चबोड़्या -चखन्यौर्या -भीष्म कुकरेती
Copyright@ Bhishma Kukreti 26/10/2013
[गढ़वाली हास्य -व्यंग्य, सौज सौज मा मजाक मसखरी दृष्टि से, हौंस,चबोड़,चखन्यौ, सौज सौज मा गंभीर चर्चा ,छ्वीं;- जसपुर निवासी के जाती असहिष्णुता सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; ढांगू वाले के पृथक वादी मानसिकता सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;गंगासलाण वाले के भ्रष्टाचार, अनाचार, अत्याचार पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; लैंसडाउन तहसील वाले के धर्म सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;पौड़ी गढ़वाल वाले के वर्ग संघर्ष सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; उत्तराखंडी के पर्यावरण संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;मध्य हिमालयी लेखक के विकास संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;उत्तरभारतीय लेखक के पलायन सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; मुंबई प्रवासी लेखक के सांस्कृतिक विषयों पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; महाराष्ट्रीय प्रवासी लेखक का सरकारी प्रशासन संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; भारतीय लेखक के राजनीति विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य;सांस्कृतिक मुल्य ह्रास पर व्यंग्य , गरीबी समस्या पर व्यंग्य, आम आदमी की परेशानी विषय के व्यंग्य, जातीय भेदभाव विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; एशियाई लेखक द्वारा सामाजिक बिडम्बनाओं, पर्यावरण विषयों पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य श्रृंखला जारी ...]
(s =आधी अ = क , का , की , आदि )
इंद्र परेशान छौ , इंद्र की नींद -भूख -तीस हर्चीं छे , इंद्र असंमजस्य मा छौ बल यु हूणु क्या च किलै इन्द्रासन इथगा जोरूं से हिलणु च। अब त भारत मा ना तो ऋषि मुनि , ना ही क्वी मानव-दानव अर ना ही क्वी राजा तपस्या करद कि इन्द्रासन इथगा हिलो ! अब त तपस्या तैं अंधविश्वास माने जांद त इन्द्रासन हिलणों क्वी समस्या ही नि छे पण फिर बि इन्द्रासन हिलणु छौ जन बुल्यां क्वी दिवता या मानव इंद्र तैं धकेक इन्द्रासन पर बैठण इ वाळ च।
इंद्र चिंतित छौ त जन कि भारत मा नेताओं तैं ऐन चुनावों टैम पर मुसलमान अर गरीब याद औंदन ऊनि चिंता का क्षणों मा भगवानो अर देवी -दिवतौं तै बुढ़देव (नारद ) याद औंद त इन्द्रन बुढ़ देव बुलैन। इन्द्रन बुढ़देव (नारद ) से इन्द्रासन हिलणों कारण पूछ। बुढ़देव (नारद ) तैं भौत दिनों से जुकाम चलणों छौ त पृथ्वी मा क्या क्या होणु च की आत्म शक्ति से जानकारी प्राप्त करणम कठिनाई होणि छे। बुढ़देव (नारद )न जबाब दे बल हे इंद्र क्वीन क्वी च जो पृथ्वी लोक मा भगवान बौणि गे। मि तै लगणु च क्वी ये मानव या दानव तै लोग इथगा याद करणा छन कि यो भगवान बणन ही वाळ च। इंद्र की सलाह पर बुढ़देव (नारद ) भारत ऐन कि को च जो भगवान बणनो तैयारी मा च।
बुढ़देव (नारद ) गरीबुं इख गेन त ऊंन पायीं बल गरीब हर समय क्या सुपिन मा बि बरड़ाणु रौंद कि पैल बीस रुटि अर एक प्याज मा हमर दस मनिखों परिवारों गुजर बसर ह्वे जांद छौ अब योजना आयोग का दियां छबीस रुप्या मा एक दाणि प्याज बड़ी मुस्किल से मिलद त समज मा नि आणु कि छबीस रुप्या मा एक दाणि प्याज ल्युं कि आटु ल्यूं ? बुढ़देवन पता लगाइ बल भारत मा क्वी इन गरीब नी च जु दिन मा बीस दैं प्याज अर मंहगाई नाम नि ल्यावो ! बुढ़देवन गरीबुं बार बार भगवान की जगा प्याज अर मंहगाई तै याद करण से इन्द्रासन हिलणु च बुढ़देवन स्वाच कि गरीबुं की हाय अर याद से इन्द्रासन अवश्य हिल्दु पण गरीबुं हाय अर याद मा इथगा शक्ति कबि नि रै कि इन्द्रासन से इंद्र हटै दिए जावो।
बुढ़देव निम्न मध्यम वर्ग का ड्यार सर्वे वास्ता गेन त उख बि प्याज अर मंहगाई की ही चर्चा छे। योजना आयोग का हिसबन यि लोग यद्यपि निम्न मध्यम वर्ग मा आंदन पण प्याज अर मंहगाई कारण यि लोग गरीबुं श्रेणी मा शामिल ह्वे गेन। अब यी लोग श्याम प्रार्थना करदन बल हे प्रभु आप प्याज का रूप मा हमर ड्यार आवो ! निम्न मध्यम वर्ग का वास्ता प्याज एक दुर्लभ वस्तु ह्वे गे। निम्न मध्यम वर्ग का बच्चा बच्चा अब प्याज की ही प्रार्थना करदन कि हे प्याज ! तु हफ्ता मा ना सै त एक मैना मा हम तै दर्शन त दे दे !
बुढ़देव मध्यम मध्यम वर्ग का ड्यार गेन त बुढ़देवन पायि कि यद्यपि मध्यम मध्यम वर्ग का इख प्याज कांच की बरोऴयूं मा ड्र्वाइंग रूम मा धर्युं मिल्द। पण मध्यम मध्यम वर्ग प्याज कांच की बरोऴयूं मा ड्र्वाइंग रूम मा इलै नि धर्दु कि वो प्याज खाण लैक छन बल्कणम लोगुं तै जताणो बान ड्र्वाइंग रूम धरे जांद कि वो मध्यम मध्यम वर्ग का छन।
बुढ़देव (नारद ) गरीबुं इख गेन त ऊंन पायीं बल गरीब हर समय क्या सुपिन मा बि बरड़ाणु रौंद कि पैल बीस रुटि अर एक प्याज मा हमर दस मनिखों परिवारों गुजर बसर ह्वे जांद छौ अब योजना आयोग का दियां छबीस रुप्या मा एक दाणि प्याज बड़ी मुस्किल से मिलद त समज मा नि आणु कि छबीस रुप्या मा एक दाणि प्याज ल्युं कि आटु ल्यूं ? बुढ़देवन पता लगाइ बल भारत मा क्वी इन गरीब नी च जु दिन मा बीस दैं प्याज अर मंहगाई नाम नि ल्यावो ! बुढ़देवन गरीबुं बार बार भगवान की जगा प्याज अर मंहगाई तै याद करण से इन्द्रासन हिलणु च बुढ़देवन स्वाच कि गरीबुं की हाय अर याद से इन्द्रासन अवश्य हिल्दु पण गरीबुं हाय अर याद मा इथगा शक्ति कबि नि रै कि इन्द्रासन से इंद्र हटै दिए जावो।
बुढ़देव निम्न मध्यम वर्ग का ड्यार सर्वे वास्ता गेन त उख बि प्याज अर मंहगाई की ही चर्चा छे। योजना आयोग का हिसबन यि लोग यद्यपि निम्न मध्यम वर्ग मा आंदन पण प्याज अर मंहगाई कारण यि लोग गरीबुं श्रेणी मा शामिल ह्वे गेन। अब यी लोग श्याम प्रार्थना करदन बल हे प्रभु आप प्याज का रूप मा हमर ड्यार आवो ! निम्न मध्यम वर्ग का वास्ता प्याज एक दुर्लभ वस्तु ह्वे गे। निम्न मध्यम वर्ग का बच्चा बच्चा अब प्याज की ही प्रार्थना करदन कि हे प्याज ! तु हफ्ता मा ना सै त एक मैना मा हम तै दर्शन त दे दे !
बुढ़देव मध्यम मध्यम वर्ग का ड्यार गेन त बुढ़देवन पायि कि यद्यपि मध्यम मध्यम वर्ग का इख प्याज कांच की बरोऴयूं मा ड्र्वाइंग रूम मा धर्युं मिल्द। पण मध्यम मध्यम वर्ग प्याज कांच की बरोऴयूं मा ड्र्वाइंग रूम मा इलै नि धर्दु कि वो प्याज खाण लैक छन बल्कणम लोगुं तै जताणो बान ड्र्वाइंग रूम धरे जांद कि वो मध्यम मध्यम वर्ग का छन।
उच्च मध्यम वर्ग अर सौकर वर्ग अब अपण ड्र्वाइंग रूम मा लाख लाख रुपयों की कला/आर्टफुल चीज नि धर्दन बल्कि अब यी लोग प्याज का बनि बनि दाण अपण ड्र्वाइंग रूम मा सजैक लोगुं तै भरवस दिलांदन कि यी लोग सौकार छन, सेठ छन। अब यी लोग प्याज पार्टी कर्दन। युंकुण प्याज पार्टी माने फ़ाइव स्टार पार्टी !
नेताओं कुण त प्याज एक पहेली बणी गे। विरोधी नेता ह्वावो या सरकारी दल का नेता ह्वावो वो हर समय प्याज को ही स्मरण करदो। पैल गरीबी अर मुसलमान चुनावी मुद्दा हूंद छौ अब प्याज चुनावी मुद्दा ह्वे गे।
बुढ़देवन द्याख कि पैल भारत मा भगवानौ कसम खाए जांद छौ अब हर धर्म का मनष्य इन कसम खांद , " प्याज की सौं मीन झूट नि ब्वाल ! " या "झूट बुलल त मी पर प्याज की मंहगाई लग जैन !"
प्रेमिका अब प्रेमी से जेवरात की मांग नि करदी अपितु एक प्याज की मांग करदी।
कवि अर लिख्वारुंन अब प्याज तै अपण प्रतीकों मा शामिल करि ऐन अब हरेक कवि अर लेखक प्याज का नया नया उपमान खुज्याण मा व्यस्त च।
होटलुं मा अब बोर्ड लगी गेन " कृपया मुफ्त में प्याज मांगकर शर्मिन्दा ना करें " या "हमारे यहाँ प्याज की कोइ रेसिपी नही बनती " या " दो हजार रूपये के ऊपर वाले बिल पर एक प्याज का दाना मुफ्त दिया जाएगा। "।
आजकल प्याज तुलना कु चिन्ह बणि गे। अब अखबारों मा खबर आंद बल गेंहूँ प्याज से आधा दाम पर , जौ प्याज से डेढ़ गुना दाम पर ! सोना प्याज से चालीस गुना दाम पर ! अब प्याज असल मा करेंसी जन ह्वे ग्यायि।
बिचौलियोंन अब अपण पूजा गृह से लक्ष्मी फोटो उतार आलिन अब लक्ष्मी जगा 'प्याज बाबा' की पूजा हूँदी। अब भारत मा नया मन्दिर केवल 'प्याज बाबा ' का ही बणदन।
प्याज उत्पादक बि प्याज पूजा करद अर 'प्याज बाबा ' से पुछद ," बल हे प्याज बाबा ! बजार मा प्याज का दाम चार सौ -छै सौ गुणा बढ़ी गेन पण हम तै त दाम उथगा ही मिलणा छन जथगा एक साल पैल मिलदा छा। प्याज बाबा ! हम किसानो बि कुछ ख़याल कारो !"
बुढ़देवन अपण प्रिलिमिनरी रिपोर्ट इंद्र तैं भेजि कि चूँकि भारत मा हरेक भारतवासी हर पल प्याज को ही स्मरण करद त प्याज भगवान समान ह्वे गे इलै इन्द्रासन इथगा जोर से हिलणु च।
यांक बाद नारद जी इन भोजनालय खुज्याण लगि गेन जख दाळ -भुजि मा प्याज को छौंका लगद ह्वावो !
बुढ़देवन अपण प्रिलिमिनरी रिपोर्ट इंद्र तैं भेजि कि चूँकि भारत मा हरेक भारतवासी हर पल प्याज को ही स्मरण करद त प्याज भगवान समान ह्वे गे इलै इन्द्रासन इथगा जोर से हिलणु च।
यांक बाद नारद जी इन भोजनालय खुज्याण लगि गेन जख दाळ -भुजि मा प्याज को छौंका लगद ह्वावो !
Copyright@ Bhishma Kukreti 26/10/2013
[गढ़वाली हास्य -व्यंग्य, सौज सौज मा मजाक मसखरी दृष्टि से, हौंस,चबोड़,चखन्यौ, सौज सौज मा गंभीर चर्चा ,छ्वीं;- जसपुर निवासी के जाती असहिष्णुता सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; ढांगू वाले के पृथक वादी मानसिकता सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;गंगासलाण वाले के भ्रष्टाचार, अनाचार, अत्याचार पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; लैंसडाउन तहसील वाले के धर्म सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;पौड़ी गढ़वाल वाले के वर्ग संघर्ष सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; उत्तराखंडी के पर्यावरण संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;मध्य हिमालयी लेखक के विकास संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;उत्तरभारतीय लेखक के पलायन सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; मुंबई प्रवासी लेखक के सांस्कृतिक विषयों पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; महाराष्ट्रीय प्रवासी लेखक का सरकारी प्रशासन संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; भारतीय लेखक के राजनीति विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य;सांस्कृतिक मुल्य ह्रास पर व्यंग्य , गरीबी समस्या पर व्यंग्य, आम आदमी की परेशानी विषय के व्यंग्य, जातीय भेदभाव विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; एशियाई लेखक द्वारा सामाजिक बिडम्बनाओं, पर्यावरण विषयों पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य श्रृंखला जारी ...]
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आपका बहुत बहुत धन्यवाद
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