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उत्तराखंडी ई-पत्रिका

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Tuesday, October 8, 2013

शौचालय की सोचनीय सोच

चबोड़्या -चखन्यौर्या -भीष्म कुकरेती 

   
 जैदिन बिटेन नरेन्द्र मोदीन भाषण मा ब्वाल बल पहले शौचालय फिर  देवालय वैदिन बिटेन म्यार गां मा बि बबाल ह्वे गे।  सरा गां शौचमय ह्वे गे। 
हर समय गां बिटेन शौच अर शौचालय संबंधी फोन आणा रौंदन।  गां मा गूणी -बांदर -सुंगरूं , पलायन समस्या अफिक ख़तम ह्वे गे अर अब म्यार गां मा शौच समस्या सोचनीय ह्वे गे। सचिमा ! सबि शौच या शौचालय का बारा मा सुचणा छन।  लगद सरा गां शौचालय ह्वे गे धौं !
म्यार भतिजौ फोन आयि ," दादा जी ! जरा शौचालय  पर एक निबन्ध सुणावो  ना !"
मीन पूछ , " शौचालय पर निबन्ध ?"
नाती - हाँ दादा जी ! मास्टर जीन 'शौचालय' पर निबन्ध लिखणो होम वर्क दियुं च। 
मि -अच्छा ! तीन कुछ त सोचि होलु कि क्या लिखण ?
नाती - हाँ शुरुवाती लाइन तक त मीन लेखि आल कि " यों तो भारत में कई किस्म के आलय  हैं जैसे विद्यालय , औषधालय , चिकित्सालय , धर्मशालय , केश कर्तनालय , वैश्यालय , न्यायालय आदि। 
मि - अरे देवालय बि त च !
नाती -ना ना ! मास्टर जी भैरों गढ़ का पुजार्युं नौन  डोबरियाल छन अर उंकी ब्वे माबगढ़ मन्दिर का पुजारी की  बेटी कुकरेतण च त मास्टर जीन बोलि बल जु नौनु शौचालय  देवालय तैं ज्वाड़ल वैकि खैर नी च।   
मि -शौचालय बारा मा क्या क्या जानकारी चयाणि च ?
नाती - बस आप जरा इतिहास बतै द्यावो बकै मि नागराजा मन्दिर देखिक लेखि द्योल कि शौचालय कन होंद। 
मीन नाती तैं शौचालय को संक्षिप्त इतिहास बताइ। 
नाती -थैंक यू दादा जी ! पता च आज निबन्ध क्लास का बाद मास्टर जी हम तैं सिलोगी लिजाणा छन। 
मि - किलै ? उख कैको शौचालय च ? सब त जंगळ जांदन। 
नाती - नै नै उख अंग्रेजुं बणइं फारेस्ट चौकी च त उख बल शौचालय बि बण्युं  च। 
मि - हाँ ! हाँ ! अंग्रेजुंन सन 1880 मा  जंग्लातौ  देखरेखौ बान फारेस्ट चौकी बणै छे अर सन   1897 मा प्राइमरी स्कूल स्थापित करि  छे। 
नाती फोन कट त बोडी फोन ऐ गे। 
बोडी -भीखम ! सूण  वो इन सुणण मा आयि बल गां मा चार सार्वजनिक शौचालय बणण वाळ छन।  तो तू मेकुण शौचालय बान विशेष जुत्त भेजि दे। 
मि -शौचालयौ बान विशेष जुत्त?
बोडी - हाँ ! साबि बुना छन बल सार्वजनिक शौचालय च जरूर उख गू-मूताक  किचापिच हूणि च वांक बान सबि विशेष जुत्त मंगाणा छन। 
बोडि फोन कट कि मामाकोट बिटेन मोहन मामा क फोन ऐ गे।  मोहन मामा  प्रधान च। 
मोहन मामा -यार भीषम ! जब बिटेन नरेन्द्र मोदीक बयान आयि कि पहले शौचालय फिर देवालय त सबि गां वाळ पैथर पोड़ि गेन कि शौचालय बणाओ !
मि - हां त शौचालय बणान मा क्या ऐतराज ?
मोहन मामा - ऐतराज कुछ नी च।  पण इन बता कि शौचालयकु भैरौ  डिजाइन शिवाला जन हूण चएंद या दुर्गा मन्दिर जन या  मस्जिद जन या चर्च जन या जन कै हैंक देवालय जन हूण चएंद ?
मि -मामा जी शौचालय कु डिजाइन साधारण मकान जन हि हूंद। 
मोहन मामा - अच्छा ? त  शौचालय  कु  भैरौ डिजाइन ग्राम पंचायत जन ही बणै  दींदा। 
मि - हाँ !
मोहन मामा - वो जय राम रमेश अर मोदीक बयान सुणिक  सबि बुलणा छन शौचालय देवालय जन ही हूण चएंदन।   त  सूण शौचालय क भैर  नंदी बैल , देवी वाहन शेर या सरस्वती क वाहन हंस की मूर्ति लगण चएंद कि कै हैंको जानवर की मूर्ति ? 
मि - मामा जी ! कबज राक्षस की मूर्ति लगावो। 
मोहन मामा - हाँ या ठीक च।  सूण ! जरा कबज राक्षस की फोटो भेजी दे जरा।  फोटो जल्दी भेजी हाँ ! 
मोहन मामा क फोन बंद ह्वे त ब्लॉक प्रमुखक फोन ऐ गे। रिश्ता मा ब्लॉक प्रमुख भतिजु  लगद पण हम द्वी दगड़ि  स्कूलम छया त दोस्ती कु रिश्ता च । 
ब्लॉक प्रमुख -भीषम ! देहरादूनम त्यार साडू भाइ रौंद ना ?
मि - हां तो ?
ब्लॉक प्रमुख - त जरा ऊंकुण बोलिक  जमीन का मोल भाव करै दे। देहरादून मा एक बंगला  बणाणो बिचार च।  
मि -क्या बात ? देहरादून मा बंगलो ?
ब्लॉक प्रमुख - हां जब ब्लॉक का हरेक गां मा द्वी -चार सरकारी सार्वजनिक शौचालय बौणल  त एक बंगला जोग कमाई त होलि कि ना ? 
मि - औ ! जय राम रमेश अर नरेन्द्र मोदीन सच ही ब्वाल  बल शौचालय देवालय जन हि छन।  कैकुण शौचालय अर कैकुण  धन कमाउआलय  ! 



Copyright@ Bhishma Kukreti  8 /10/2013 



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