चबोड़्या -चखन्यौर्या -भीष्म कुकरेती
कोका कोला -हटो ! हटो ! मि ऐ ग्यों ! मि ऐ ग्यों ! भैर जावो। भैर ह्वे जावो।
जल जीरा -क्या च यु त्यार बुबाक फ्रिज च जु बेज्जती करणु छे अर बुलणु छे -हटो ! हटो
कोका कोला -देख दुकान्युं मा जु बि फ्रिज छन वो सब म्यार मालिकाक छन।
जल जीरा -सूण यु घौर च समझे। क्वी दुकान नी च जु तू इथगा रौब से बात कौर !
कोका कोला -देख मि तुम सरीखा छुट मुट ड्रिंकुं दगड़ बात नि करदो। आइ फील इंसल्ट इन टाकिंग विद यु टाइनी ब्रैंड
जल जीरा -ये जादा अंग्रेजी नि झाड़ हाँ ! मि संस्कृत मा बुलण बिस्योल त फिर त्यार मुख पर ताळु जालु
कोका कोला -सुण बै जल जीरा ! क्या औकात च तेरि जु मेरि दगड़ बात कौर ? फिर जख तलक संस्कृत को सवाल च- इण्डिया मा कु समझद संस्कृत ?
जल जीरा -ठीक च ठीक च। पण म्यार दगड़ इज्जत से बात कौर।
कोका कोला -तेरी इज्जत क्या च हैं ?
जल जीरा - मी भारत मा द्वी हजार साल से छौं।
कोका कोला -तो ?
जल जीरा -कम च कि मि भारत घरों मा द्वी हजार साल से आयुर्वेदिक पेय छौं।
कोका कोला -अबै जब इंडिया मा आयुर्वेद ही अपण महत्व की लड़ाई लड़णम नाकामयाब च त ते सरीखा पेय की क्या औकात ?
जल जीरा -ये औकात पर नि जा हां !
कोका कोला -किलै नि बतौं त्वे तैं तेरि औकात। ऐक्स्पाइरी डेट निकळ ग्यायि अर अबि तलक सि फ़्रिजौ कूण्या पर अनाथ जन पड्यूं छे।
जल जीरा -ये अनाथ नि बोल हाँ म्यार बिरतांत ढाई हजार साल पैलाक चरक संहिता मा बि च हां
कोका कोला -अबै आज की बात कौर कु पुछद त्वै सरीका ड्रिंक तैं। कथगा भारतीय चरक संहिता बारा मा जाणदन ?
जल जीरा -पण यु त तू बि जाणदि कि रियलिटी मा मीमा त्वे से जादा स्वास्थ्यवर्धक इंग्रेडिएंट छन।
कोका कोला -ठीक च कि त्वैमा हेल्दी इंग्रेडिएंट छन पण लोग त यी समझदन कि ओनली कोका कोला इज ''रियल थिंग ' अर बाकि सब बेकार छन।
जल जीरा -अरे कै झूट तैं हजार दैं दुरावो। रिपीट कारो त वु झूट सच ह्वे जांद अर लोगुं तैं सच झूठ लगण बिसे जांद।
कोका कोला -यही तो मार्केटिंग है !
जल जीरा -हाँ मार्केटिंग पावर का बल पर ही तो तू अब हम सरीखा स्वास्थ्यवर्धक पेयुं /ड्रिंकुं तैं हीन समजदी।
कोका कोला -ओ बेवकूफ ! ओल्ड रग ! मि त्वै तैं हीन नि समजदु बलकणम भारतीय त्वै सरीखा पारम्परिक , काम का पेय पदार्थ तैं हेय दृष्टि से दिखदन।
जल जीरा -वी त रुण च कि भारतीय मानिक चलणा छन कि जो बि इम्पोर्टेड चीज च वो अमृत च अर जो बि भारतीय चीज च वो दकियासूनी च।
कोका कोला -अर इन्डियन त्वै तैं महत्वपूर्ण स्वास्थ्य वर्धक पेय समझ बि ल्यावन त क्या ह्वे जालो ?
जल जीरा -अरे रिसर्च अर डेवलपमेंट से मि तैं बोटलिंग लैक बणांदा अर मार्केटिंग करदा त जल जीरा की पूछ कोका कोला से जादा हूंदी
कोका कोला -क्या त्वै तैं पक्को विश्वास च कि भारतीय अपण पारम्परिक खाद्य पदार्थों पर अन्वेषण कारल ?अर कामौ पारम्परिक पदार्थों तैं बचाला ?
जल जीरा -वी त रुण च कि अशोक महान का बाद भारतीय समाज निर्माणकारी समाज छोड़िक बिचौलिया समाज ह्वे ग्यायि।
कोका कोला -यां पर आइ एग्री विद यु कि भारतीय समाज लौह अयस्क निर्यात करण मा विश्वास करदो अर वै माटु से लोहा बणाण मा विश्वास नि करदो।
जल जीरा - ट्रेडिंग संस्कृति मा त इनि ह्वाल.
कोका कोला -तो फिर किलै मेरी समणी इथगा अक्कड़ दिखाणि छे ?
जल जीरा -अब त अक्कड़ बि खतम ह्वै गे। किलैकि भारतीय हम तैं कूण्या मा बि जगा नि दींदन । Copyright@ Bhishma Kukreti 4 /10/2013
[गढ़वाली हास्य -व्यंग्य, सौज सौज मा मजाक मसखरी दृष्टि से, हौंस,चबोड़,चखन्यौ, सौज सौज मा गंभीर चर्चा ,छ्वीं;- जसपुर निवासी के जाती असहिष्णुता सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; ढांगू वाले के पृथक वादी मानसिकता सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;गंगासलाण वाले के भ्रष्टाचार, अनाचार, अत्याचार पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; लैंसडाउन तहसील वाले के धर्म सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;पौड़ी गढ़वाल वाले के वर्ग संघर्ष सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; उत्तराखंडी के पर्यावरण संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;मध्य हिमालयी लेखक के विकास संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;उत्तरभारतीय लेखक के पलायन सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; मुंबई प्रवासी लेखक के सांस्कृतिक विषयों पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; महाराष्ट्रीय प्रवासी लेखक का सरकारी प्रशासन संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; भारतीय लेखक के राजनीति विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य;सांस्कृतिक मुल्य ह्रास पर व्यंग्य , गरीबी समस्या पर व्यंग्य, आम आदमी की परेशानी विषय के व्यंग्य, जातीय भेदभाव विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; एशियाई लेखक द्वारा सामाजिक बिडम्बनाओं, पर्यावरण विषयों पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य श्रृंखला जारी ...]
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