History /Origin /introduction of Turnip (Brassica rapa) in Uttarakhand context
उत्तराखंड परिपेक्ष में सब्जियों का इतिहास - 15 History of Vegetables Agriculture and Food in Uttarakhand -15
उत्तराखंड में कृषि व खान -पान -भोजन का इतिहास --39
History of Agriculture , Culinary , Gastronomy, food, recipes in Uttarakhand 39
शलजम के जन्मस्थली के बारे में वैज्ञानिकों में सहमती नही है। किन्तु इस बात पर सहमती अवश्य है कि शलजम का जन्मस्थान मेडिटेरीयन भूभाग से पकिस्तान तक हो सकता है और 2000 BC से पहले शलजम का जन्म हो चुका था । वैज्ञानिक साबेरिया को भी शलजम का जन्मस्थान मानते है। सिकन्दर साहित्य (300 BC )में शलजम का उल्लेख मिलता है। संस्कृत में इसे शिखामूल कहते हैं।
ऐसा लगता है की शलगम का उपयोग भारत में 1500 BC में हो चुका था। इस समय भारत में शलजम का उपयोग तिलहन के लिए होता था।
उत्तराखंड में भी शलजम सिकन्दर युग से पहले उगाया जाता होगा. शायद पंजाब क्षेत्र से शलजम का ज्ञान उत्तराखंड के मैदानी निवासियों को हुआ होगा।
पहाड़ों में शलजम नही उगाया जाता है या बहुत कम ही उगाया जाता है . हो सकता है कि बड़े मूला के विकास के बाद शलजम की अहमियत पहाड़ों में कम हो गयी होगी। या यह भी हो सकता है कि शलजम की आयु कम होने से शलजम की खेती नही की गयी होगी। मैदानी , भाभर व तराई क्षेत्र में शलजम की बड़ी मात्रा में खेती होती है।
Copyright @ Bhishma Kukreti 23/10/2013
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