चबोड़्या -चखन्यौर्या -भीष्म कुकरेती
Copyright@ Bhishma Kukreti 31 /10/2013
[गढ़वाली हास्य -व्यंग्य, सौज सौज मा मजाक मसखरी दृष्टि से, हौंस,चबोड़,चखन्यौ, सौज सौज मा गंभीर चर्चा ,छ्वीं;- जसपुर निवासी के जाती असहिष्णुता सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; ढांगू वाले के पृथक वादी मानसिकता सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;गंगासलाण वाले के भ्रष्टाचार, अनाचार, अत्याचार पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; लैंसडाउन तहसील वाले के धर्म सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;पौड़ी गढ़वाल वाले के वर्ग संघर्ष सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; उत्तराखंडी के पर्यावरण संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;मध्य हिमालयी लेखक के विकास संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;उत्तरभारतीय लेखक के पलायन सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; मुंबई प्रवासी लेखक के सांस्कृतिक विषयों पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; महाराष्ट्रीय प्रवासी लेखक का सरकारी प्रशासन संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; भारतीय लेखक के राजनीति विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य;सांस्कृतिक मुल्य ह्रास पर व्यंग्य , गरीबी समस्या पर व्यंग्य, आम आदमी की परेशानी विषय के व्यंग्य, जातीय भेदभाव विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; एशियाई लेखक द्वारा सामाजिक बिडम्बनाओं, पर्यावरण विषयों पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य श्रृंखला जारी ...]
(s =आधी अ = अ , क , का , की , आदि )
म्यार भतिजु ये आधुनिक युग मा बि सुबेर ब्यणसरिकम बिजि जांद अर अपण सग्वड़म काम करण मिसे जांद।
मीन सुबेर आठ बजि फोन कार त वैन मोबाइल नि उठाइ , नौ बजि बि मोबाईलै घंटी ऊनि बजणि राइ , दस बजि बि नो रिप्लाइ , अग्यारा बजि की फोन कि घंटी निरंतर बजदि गे। चिंता ह्वे कि कखि गांव मा कुछ अणभर्वस त नि ह्वे गे हो ? मीन लैंडलाइन पर फोन कार त ब्वारिन फोन उठै। ब्वारिन बतै बल," ऊंक बुल्युं च बल बारा बजे तक वूं तैं क्वी नि उठैन किलैकि वूंन आज भौत बड़ो सुपिन दिखण।"
मि चकरै ग्यों कि अब जवान लोग सुपिन बि अपण मर्जी से दिखण बिसे गेन !
खैर साढ़े बारा बजि मीन फिर से फोन कार त म्यार भतिजौन फोन उठै।
सिवा सौंळि उपरान्त मीन पूछ - यि क्या च भै भौत बड़ो सुपिन ?
भतिजु -हाँ अब मीन कसम खै याल कि जब सुलारै जरूरत होलि त मीन पूरी कपड़ा फैक्ट्री मांगण।
मि -हैं ?
भतिजु -हां अर मि तैं भूख ह्वेली द्वी रुटि कि त मीन पुरो ग्युं पुंगड़ो सुपिन दिखण।
मि -क्या बुनि छे , कुछ बिंगणम (समजम ) नि आणु च ?
भतिजु -हमर गां तैं स्कुलो आवश्यकता होलि त हम इन्टरनेसनल यनिवर्सिटी कि मांग करला . अर एक फुट चौड़ गुरबट की जरूरत हो त सिक्स लेन मोटर सड़क का सुपिन दिखण।
मि -त तु आज सरा सुबेर सुपिन दिखणु रै ?
भतिजु -हां।
मि -क्या क्या सुपिन द्याख ?
भतिजु -मीन द्याख कि सरा पहाड़ी गाउँ मा बगीचा लग गेन , फूलूं बग्वान लगि गेन। हरेक गाड -गदनम छुटा छुटा बाँध बणि गेन अर पहाडुं हरेक गांका पुंगडुं सिंचाई पाइप से हूणि च। सरा पहाड़ सिंचित पहाड़ ह्वे गे। पहाड़ खुसहाल ह्वे गेन।
मि -अच्छा ! अर गूणि बांदर -सुंगर ?
भतिजु -वांकुण इलेक्ट्रॉनिक यंत्र लग गेन जो ख़ास अल्ट्रा साउंड से गूणि बांदर -सुंगर भगै दीन्दन। उत्तराखंड का पहाड़ सबसे बड़ा फल अर फूल उत्पादक ह्वे गे। हरेक ब्लॉक मा फ़ूड प्रोसेसिंग फैक्ट्री लगीं छन.
मि -अरे वाह ! सचमुच मा बड़ो कामौ सुपिन च !
भतिजु -हाँ अर हरेक गां माँ अंतररास्ट्रीय स्तर का स्कूल , कॉलेज छन जख मुम्बई , दिल्ली इ ना न्यूआर्क , लंदन का नौन्याळ पढ़णो आन्दन। उत्तराखंड का सबि पहाडी गाँ बिगेस्ट एज्युकेशन हब बणी गेन ।
मि -मानण पोड़ल बल सुपिनो मा दम ख़म च कि पहाड़ों मा पारम्परिक उद्यम ना बलकणम अंतररास्ट्रीय स्तर वळ शिक्षा जना उद्यम लगण चयेंदन।
भतिजु -अर हरेक ब्लॉक मा एक हॉस्पिटेलिटी मैनेजमेंट स्कूल च जख दुनिया भर का विद्यार्थी प्रबंध शास्त्र की शिक्षा लीणम गर्व करदो।
मि -सचमुच मा त्यार आँख खुलि गेन भै ।
भतिजु -हरेक गां मा रोप वे से अये -जये जांद अर अर हरेक पट्टी मा हैली पैड बणि गेन। अब हमर गां वॉल मुम्बई नि जान्दन बलकणम मुम्बै -दिल्ली वाळ शिक्षा अर नौकरी बान हमर गां आन्दन !
मि -अच्छा !
भतिजु -हरेक पहाड़ी अरब पति ह्वे गे।
मि -अरे पण यी सुपिन त पूरा ह्वे इ नि सकदन
भतिजु -नै नै राहुल गांधीन बोलि कि तुम खाली सुपिन द्याखो बाकी काम कॉंग्रेस कारलि।
मि - राहुल गांधी त अचकाल अपण दादी अर बुबा जीक शहादत की बात करद या पकिस्तान कन हमर बच्चा पकिस्तान का भकलौण मा आणा छन की ही बात करद तो फिर यो सुपिन ?
भतिजु -परसि राहुल गांधीन बुंदेलखंड वाळु तैं डांट कि "तुम लोग नीचे देखतो हो। तुमको समज ही नही है। तुम्हे बड़े सपने देखने चाहिए। यदि तुम्हे रेल मार्ग चाहिए तो इंडस्ट्रियल जोन की मांग करो। छोटी मांग मत करो ! "
मि -अरे पण यदि राहुल चांदो कि बुंदेलखंड मा इंडस्ट्रियल जोन हूण चयेंद त केंद्रीय सरकार बुंदेलखंड मा सेंट्रेल इंडस्ट्रियल जोन लगै सकद , रेल मार्ग लै सकद। इखमा जनता तैं सुपिन दिखणै जरुरत क्या च ?
भतिजु -नै नै चूँकि उत्तर परदेश मा कॉंग्रेसी सरकार नी च त राहुल गांधी चैका (चाहते हुए ) भी कुछ नि कौर सकुद। इलै राहुल जी बुंदेलखंड की जनता तै बुलणा छन कि जब तलक उत्तर परदेश मा कॉंग्रेसी सरकार नि आंदि तब तलक केवल सुपिन द्याखो।
मि -ओहो ! बिचारो राहुल गांधी कथगा परेशान होलु कि चूँकि बुंदेलखंड मा कॉंग्रेसी सरकार नी च त बुंदेलखंड को विकास नी हूणु च।
भतिजु -हाँ चूंकि केंद्र अर उत्तराखंड मा कॉंग्रेसी सरकार च त मि राहुल गांधी बुल्युं मानिक बड़ा-बड़ा , ऊंचा -ऊंचा सुपिन दिखणु छौं।
मि -बंद कौर यी फोकटिया सुपिन दिखण। ना त भाइन जनम लीण अर ना ही भाई बांठै भति खयाण। ना नौ मण तेल आयेगा और ना ही राधा नाचेगी। क्वी माइ को लाल राहुल गांधी तैं पुछण वाळ नी च कि राजस्थान अर केंद्रम त कॉंग्रेसी सरकार छे तो फिर उख पिछ्ला पांच सालुंम कथगा नै नै इंडस्ट्रियल जोन खुलेन ?
भतिजु -काका ! पण एक बात धौ च सुपिन दिखणम बड़ो अति सुखद आनंद आंद। !
मि -सन सैंतालीस बिटेन हम नेताओं बुलण पर सुपिन देखिक ही त दिन काटणा छंवां ! [गढ़वाली हास्य -व्यंग्य, सौज सौज मा मजाक मसखरी दृष्टि से, हौंस,चबोड़,चखन्यौ, सौज सौज मा गंभीर चर्चा ,छ्वीं;- जसपुर निवासी के जाती असहिष्णुता सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; ढांगू वाले के पृथक वादी मानसिकता सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;गंगासलाण वाले के भ्रष्टाचार, अनाचार, अत्याचार पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; लैंसडाउन तहसील वाले के धर्म सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;पौड़ी गढ़वाल वाले के वर्ग संघर्ष सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; उत्तराखंडी के पर्यावरण संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;मध्य हिमालयी लेखक के विकास संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;उत्तरभारतीय लेखक के पलायन सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; मुंबई प्रवासी लेखक के सांस्कृतिक विषयों पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; महाराष्ट्रीय प्रवासी लेखक का सरकारी प्रशासन संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; भारतीय लेखक के राजनीति विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य;सांस्कृतिक मुल्य ह्रास पर व्यंग्य , गरीबी समस्या पर व्यंग्य, आम आदमी की परेशानी विषय के व्यंग्य, जातीय भेदभाव विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; एशियाई लेखक द्वारा सामाजिक बिडम्बनाओं, पर्यावरण विषयों पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य श्रृंखला जारी ...]
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