फक्वा बादी : भीष्म कुकरेती
(s =आधी अ = क , का , की , आदि )
नरेंद्र मोदी सचमुच मा शब्दुं खिलाड्यूं गुरु घंटाल च। द्याखो ना मजा मजा मा राहुल गांधी तैं ' शहजादा ' बोलिक बोलिक मोदीन सरा दुन्या मा जोरौ भोंपू बजै दे बल राहुल गांधी परिवार वाद -वंशवाद की निशाणि च।
अफु तैं प्रजातंत्रौ प्रमुख प्रहरी मानण वाळ कॉंग्रेसी नरेंद्र मोदी पर भड़क गेन। शहजादा का चौकीदार या बौडीगार्ड ब्वालो जनार्दन द्विवेदीन धमकी दे दे बल हम तैं प्रजातंत्र के नि पोड़ी हूंद त हम देखि लींदा कि कन नरेंद्र मोदी राहुल तैं शहजादा बोल्दू धौं ! राहुल गांधी को छवि चौकीदार या इमेज गार्ड जनार्दन द्विवेदी सही बुलणु च। ये भै कॉंग्रेस कु बेताज बादशाह तैं नरेन्द्र मोदी शहजादा बोलिक भट्यालु त कॉंग्रेसी हि ना शिव सेना कु उद्धव ठाकरे या अकाली दल कु प्रकाश सिंग बादल तैं बि बुरु लगल कि ना ? नरेन्द्र मोदी हमेशा से हैंक तैं हीण , तुच्छ , छ्वटु समजद । जब राहुल गांधी कौंग्रेस का हिसाब से चक्रवर्ती सम्राट च त नरेंद्र मोदी द्वारा राजकुमार या शहजादा बुलण प्रजातंत्र की महा बेज्जती ह्वे कि ना ?
कॉंग्रेसी सही छन। कौंग्रेस कु मानण च कि शैजादा त साकेत बहुगुणा वल्द जनाब विजय बहुगुणा , या संदीप दीक्षित पुत्र श्रीमती शीला दीक्षित जन छ्वटा -म्वटा प्रजातन्त्री सामंतों या जागीरदारुं बेटा ह्वे सकदन। महारानी सोनिया गांधी का पुत्र तैं त चक्रवर्ती सम्राट ही बुलण प्रजातन्त्री मर्यादा माने जाल । मी बि कॉंग्रेस्युं दगड़ छौं बल नरेन्द्र मोदी बार बार प्रजातंत्र की मर्यादा तुड़णु च अर चक्रवर्ती सम्राट तैं सिर्फ शहजादा बुलणु च।
भारत मा गणतन्त्र पर परिवारवाद को अन्यायपूर्ण अतिक्रमण , नॉन जुडिसियल इन्क्रोचमेंट क्वी नई बात नी च। हजारों साल पैल जब भारत मा श्रम विभाजन छौ याने शरीर अर ज्ञान कु हिसाबन काम बांटे जांद छौ तबि शुक्राचार्य , वृहस्पति या मनु सरीखा दिग्विजय सिंह या जनार्दन द्विवेदी सरीखा ग्यानी ऐन अर ऊंन भ्रम फैलाई कि ब्राह्मण का बेटा ही ब्राह्मण ह्वालु , क्षत्रिय कु पुत्र ही क्षत्रिय ह्वे सकुद अर शिल्पकार का बच्चा केवल शिल्पकार ही ह्वे सकदन अर यां से गणतन्त्र पर जातिवाद को गरण ही नि लग बल्कणम भारत मा सामन्तवाद, साम्राज्यवाद को अवतरण बि ह्वे ।
अचकाल नरेंद्र मोदी कौंग्रेस पर वंशवाद ब्वालो या मनुस्मृति वाद ब्वालो को लांछन रोज लगाणु च। गूणी अपण लम्बो पूंच नि दिखदु पण बांदरो कुण ब्वाद बल तैको पूंच लम्बो च। यो ही हाल भविष्य को भारत को भाग्य बिधाता नरेन्द्र मोदी कु हाल बि च। अकाली दल को वंशवाद वंशवाद नी च , शिव सेना को वंशवाद वंशवाद नी च , कल्याण सिंह को वंशवाद वंशवाद नी च , महारानी टिहरी को वंशवाद वंशवाद नी च , धुमाल को अनुराग ठाकुर वंशवाद वंशवाद नी च , वसुंधरा राजे सिंदिया को वंशवाद त प्रजातंत्र को महल च पण नरेंद्र मोदी तैं केवल और केवल कौंग्रेस को वंशवाद मा ही प्रजातंत्र मा पैरी पड़ण (भूस्खलन ) दिख्याणु च।
अचकाल त कै बि राजनैतिक दल का चुनावी टिकेट बंटवारा बैठक मा द्याखो त घंटों गम्भीर चर्चा हूंदि कि विधायक या सांसद का राजकुमारुं तैं क्व़ा क्व़ा सेफ सीट दिए जावो कि शहजादा बगैर मेहनत से चुनाव जीती जावन । जब राजकुमारुं से कुछ सीट बची जावन त फिर द्वी चार सीट हौरुं तै दिए जांद। प्रजातंत्र माँ वंशवाद से धीरे धीरे जनता मा राजनैतिक संवेदना ही चौपट ह्वे जालि अर प्रजातंत्र को नाम पर सावंतवाद ही बच्युं रालो।
असल मा सबि पार्टी मनुवाद का रस्ता पर चलणा छन कि थोड़ा दिनु मा केवल प्रधान का बेटा ही प्रधान बौणल , सिर्फ सरपंच का बेटा ही सरपंच की कुर्सी हथ्यालु , केवल विधायक का बेटा ही विधयक बणल , सांसदुं बेटों तैं ही संसद चुनाव का टिकेट मीलल।
जब कौंग्रेस या अन्य पार्टी वाळु से वंशवाद का बारा मा क्वी पत्रकार प्रश्न पूछो त धूर्तता पूर्वक उत्तर दींदन कि तुम पत्रकार तो लाखों -करोड़ों लोगुं बेज्जती करणा छंवां जौन हमर राजकुमारों तैं जितवाइ। नव सामंत वाद का समर्थन मा यी चकड़ैत ,धुर्या प्रजातंत्र अर जनता की दुहाई दींदन। हे भै टिकेट तुम दींदा त जनता मा पर्याय क्या च? जनताक पास त पर्याय छन कि सांपनाथ तै चुनो या नागनाथ तैं चुनो या कोबरानाथ तै इलेक्ट करो !
शुक्राचार्य , मनु, चाण्यक आदियुन बि गणतन्त्र ख़त्म करणों वास्ता इनि बेवकूफ बणाणो कुतर्क अर कथा भारत मा फ़ैलायि छे अर वंशवादी राजतन्त्र अर वंशवादी जातीय व्यवस्था का वास्ता रस्ता बट्याइ।
शुक्राचार्य , मनु, चाण्यक आदियुन बि गणतन्त्र ख़त्म करणों वास्ता इनि बेवकूफ बणाणो कुतर्क अर कथा भारत मा फ़ैलायि छे अर वंशवादी राजतन्त्र अर वंशवादी जातीय व्यवस्था का वास्ता रस्ता बट्याइ।
प्रजातंत्र मा वंशवाद स्वार्थी सामन्तवादी व्यवस्था को सूचक च अर जनतंत्र तै ये नव सामन्तवाद से बहुत ही खतरनाक खतरा च।
आज प्रजातंत्र तै वंशवाद से उथगा ही खतरा च जथगा खतरा बाहुबलियों , भ्रष्ट नेताओं , घोर अपराधी, बलात्कारी नेताओं से च। बस फरक या च कि प्रजातन्त्री वंशवाद को गू -मोळ पर चांदी का वर्क चढ्यूं च।
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