चबोड़्या -चखन्यौर्या -भीष्म कुकरेती
प्रेषक - त्यार बाडा
स्थान - ग्राम -गढ़पुर ,गढ़वाल
तिथि -१०/१०/१९७३
विलेज -गढ़पुर , गढ़वाल
डेट - 10 /10/2013
Copyright@ Bhishma Kukreti 10 /10/2013
[गढ़वाली हास्य -व्यंग्य, सौज सौज मा मजाक मसखरी दृष्टि से, हौंस,चबोड़,चखन्यौ, सौज सौज मा गंभीर चर्चा ,छ्वीं;- जसपुर निवासी के जाती असहिष्णुता सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; ढांगू वाले के पृथक वादी मानसिकता सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;गंगासलाण वाले के भ्रष्टाचार, अनाचार, अत्याचार पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; लैंसडाउन तहसील वाले के धर्म सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;पौड़ी गढ़वाल वाले के वर्ग संघर्ष सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; उत्तराखंडी के पर्यावरण संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;मध्य हिमालयी लेखक के विकास संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;उत्तरभारतीय लेखक के पलायन सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; मुंबई प्रवासी लेखक के सांस्कृतिक विषयों पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; महाराष्ट्रीय प्रवासी लेखक का सरकारी प्रशासन संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; भारतीय लेखक के राजनीति विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य;सांस्कृतिक मुल्य ह्रास पर व्यंग्य , गरीबी समस्या पर व्यंग्य, आम आदमी की परेशानी विषय के व्यंग्य, जातीय भेदभाव विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; एशियाई लेखक द्वारा सामाजिक बिडम्बनाओं, पर्यावरण विषयों पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य श्रृंखला जारी ...]
(s =आधी अ )
प्रिय भतीजो !
चरंजीव। अत्र कुशलम तत्रास्तु। प्रथम स्वास्थ्य रक्षा बाद को अन्य कार्य।
तेरी दियीं चीज सबि भाना बिटेन मील गेन।
सबसे कामै चीज त सिन्नर महाराष्ट्र की ऊँट छाप बीड़ी बंडल छन , गोंदिया महाराष्ट्र की घ्वाड़ा छाप पेकि बिखळाण पोड़ि गे छे।
सबसे कामै चीज त सिन्नर महाराष्ट्र की ऊँट छाप बीड़ी बंडल छन , गोंदिया महाराष्ट्र की घ्वाड़ा छाप पेकि बिखळाण पोड़ि गे छे।
हमन दूर भद्वाड़ खेती करण छोड़ि ऐन त समय कटण कठण ह्वे गे छौ। तीन जु तास भेजिन वो सब्युं तैं त भौत पसंद ऐन। अब हम मर्दों तैं टाइम पास करण saral ह्वे जालो।
चाणा , लैचि त तू हमेशा भेजदि छौ अबै दै लैमचूस भेजिन त मि समजि ग्यों तेरि तनखा बढ़ी ही गे होलि।
भानाक ड्यार पौंछण से पैल मन्योडर मिल गे छौ। उन त आशा जादा की छे पण चलो जीवन काटि ल्योला।
ए साल बरखा सामान्य ह्वे त मि भाना दगड़ थ्वड़ा -थ्वड़ा चपड़ चूड़ा , मुंगरि - भट्टू खाजा , क्वादो चून, झंगोरा , गहथ त भेजणु इ छौं अर जू भाना हां ब्वालल त तोर , उड़द , बड़ी , थ्वड़ा सि मूळाs सुक्सा , जख्या -भंगुल बि भेजि देलु।
गूना मा भिज्याँ गरम मसाला पूरो साल चलि जाला।
बकै गूना बि आणु च वैक दगड़ कुछ हौर बि भेजि द्योलु।
त्यार बाडा!
(दस्ती पत्र )
सेंडर - मिसेज किसमी नौट
रिस्पेक्टेड कक्या ससुर जी !
उन त मोबाइल पर आपक अर म्यार ल्यंथी डिसकसन ह्वे इ गे छौ। जस्ट रिमाइंड करणों बान इमेल करणु छौं।
भलो लग कि तुम नागराजा पुजणो गां आणा छंवां। डेफिनेटली वी श्यल हैव गुड टाइम।
इख कोटद्वार, ऋषिकेश या देहरादून मा बि पहाड़ी क्वाद , झंगोरा मिलण बंद ह्वे ग्यायी त आप तख मुंबई बिटेन कर्नाटकी क्वादों, रायगढ़ कु झंग्वर , सतारा कु लुब्या, धुलिया कु सूंट लाण नि बिसरेन।
अर मीन छै सात मैना ह्वे गेन बौड़्युं साग नि चाख त तख मॉल बिटेन उड़द अर मूंग की बड़ी बि लयेन। अर हाँ ! बल तख मुंबई मा लातूर महाराष्ट्र का बरामशा तिमल बि मिलदन त पक्याँ तिमलौ द्वी बौक्स लयेन। पता नी कथगा साल ह्वे गेन धौं हमन तिमल नि चाखिन। अर महाबलेश्वर का पहाड़ी मूळा लाण नि बिसरेन !
रिसिकेश उतरिक हिमाचल स्टोर बिटेन हिमाचली उड़द , हिमाचली पहाड़ी तोर , हिमाचली रयांस, हिमाचली जख्या -भंगुल अर डंफू -बेरी आदि जु बि पहाड़ी भोज्य पदार्थ दिख्याल सि जरूर लयेन।
इख गां मा पोटेटो चिप्स , बीकानेरी नमकीन , नोड्युल , चौकलेट आदि सब मील जालो। शराब लाणै जरुरत नी च इख बजार मा अधा रात मा बि शराब मील जांद। मुर्गा , मच्छी , बखर -सुंगर की शिकार सब गां मा उपलब्ध च त यांकि फिकर कतै नि कर्याँ।
ब्याळि इ आपक ट्रांसफर कर्याँ रुपया म्यार बैंक अकाउंट मा ट्रांसफर ह्वे गेन।
मर्द लोग त जुआ अर शराब से फ़ालतू समय काटि लींदन पण हम जनान्युं तै समय कटण कठण ह्वे गे त आठ -दस जनान्युं लैक वीडिओ गेम्स बि लै ऐन।
सी यूं वेरी सून ऐट युवर ओन विलेज !
तुमारि डॉटर इन लॉ
किसमी नौट !
## दिस इमेल इज सेंट थ्रू ब्लैकबेरी। गो फॉर ब्लैकबेरी !
[गढ़वाली हास्य -व्यंग्य, सौज सौज मा मजाक मसखरी दृष्टि से, हौंस,चबोड़,चखन्यौ, सौज सौज मा गंभीर चर्चा ,छ्वीं;- जसपुर निवासी के जाती असहिष्णुता सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; ढांगू वाले के पृथक वादी मानसिकता सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;गंगासलाण वाले के भ्रष्टाचार, अनाचार, अत्याचार पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; लैंसडाउन तहसील वाले के धर्म सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;पौड़ी गढ़वाल वाले के वर्ग संघर्ष सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; उत्तराखंडी के पर्यावरण संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;मध्य हिमालयी लेखक के विकास संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;उत्तरभारतीय लेखक के पलायन सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; मुंबई प्रवासी लेखक के सांस्कृतिक विषयों पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; महाराष्ट्रीय प्रवासी लेखक का सरकारी प्रशासन संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; भारतीय लेखक के राजनीति विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य;सांस्कृतिक मुल्य ह्रास पर व्यंग्य , गरीबी समस्या पर व्यंग्य, आम आदमी की परेशानी विषय के व्यंग्य, जातीय भेदभाव विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; एशियाई लेखक द्वारा सामाजिक बिडम्बनाओं, पर्यावरण विषयों पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य श्रृंखला जारी ...]
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