(गढ़वाल, उत्तराखंड,हिमालय से गढ़वाली कविता क्रमगत इतिहास भाग - 243)
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(Critical and Chronological History of Garhwali Poetry, part - 243)
By: Bhishma Kukreti
Manoj Kharkwal published a few Garhwali poems.
मातृभूमि का नौ चिट्ठी (देशभक्ति गढ़वाली कविता )
-रचना -- मनोज खर्कवाल
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मौत का हमसफ़र बणिक
शरहद मा छां डट्यां
तू निस्फिकर ह्वेक
भुलि -भुलौं तैं देख माँ।
गोळि बारूद
ह्वे ज्यन्दि खतम
तेरि दियीं य गैत
बारुदै ढेर छ माँ।
घैणी कुयेड़ि म बि -
मेरि आंखि
खोजि दिंदिन
दुश्मन
पैलि त मि
खुद बि औलु
निथर मेरि आर्थि आलि
पण -यखुलि न
दगड़म
दुश्मनों मुंडळयूं ढेर
त्येरा चरणों म
भेंट लह्यालि
(Ud Ghughuti Ud page 98)
Copyright@ Bhishma Kukreti, 2017
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