चबोड़्या -चखन्यौर्या -भीष्म कुकरेती
(s =आधी अ = क , का , की , आदि )
घरवळि -तुम से बढ़िया त वी ठीक छौ। सुपिन देखिक विधायक , नगर सेवकुं पास त जांद छौ !
मि - हैं ! क्वा च उ निर्भागि जै तैं ब्यौवक तीस साल बाद बि याद करणि छे ?
घरवळि -निर्भागी छौ या सुभागि छौ वु सुपिन त दिखुद त छौ. तुम त देशौ कुण एक मुठि लोखरौ सुपिन बि नि देख सकदां !
मि - ओहो ! कै देशभक्तौ बात हूणि च ?
म्यार नौनु -पापा देहरादून में नही हैं वो पागल अंकल , जो नास्ते में सपना देखते हैं और फिर सारे दिन नगर सेवकों , मेयर , विधयाकों, सरकारी अधिकारियों के पास जाते हैं !
मि - और फिर सभी से कहते हैं कि छाया पुजै करवा दो तो बद्रीनाथ में नारियल के पेड़ अपने आप उग आयेंगे , भूत पुजै करवाओगे तो तुंगनाथ में काजू के जंगल पैदा हो जायेंगे
नौनु -हाँ
मि - अर मेकुण बुलणु छौ सय्यद पुजै कारो त मुंबई मा चीड़ पैदा ह्वे जालो।
नौनु -नाना जी ममी की शादी उसी पागल अंकल से करवा रहे थे।
मि -त शादी किलै नि ह्वाइ ?
नानु -पागल अंकल ने ममी से कहा कि पहले अन्छेरी पुजाइ होनी चाहिए जिससे ममी के एक साथ छै बच्चे पैदा हो सकें। नानी ने शादी से मना कर दिया कि मेरी बेटी गर्भवती अवस्था में छै बच्चों को कैसे जनक्यायेगी !
मि - आहा आहा ! छै बच्चा इकदगड़ी !
घरवळि -अरे वू देस का खातिर सुपिन दिखुद। तुम से त गढवाल का खातिर एक लोखरौ खपटणौ सुपिन बि नि दिखे सक्यांद !
मि - अरे सुपिन देखिक बि देस की सेवा हूंद क्या ?
घरवळि -जु तुम बि शोभन सरकार का तरां सुपिन दिखदा कि तुमर गांवक मन्दिर तौळ हजारों टन सोना छुप्युं च।
मि - त सुपिन देखिक क्या ह्वे जांद ?
घरवळि -फिर तुम अपण सुपिनौ बात यमकेश्वर क्षेत्र की विधायिका श्रीमती विजया बड़थ्वाळ से करदा।
मि - त क्या विजया बड़थ्वाळ बौ मेरि बात पर विश्वास करदी ?
घरवळि -किलै नि करदी। तुमर माँ अर विजया दीदी क सासू एकी जातिक छन त विजया दीदी तैं तुमर बातुं पर विश्वास करण हि पोड़द कि जसपुरम मन्दिर तौळ हजारों टन सोना छुप्युं च।
मि - विजया बड़थ्वाळ भौज को विश्वास करण से क्या ह्वे जांद।
घरवळि -विजया बड़थ्वाळ दीदी तुम तैं केन्द्रीय खाद्य मंत्रीम ली जान्दी अर तुम अपण सुपिनौ बात खाद्य मंत्री से करदा।
मि - सोना को खाद्य मंत्रालय से क्या संबंध ?
घरवळि -फिर केन्द्रीय खाद्य मंत्री आर्कियोलौजिकल सर्वे वाळु तै जसपुरौ मन्दिर की खुदाई का आदेस दींदा।
मि - ह्याँ पण आर्कियोलौजिकल सर्वे वाळ इनि सुदि खुदाइ नि करदन।
घरवळि -फिर सुपिन की बात अर आर्कियोलौजिकल सर्वे वाळु खुदाई की बात मीडिया तै बताये जांदी।
मि - ह्यां पण मीडिया इन बातों पर ध्यान नि दींद , मीडिया त पता लगांदु कि आज आशाराम बापून कथगा दै पिशाब कार या जेलम लालू प्रसाद यादव आज बै हौड़ फरक च कि ना ! मीडियाम कख च इथगा बगत ?
घरवळि -मीडिया हजार टन सोनाs बात तै इथगा सेन्सेनाइज करी दींदु कि दुनिया का लोग बि मानी लीन्दा कि जसपुरम हजार टन सोना मील गे।
मि - ह्यां पण इन मा त जग हंसाई ही होंदी कि ना ?
घरवळि -फिर जसपुर वाळ टीवी कैमरों समणि आपस मा लड़दा कि सोना कैक च !
मि - ह्यां पण …. …
घरवळि -बहुगुणा लोग लड़दा कि चूंकि मन्दिर का पुजारी बहुगुणा छन तो हजार टन सोना पर अधिकार बहुगुणाओं क च।
मि - अरे पण ….
घरवळि -जखमोला लड़दा कि चूंकि मन्दिर जखमोलाओं पुंगड़ो मथि च त सोना पर हक जखमोलाऊं को ही च।
मि -ए इ मेरि ब्वे ….
घरवळि -कुकरेती लड़दा कि चूंकि कुकरेती जसपुर का प्राचीन वासिन्दा छन त सोना पर अधिकार कुकरेत्यूं क च
मि - ओहो !
घरवळि -ग्वील का कुकरेती ही ना समस्त भारत का कुकरेती जसपुर ऐ जांदा कि चूंकि मन्दिर छै सौ साल पुराणो च त सोना पर हरेक कुकरेती को हक च।
मि - उफ ….
घरवळि -शिल्पकार बुल्दा चूंकि मन्दिर ऊंका पुरखोंन चीण त शिल्पकार ही हजार टन सोना का हकदार छन।
मि - हक की बात त तब होलि कि जब सोना मीलो।
घरवळि -फिर योजना आयोग सभी प्रदेशों तैं निर्देश दींदो कि हरेक प्रदेश मा हर विभाग मा एक सुपिन दिखण वाळ साधु तैं नौकरी दिए जावो जो सुपिन देखिक बतालो कि प्रदेस मा क्वा क्व़ा योजना चलण चयेंदन ।
मि - क्या बुलणि छे तू ?
घरवळि -यां से मुसलमान भड़की जांदा त सुपिन दिखण वाळ पोस्ट कुछ सीट मुस्लिम औल्याओं वास्ता बि रिजर्ब करे जांद।
मि - मेरी भागवान हम इकीसवीं सदी मा छवां ना कि अग्यारवीं सदी मा कि जब मन्दिर पुजारी बुल्दा छा कि सोमनाथ मन्दिर की रक्षा सेना ना भगवान शिव कारल !
घरवळि -पण इकीसवीं सदी मा ही त साधुक सुपिन देखिक उन्नाव का डुआंडला गांवमा आर्केओलोजी सर्वे का वैज्ञानिक खुदाइ करणा छन कि ना ?
मि - सूण यदि उख खुदाई से सोना मिल बि गे तो बि मि सुपिन जन बातों पर विश्वास नि करलो।
घरवळि -तुम से त अपण परिवारों समृधि अर प्रसिद्धि की पड़ी ही नी च।
मि - किलै नी पड़ी च पण समृधि अर प्रसिद्धि पाणों वास्ता बि वैज्ञानिक अर तार्किक सोच का सहारा ही आवश्यक च ।
घरवळि -यां ! हमर बान एक दैं लोखरौ खपटणौ सुपिन द्याखो त सै !
Copyright@ Bhishma Kukreti 19/10/2013
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