सुपिनेर - भीष्म कुकरेती
गब्बर सिंह -अरे ओ साम्भा ! साम्भा रे ! कहां मर गया रे तू ?
चिर सुंदरी भुंदरा बौ - ये हरि सिंग बेबगतै औलाद ! साम्भा तैं मोर्याँ दस साल ह्वे गैन ....
गब्बर सिंह - सॉरी भुंदरा सिस्टर इन लौ ! ओल्ड हैबिट्स डाई वेरी हार्ड।
चिर सुंदरी भुंदरा बौ - अच्छा इन बतादी कि साम्भा तैं किलै खुज्याणी छै रे ?
गब्बर सिंह - कभी कभी मेरे दिल में भी अमिताभ बच्चन जैसे खयाल आता है
चिर सुंदरी भुंदरा बौ - क्या ?
गब्बर सिंह - कि चलती है क्या खंडाला ?
चिर सुंदरी भुंदरा बौ - अपणी हेलन का साथ जा खंडाला।
गब्बर सिंह - अरे बौ ! वीं मा वा बात कख च ज्वा तीम ...
चिर सुंदरी भुंदरा बौ - बिंडि मक्खन नि लगा हाँ। इन बोल तू आज क्या बुलण चाणु छै ?
गब्बर सिंह - कि वरिष्ठ गढ़वाली कवि बौं हौड़ किलै पड्यां छन ?
चिर सुंदरी भुंदरा बौ -कनो आज वरिष्ठ गढ़वाली भाषा कवियों पर क्यांक नाराजी ?
गब्बर सिंह - कि यी वरिष्ठ गढ़वाली कवि फेसबुक अर सोसल मीडिया मा हर हफ्ता अपण कविता किलै पोस्ट नि करदा होला ?
चिर सुंदरी भुंदरा बौ - हाँ भै गब्बर बात तो तू अकलमंदी की करणी छे रै
गब्बर सिंह -भै नि बोल हां मीन फांस खै दीण। सुसाइड। याने आत्महत्या। जैं बौकु सहारा छौ स्या भाई भाई करिक भट्याणि च।
चिर सुंदरी भुंदरा बौ - ओ नरभागी मि भै बुलणु छौं -गढ़वाळी स्लैंग !
गब्बर सिंह -फिर ठीक च। मि बुलणु छौ कि फेसबुक मा हरेक वरिष्ठ कवि यदि अपण अपण कविता हर पोस्ट कारन तो फेसबुक्या गढ़वळयूं तै गढ़वाली पढ़ना ढब जालो। नि बोल जाण ?
चिर सुंदरी भुंदरा बौ - म्यार दगड़ रैली तो अक्ल की ही बात करलि हाँ। बात मा दम च। फेसबुक्या कविता पौढ़ सकदन अर यांसे गढ़वाली पाठकों संख्या मा बेहंत इजाफा ह्वे जालो।
गब्बर सिंह - ये बौ जरा यु वरिष्ठ कवियों तै बिजाळ त सै !
चिर सुंदरी भुंदरा बौ -ठीक च मि सब्युं कुण फोन करदो
गब्बर सिंह - अच्छा अब तो चलती है खंडाला ?
चिर सुंदरी भुंदरा बौ -अपणी ब्वे तैं खंडाला ...
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