ज़लाओ भुला
अबकी दिवाळी मा
दिल मा दिवा।
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कखि भी रौला
रिवाज याद रळ
जख़ भी जौला।
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परदेस जाय़ ल
भाई जी, उम्मीद छ
गौं भी आय़ ल।
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- सुभाष लखेड़ा
अबकी दिवाळी मा
दिल मा दिवा।
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कखि भी रौला
रिवाज याद रळ
जख़ भी जौला।
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परदेस जाय़ ल
भाई जी, उम्मीद छ
गौं भी आय़ ल।
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- सुभाष लखेड़ा
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