(गढ़वाल, उत्तराखंड,हिमालय से गढ़वाली कविता क्रमगत इतिहास भाग - 224)
-
(Critical and Chronological History of Garhwali Poetry, part -224)
By: Bhishma Kukreti
Vijay Singh Kaintura is literature lover and social –cultural activist. he has been involved in various social works and cultural programs for social development . Vijay Singh Kaintura helped Guna Nand Pathik in publishing Garhgita a poetry collection too.
Vijay Singh Kaintura was born in 1946, village Baur of Juva Patti of Tehri Garhwal. Vijay Singh Kaintura published a couple of Garhwali poems and mostly all are inspirational in subjects.
सुधरयूं गौं (गढ़वाली गीत )
रचना -- विजय सिंह कैंतुरा
-
जख धर्म मानव मानेंदु येक
कर्मण्यता श्रम , शिक्षा विवेक ,
सभि लोग जग का गुण्या पढ्यां होन
जना चौंळ साठी छण्या पुण्या होन।
कखि नांग भूख रौ ना जरा भर ,
अधिकार सबका बट्यां बराबर
आदर व आदर्श हर कै जगा हो
आपस को झगड़ा कखि ना जरा रौ।
जनता जनार्दन मानेन्दि जख हो
मानवता सचमुच पालेन्दि तख हो।
जख जाती धर्म बिलकुल मिट्यूं हो
समानता को माथो उठ्युं हो।
छुवा छूत का होन विरोधी
मनखी समाज बणो सोधी सोधी।
सुखी सभी होन दुःख ना कखि रौ
बणी सुणाणी सबुमा भली हो।
स्वालम्ब साधन को जब होलो सोध
मांगण्या प्रथा को होलो विरोध
खेती किसाणी का शास्त्री धुरेन्द्र
सभी सभा होन उद्योग केंद्र।
(Ref-Gitang , 1983 से )
Copyright@ Bhishma Kukreti, 2017
-
चमोली गढ़वाल , उत्तराखंड , उत्तरी भारत कविता , लोकगीत इतिहास ; रुद्रप्रयाग गढ़वाल , उत्तराखंड , उत्तरी भारत कविता ,लोकगीत इतिहास ; टिहरी गढ़वाल , उत्तराखंड , उत्तरी भारत कविता , लोकगीत इतिहास ; उत्तरकाशी गढ़वाल , उत्तराखंड , उत्तरीभारत कविता , लोकगीत इतिहास ; देहरादून गढ़वाल , उत्तराखंड , उत्तरी भारत कविता , लोकगीत इतिहास ; हरिद्वार गढ़वाल ,उत्तराखंड , उत्तरी भारत कविता , लोकगीत इतिहास ;
-
History and review of Garhwali Poems, Folk Song from Uttarkashi Garhwal, Uttarakhand, South Asia; History and review of Garhwali Poems, Folk Song from Tehri Garhwal, Uttarakhand, South Asia; History and review of Garhwali Poems, Folk Song from Dehradun Garhwal, Uttarakhand, South Asia; History and review of Garhwali Poems, Folk Song from Rudraprayag Garhwal, Uttarakhand, South Asia; History and review of Garhwali Poems, Folk Song from Chamoli Garhwal, Uttarakhand, South Asia; History and review of Garhwali Poems, Folk Song from Pauri Garhwal, Uttarakhand, South Asia; History Garhwali poems from Haridwar ;
No comments:
Post a Comment
आपका बहुत बहुत धन्यवाद
Thanks for your comments