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उत्तराखंडी ई-पत्रिका

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Wednesday, October 25, 2017

B.N. Sharma ‘Pathik’: A Garhwali Poet

 (गढ़वालउत्तराखंड,हिमालय से गढ़वाली कविता  क्रमगत इतिहास  भाग -239 )
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 (Critical and Chronological History of Garhwali Poetry, part -239)
  By: Bhishma Kukreti    
  Less is known about B.N.Sharma ‘Pathik’ . There is one poem published in Ud Ghughti Ud (edited by Gajendra Batrohi’. B.N.Sharma is teacher by profession information is that he was  teaching in Haldukhal Inter College, Pauri Garhwal.
देश कु सिपै -किसाण थैं  
-रचना --   बीऐन.  शर्मा 'पथिक 
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देश कु सिपै त्वै खुणि सलाम 
माटी कु सिपै त्वै खुणि सलाम। 
एक सिंचदी थाती थै तू एक सिंचदी माटी थै 
कर्म की लकीर खींचि द्विया सिंचदी मातृ थैं 
ह्यूं प्वड्यूं हों डांडी या तप्त भूमि रेत की 
आंधी म भी जळणे रैंद मशाल यूँ तुम्हारी कर्म की 
देश कु सिपै त्वै खुणि सलाम 
माटी कु सिपै त्वै खुणि सलाम। 
दूध माँ को नी लजान्दा देश सेवा मा
चाँद तैं खैंची ल्यांदा तप्त भूमि रेत मा 
स्वाभिमान वींकु जन ह्यूं च विशाला 
आशियाना द्याखा वींकु नभ से विशाला 
देश कु सिपै त्वै खुणि सलाम 
माटी कु सिपै त्वै खुणि सलाम। 
राति  कु अन्ध्यरू द्यखद तुमारु उदंकार थै 
सुबेर कु उज्यळ द्याखद तुमारु चमत्कार थै 
मोती स्यु पसीना तुमारु खिल्दु  मातृभूमि मा 
देश कु सिपै त्वै खुणि सलाम 
माटी कु सिपै त्वै खुणि सलाम। 

सौंज्यणा स्य बांद तेरी मन ही मन मा रैन्दी च 
शिव की शक्ति बणी त्वैम प्राणशक्ति फ़ुकदी च 
कलम कु सिपै बणि की कर दूँ तुम्हारो गुण बखान 
दूध माँ को नी लजान्दा देश सेवा मा। 
 देश कु सिपै त्वै खुणि सलाम 
माटी कु सिपै त्वै खुणि सलाम। 


(Ref-
उड़ घिंडुड़ी उड़ page 91) 


Copyright@ Bhishma Kukreti, 2017
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