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क्या मनुष्य मनुष्य भ्रूण मंदिर में चढ़ा सकते हैं ?
चबोड़ , चखन्यौ , चचराट ::: भीष्म कुकरेती
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संतराजौ फूल (गेंदा ) - अरे गुड़हल आज तू पूरा नि उफरी (फूला ) ? क्या बात ?
गुड़हलौ फूल -बस आज भौति दुखी छौं।
संतराज -हाँ आज त्यार रूप बिरूप हुयुं च। क्या बात ?
गुड़हल -अरे यार मि यूँ मनिखों रंग ढंग देखिक आज बड़ो दुखी छौं।
संतराज -उ त तयार मुख पर पड़ीं रात से पता चलणु इ च .. पर किलै ?
गुड़हल -अरे मनिख बड़ा विध्वन्सी छन भै ,
संतराज -कनो ?
गुड़हल -अरे अपण घौराक मंदिर ह्वाओ या सार्वजनिक मंदिर इकै मनिख बिस बिस फूल चढांदन।
संतराज -हूँ !
गुड़हल -हाँ एक फूल चढांण से क्या भगवान प्रसन्न नि हूंद क्या ? अर बीसों फूल चढांण से क्या भगवान सरा दुनिया भक्त तैं सौंप दीन्दो क्या ?
संतराज -मतलब ?
गुड़हल -अरे फोकट का फूल तुड़ण से बीज बणण इ खतम ह्वे जांद। अरे
संतराज -मतलब ?
गुड़हल -मतलब बीज श्रिष्टि की सम्भावना हूंद अर फूल तुडनो अर्थ च बल श्रिष्टि सम्भावना ख़तम करण। यी मनिख अंदादुंद फूल मंदिरों मा चढाणो वास्ता , ड्र्वाइंग रूम मा फूल धरण से सरासर श्रिष्टि याने सम्भावना समाप्त करणो ब्योंत करणा रौंदन।
संतराज -पर भक्ति से ....
गुड़हल -अरे मनिख इथगा ही भगवद भक्त छन तो अपण भ्रूणों तै किलै मंदिरों मा नि चढांदन।
संतराज -ह्यां पर यदि मनिख अधिक फूल मंदिरों मा चढांदन तो उथगा ही फूल उगांद बि त छन।
गुड़हल -पर ख़ास ख़ास ही फूल तो उगांदन।
संतराज -पर डार्विन का नियम च बल प्रतियोगिता मा वी जीतल जु सहयोगी ह्वालो। मंदिर जोग फूल मनुष्य का सहयोगी छन तो फुलणा छन , फलणा छन।
गुड़हल -यी सब बकबास च। मनुष्य हमर फूल तोडिक सम्भावना ही खतम करणा रौंदन।
संतराज - अरे ! अरे ! अरे मंदिर का पुजारी मि तैं मेरी भयात का साथ तोड़ी ल्हीगे।
गुड़हल -ये मेरी ब्वे ! ये मेरी ब्वे ! मि तै कै जानवरन घुळी दे । ये मेरी ब्वे ! ये मेरी ब्वे ...
5/5/2016 ,Copyright@ Bhishma Kukreti , Mumbai India
*लेख की घटनाएँ , स्थान व नाम काल्पनिक हैं । लेख में कथाएँ , चरित्र , स्थान केवल व्यंग्य रचने हेतु उपयोग किये गए हैं।
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