो भटलिया जर भयो, तेरो तेतरिया जर भयो, चौदा चौंडिया जर भयो, पन्द्रो कांपतो जर भयो, सोलों पहलदों जर भयो, स्तरों सुनजर भयो, अठारों वेसुन जर भयो, उन्नीसों उनादों जर भयो, बीसों बिशवा जर भयो, इकीस्वान इकुन्द्रिया जर भयो, सरोदिया जर भयो, तब भयो ताई जर, वै जर, सीट जर, पीत जर, धौकलिया जर, फीलिया जर, पति जर, कुपति जर, बिषम जर, सरोदिया जर, भयो, भटालिया जर, लोमड़िया जर, दमडिया जर, थीलिया जर, कांस्दो जर, थरदो जर,लीन्ड़ो जर, लोच्दिया जर, सुन जर, वेसुन जर, घोर जर, अघोर जर, बैणताई जर, भड़मौड़ा जर, ह्ल्दो जर, सिल्कुंदो जर, सीन्दो जर, निसीन्दो जर, रामदो जर, कंदों जर, भटक जर, भटलिया जर, एकजरी यकजरों, दुजरो ,तिजारी, तिजरो, चौथा, छठी, जर भयो, ये भाया सात सो जर, पुत्र भयो तह भयो, अठोत्र सौ फोड़ी बारह सौ बयालीस नौ सौ निन्नाबे छल को बाण, छिदर को बाण, मणो मासाड़ को बाण, खांदी विथ्य, काटती विथ्य, मुंड को मुंडारो, पेट को तलवारों, छल छिद्र को बाण, अन्डो पिया का बाण, फोड़ी लोच्ड़ी, सीतला, तोतला, म्ज्याली, विकराली, इसली, विशली, सुन केला, मेग माला मी जटाक पूरी हिंदु तुर्खणि वेदु बामणी, माल कि मसाड़ी, परवत कि सोकी, गोला बामणी डांड की डांकणी, पातळ की कांगनी थल की जोगड़ी, राड़ी पाड़ी हिंदु तुरखणी , मुसल्वानी, वेदु बामणी, खस खातणी ,राक्सणी,, भोकसणी, तुम जैल्या देंती मसाणी, चौकी चरणी फूल माला ठकुराणी, हाड की हाड फोड़ी , मांस की मांस फौड़ी, रक्त की रक्त फोड़ी, सीन्दी की सीन्दी फोड़ी, गोरी फोड़ी काली फोड़ी, लूली फोड़ी, अड़ती बहड़ती, जल भूत, थल भूत, मण सर धुंवा, अगासर धुंवां , पाताळ रथुवा, पाई रथुवा, वर्ण रथुवा, लर रथुवा, छिद्र रथुवा, आई लगोट रथुवा, जाई पड़ोड़ रथुवा, सुन बाण, बेसून बाण, घोर बाण, अघोर बाण, डैणी डाकणी , चूडा चमारी, कुक्माला ठकुराणी, देशी, लंका की लंकावळी छवा, लंकागद होई आवा, जंहा हनादे नाचदा छना, पसोरा वाजदा छना, ताल मंदीर गांदो छना , अस्तरे लड़ छडे छना, पंक दुकार्न्दे छना, आई बाजी दुई सेल छना, ऊंके आँखें भेरिया सैणी मंदे होई जावा, हिडी गई मिया भूमि देखी , जांखी जांखीजूसू का छना, घोड़ी का घुड़ ल़े छना, ताई होई जा, हाथी चुक हलका छना, घोड़ी कि सूंड ल़े दूजो रातो लाणे, तातो खाणो छना, ताजो तुरखण मा चढ़दा छना,ए देश होई जावा, ऊचो लाणो छ , पूंछो खाणो छ, सात सतनाजों को दैज्यो दिऊलो, डडी अंगार लाल पिंगली पिटाई कि वानी दिऊलो , भट्ट भगुली का खोजा दिऊलो, यकतालो रोट दिऊलो, पांच कैणास शहर दिऊलो , बारह फूल का हार दिऊलो, पाणी कि धार दिऊलो, बोल बचन कि कार दिऊलो, तेरी भेणी कार करी जूलो, मोरा बाँधी जूलो, खब हलवाई लंका बार बांदी दिलो, लंका सारी गढ़ बीच समोदर सारी करवई, नीचा तह होई जा, बैणी तेरा भट वारी ता जाई, नि त माता का घर सोत्या ली होई जा, पिता दशोगिरी घर घरवाली होई जावा, काका कुम्भकरण का पाप जाई, मामा कंससुर का पाप जाई, कनक पहली का पाप जाई, कि कुवा ठोली का पाप जाई, कौड़ीया बेताल का पाप जाई , चोली पडिया का पाप जाई, नौ सयणो का पाप जाई, दस दैत्यों का पाप जाई, लंका का लंका पतियों का पाप जाई, लंका फ़ोणी राम दुहाई, लक्ष्मण जाती कि जयकारा है जावा, लंका का बान इस पिण्डा पर रहिता शिव शक्ति इश्वर पार्वती तेरी आण, गौरजा गणेश तेरी आण , इतना उपरान्त सांख करीता संघा सो गरड कि कार पढ़ी, गरड तो बाबा कहा पैसदा छना, बालू समुन्दर, नीला समुद्र , तालू समुद्र, रत्नागिरी समुन्द्र महादूंदी समुन्द्र , फीणी समुन्द्र , खीरी समुन्द्र , गली समुन्द्र , सात समुन्द्र हसदा छना, तानो गणों कि कार लीन्दा छना, टे गढ़ तो बाबा कहाँ बैसदा छना, सिर बैस्दा छना, सिर की विथ्य टू टू टू फोड़दा छना, नंगो नंगो फोरदा छना, पंखी पख्यो झड़दा छना,
झूड़ी घाली शक्ति पाताल मार विथ्या झड़, विथ्या मरीजा , विथ्या उठाई जा, विथ्या विलाई जा, विथ्या कुघर को वासो, जिय को नासो, ये देश छोडि दे परदेश होई जा इस पिण्डा छोडि दे . भैणी का लंका गढ़ मा अहिरावण , कुलाण लागो तेरा हाथ से कपासणी जूडी न तू भैणी लंका बुलाई, तू जा जा भैणी लंका का बार लंका गढ़ होई जाय , फोर मंत्र इश्वरो वाच्य
कुमाऊं -गढ़वाल में प्रचलित घात विरोधी मंत्र
ॐ नमो गुरु को आदेश, जै गुरु की विद्या तै गुरु को नमस्कार, प्रथम अंद भड़ते उपजो तिन खंड ते नौ खंड को उपज्यौ भूमि , भूमि तै उपजी तुमि, तूभी तौ उपजी डाली, कांठ तै उपजी बगोट, बगोट तै उपजी धुंवां, धुंवा गयो आकाश, आकाश तै उपजी बदली, बदली तै उपजी मेघ, मेघ तै उपजी आई धरती, धरती तै उपजी आई आभी, आभी तै उपजी आई चाभी, चाभी तै उपजी आई चौवन, चौवन से चीड़ो, बावन से वीर उपजी, ते अरगट ने महादेव का नित्नार चढ़ाई, असंग बभूत भस्म चढाई, डाली को पुत्र वीर नारसिंग द्गेंतो आयो, हाण- हाण करदू आयो , मार मार करिकै आयो, सवा मण गजा मुन्गरो खिलान्दो आयो, नाग लोग साग लोग सादंतो आयो, आयो मात लोग गर्जन्तो आयो, आला काचा काष्ठ फूकंतो आयो, सूखा काष्ठ मौळान्दो आयो, दश दिशा दौडान्तो आयो, बीस दिशा मोंड़न्तो आयो, आतोला चक्र तोलान्दो आयो, कुर्म चक्र फैरान्दो आयो, ठान्डा हुकरान्तो आयो, बासोकी नाग कुल बाज पौन्छान्दो आयो, भतार मेधा कि बलि भकान्दो आयो, सिर्खंड कि पूजा भकान्दो यो, खाजा बुखाणा बुखान्दो आयो, जाग रे बाबा बीर नरसिंग, मेरा बचन नागलोग सुजाल, जाग रे बाबा बीर नरसिंग,मोरी का बार सुजाल, चंड नार्सिंग प्रचंड नारसिंग , कालिया नारसिंग, दूधि नारसिंग, दूधाधारी नारसिंग, कृष्ण अवतारी नारसिंग, निगार पंथी नारसिंग, रथ बीर नारसिंग, हाडा वीर नारसिंग, नाडी वीर नारसिंग, आदि वीर नारसिंग, औचाडिया वीर नारसिंग, घोर नारसिंग, अघोर नारसिंग, रक्तवीर नारसिंग, शक्तवीर नारसिंग, हाडा वीर नारसिंग, नाडी वीर नारसिंग, अघोर वीर नारसिंग, टाला वीर नार्सिंग, खोला वीर नारसिंग, हड़ताल वीर नारसिंग, नौना कबीर नारसिंग, सौ मण लोहा का चणा चाबन्तो आयो, सौ मण लोहा का सांगळ तोडन्तो आयो, ब्रिज को बाड़ा फोड़न्तो आयो, हाथ मुद्रा जपन्तो आयो, फूं-फूं -फूं-फूं फट स्वाहा , ॐ चं-चं-चं-चं, चक्र्पाती नारसिंग, आयो पंचमुर्ती स्मयुक्ति तुमको आदेश, आप मुद्रा रखी, परमुद्रा उखेली जा, इष पशु बिना को वाणा उखेली जा, इस पिंड का हाडा ता जायी, मांस गलाई वाणा उखेली, हात चढ़ाई मॉस गलाई, जिकुड़ी फोड़ी, असरी पसरी मेरी बटी नी आई तो अपड़ा गुरु का मॉस खाई, मेरी केरी नि आयी तो नाथ वीर नारसिंग कि चढा खाई, महादेव पार्वती कि दुहाई , उखेला बाबा बीर नारसिंग, तुम कोसिया का पुत्र , भस्मासुर को लाडलो , बाबा बीर नारसिंग , तुमने दक्षिण दिशा में क्या देखो, नीलो जीभी जमाल, नीली सीपी सिद्धि नादिमुद्रा, नीली जगोठी कि छुरी दक्षिण दिशा टे चलि आयो, नील पंथी वीर, बीर नारसिंग, मसाण स्विपना करिजा, निवाण तातो हाथ गाडी जा, आप चकरी रखी जा, परचक्र उखेली जा, आप मुद्रा रखी जा, परमुद्रा रखेली जा, मेरी भक्ति गुरु कि शक्ति पुर्व्न्त इश्वरो वाच.
छया मंत्र
छाया मंत्र
(पैलि दूध -फूल को मंत्र पुरु करण तब ये से ऐथ्रो मंत्र या च )
धक छन सुपारी का छन, फूल की छया छन, जागा रै बैणयो, बाराह बगीचा छन, गुणदेरी से ल़ो सिंतराज, रातों मखमल, सदाबासी गुलाब का फूल फुल्दा छन, ये बैणयो बाकड़ी छन, पहली लंका, दुसरी लंका भयी कौन, हिड्म्बी राक्षस भयो, हिडम्बी राक्षस को हौल्या राक्षस भयो, ढडबा राक्षस भयो, तै राक्षस की सात कन्या भयी, पहली हाल, दूजी बयाल, तीजी बदली ॐ नमो आदेस, ऊंका दाटू जनमण भयो, अंड फोड़ा डंड काष्ट फूटो, बगोट फूटो धुंवा धुंवा उपजी, कुयेड़ी उपजी, कुयेड़ी उपजी त बदली-बदली उपजी गै, मेघ-मेघ उपजी, डौकी डौकी सौकी सौकी उप्जयौ, पिता दसोग्री रावण भयो, माता मंदोदरी भई, भाई इन्द्रजीत , काका कुम्भकरण, बाडो बिभीषण भाई, इन्द्रजीत का बारह फलाले फूल्दी छन, धक दान में क्यौ लेगा, बिजौरे रिमी जिमी केला, गोदावरी सत्ता सितराज, चौती सितला, पांचो सितला, आठों अठोला चलो, बैठ्यो ब्रह्मा का छैल जौंला, अनसो लिंयून्ला, उर्भ पंडित की पोथी, कुर्म पंडित की पोथी, अचक ऋषि की कन्या जन्मी औला, सीता की तोड़ा पत्ती पत्ती पाँच कन्या जन्मी ऐ बैणी, तौकी चेली कौन कौन जन्मी , राई केला जाई केला,दूध केला मौत माला, जिनमाला , धर्ममाला, जौलमाला, फूलमाला, पर्वतमाला, त मेरी बैणयो मै तुमारो भाई , चलो बैणयों, सात समुन्दर बास करला, पाँच रत्न को घर बणोला, तालाब सी मच्छी छन, गोलक की गोपी छन, स्वर्ग की अप्रि छन, चलो रे बैणयों गिरी समुद्र चली, रत्नागिरी समुदर चली, निर समुदर चलि, दूध मऊ समुंदर चलि , फेणि समुन्दर चलि, तौं समुन्दर कौन कौन मच्छी छन, सेतु मच्छ छन, स्याह मच्छ छन, जतन मच्छ छन, बाल मच्छ छन, ब्रह्म मच्छ छन, विष्णु रें बैणयों की चौण (यह खण्ड भतार दरिया से लिया गया है), ये तो बैणयों महादेव की ऊन सवदते उठी सुणो, सुणो बैणयों नाग लोग जम लोग , उर्भ नाग की पोथी , कुर्म नाग की पोथी, शेषनाग की पोथी, फूलमाला की कन्या जन्मी , इंद्र माला बेलमती धना देहि हिल पिगोला जसो दाई, सुन्दर दासी, सुन्दरमती रामदासी थारेदासी चरनदासी , इन्द्र्दासी जागा बैणी तू मेरी बैणी, मी तुमारा भाई, मेरा पशु की बार विथ्या, छतीस रोग सात समुन्दर पार लिज्यी चला बैणियों, इंद्र का तख्त मा होई जौला, मंदार को बासो लियूंला, झां फूल को फुलाले छन थान ह्वेई जौंला, जन्हा बाढ़ सनकी मोरली बाजदी, थान जावा जंहा महादेव का पौखाज बाजद छन, जंहा गुरु गोरखनाथ जी क मेख नाथ बाज्दा जावा . कुंकू डालि का छैला जावो, नौ नाथ का अखाड़ा जावा, गुरु का शब्द जावा, काली का चक्र चली , बारह विथ्याओं को नी ली जयी,छातासों को नी ली जयी, केर ताली , नर्क पड़ी (ॐ क्रीं ह्रीं , क्रीं, क्रां रंगत काली का ) हजार वार जाप अकरने पर यह मंत्र सिद्ध हो जाता है.                     
 


Regards
B. C. Kukreti

No comments:

Post a Comment

आपका बहुत बहुत धन्यवाद
Thanks for your comments