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उत्तराखंडी ई-पत्रिका

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Wednesday, October 25, 2017

कट्टर दक्षिणपंथी या कट्टर बामपंथी हूण सरल च पर मध्यमार्ग पर चलण भौति कट्ठण हूंद

विमर्श :::   भीष्म कुकरेती    
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    कट्टर आस्थावान  हूण सरल च , कट्टर नास्तिक हूण सरल च पर जरा नास्तिकता अर आस्था का मध्य खड़ ह्वेक दिखाओ।  ईश्वर अर अनीश्वर द्वी दिनि मा दिखे जाल।  
    विज्ञान पर विश्वास करण बैं हथक खेल च , विज्ञान पर अविश्वास करण बैं हथक खेल च।  पर विज्ञान अर अविज्ञान का बीच दिखणो कोशिस कारो त सै दिनि मा रात दिखेण शुरू ह्वे जाल। 
    भारतीय जनता पार्टी याने दक्षिणपंथी विचारधारा तै समर्थन दीण भौत सरल च, उनि  भारतीय कम्युनिस्टों की प्रशंसा मा बड़ा गीत (चारण गीत ) क्वी बि गै सकदु पर गांधी जी द्वारा कॉंग्रेसौ कुण सुझायुं बीचौ बाटु पर चलण इथगा कट्ठण छौ कि इंदिरा गांधी मध्य मार्ग पर नि चल सकी , राजीव गांधी बि मध्य मार्ग पर नि चौल सकिन त बिचारो राहुल बाबा की क्या पुन्यात कि मध्य मार्ग का बारा मा सोची बि साको। 
     राष्ट्रीय स्वयं संघ , कठ मुल्लाओं का भौत सा मुस्लिम संगठनुं मार्ग अर कम्युनिस्टी  रस्ता अति सरल च अर यूं संगठनों से आकर्षित हूण भौत इ सरल च किन्तु सन 47 की कॉंग्रेस से आकर्षित हूण अति कठिन च। 
  अमूनन मनुष्य भगत सिंह या नाथूराम गोडसे तै जादा याद करुद अर मजबूरी मा इ महात्मा गांधी तै याद करद। आग मा हिटण सरल च पर  गांधीगिरी पर चलण कट्ठण च। 
     कट्टरता मा शहद हूंद , कट्टरता मा शक्तिशाली चुंबक हूंद , कट्टरता मा नशा हूंद तबि त केरल मा राजनैतिक मौतुं पंडों नाच गाण हूण इ रौंदन।  केरलम कट्टर हिंदू विचारधारा से आकर्षित कार्यकर्ता बि नशा मा छन अर कम्युनिस्ट त बगैर नशा का कुछ बि नि सोच सकदन त कॉंग्रेस जन विचारधारा पता नी कै कूण पड़ी च धौं ?
       जब कौंग्रेस मध्य मार्गी छे त कुछ हद तक स्थिरता छैं इ छे।  भग्यान राजीव  गांधी कबि राममंदिर का ड्वार खोलिक त कबि शाहबानो केस दबाणो चक्कर मा भटकिन अर भाजपा तै अमरकाया खलैक चल गेन। मध्य मार्ग से भटकण मतलब कै हैंक चरमपंथ तै जन्म दीण। 
     चरम पंथ धार्मिक ही नि हूंद।  आर्थिक चरम पंथ बि धार्मिक चरम पंथौ तरां तरासदायी हि हूंद।  मनमोहन सिंह जीक आयातित आर्थिक उदारवाद कुछ ना अपितु एक चरमपंथी वाद इ च अर समाजम ज्वा उठा पटक चलणी च उखमा एक मुख्य कारण मनमोहन सिंघी चरमपंथी आर्थिक उदारवाद बि च। मध्य मार्ग से तुम भटको या ना पर चरमपंथी तुम तै बाहुबल, धनबल या भीड़बल से डगमगाणो बैठ्यां इ रौंदन। 
     बीच मा दिग्विजयी विचारधारा से प्रभावित कॉंग्रेसन सपा , बसपा , लालू विचारधारा तै हराणो बान मुस्लिम तुष्टिकरण तै एवरेस्ट पर चढ़ै दे।  मुस्लिम त  कॉंग्रेसक खुकल्युंद नि ऐन पर हिंदू भाजपा का खुकलिंद जरूर बैठ गेन।  अब बिचर राहुल गांधी तै यीं उमर मा हिन्दू मंदिरों मा पूजा कनै करे जांद बि सिखण पड़णो च।  
      जब कॉंग्रेस मध्य मार्ग पर चलदी छे तो समाज बि चरम पंथ्युं तै मध्यमार्ग पर चलणो मजबूर करदो छौ। तभी तो भाजपा न एक दैं अटल विहारी बाजपयी की अध्यक्षता मा ' क्वी समाजवाद' पर चलणो बि सोची छौ। पर जनि कॉंग्रेसन मध्य मार्ग छ्वाड़ कि समाज बि नदी का छाल -छाल पर बैठण लग गे अर अब त इ हल छन कि कांच का बारा मा ग्राहक पुछदो बल यु कांच सेक्युलर च कि नॉन  सेक्युलर।  
   बुद्ध कु मज्झिमा पतिपाद (मध्य मार्ग ) की आज विशेष आवश्यकता च किन्तु अति आदर्शवादी राम हूण सरल च , पर बुद्ध हूण अति कठिन च। 
          
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16/10  / 2017, Copyright@ Bhishma Kukreti , Mumbai India


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