(गढ़वाल, उत्तराखंड,हिमालय से गढ़वाली कविता क्रमगत इतिहास भाग - 238)
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(Critical and Chronological History of Garhwali Poetry, part -238)
By: Bhishma Kukreti
Dipak Rawat published a few Garhwali poems in various periodicals and poetry collections. Deepak Rawat belongs to Dhumakot, Pauri Garhwal.
बिचारि गौड़ि (गढ़वाली कविता )
-रचना -- दीपक रावत
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किलै लग्यां स्यवा करणा ?
पींडु -पाणि खूब सरणा
आज द्वी , सासु -ब्वारि
क्य समझि सकद ?
बिचारि गौड़ि।
देखि सकद
वींका बछरौ हिस्सौ दूध
कैपर छ लगणू
गुसैणि का नाति -नतिणा
पीणा छन छक्वैक
वींकि बाछि रीति पांसी चूसणी
अधप्यट ह्वेक।
मैहमनों की कट्वरि भ्वरीं
गुसैण रोज धमकाणि रौड़ि
क्य समझि सकद ?
बिचारि गौड़ि।
कुटुमदारी तैं दूधै गिलास
वींतैं सूखु घास
बाछि तैं कौदै लुटमणि
गुसैंण का नौन्याळो तैं
रोटि मा नौणि
कतना स्वार्थि छ मनखि
लैंदी त गौ माता
नथर लमण्डण्य गौड़ि
क्य समझि सकद ?
बिचारि गौड़ि।
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( उड़ घुघती उड़ , पृष्ठ -69 )
Copyright@ Bhishma Kukreti, 2017
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