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Tuesday, May 24, 2016

प्रशासनिक नौटंकी (लघु नाटिका )

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           प्रशासनिक नौटंकी  (लघु नाटिका ) 

 चबोड़ , चखन्यौ  अनुवाद :::   भीष्म कुकरेती   

समय - कालिदास युग 
स्थान - कविल्ठा चमोली जनपद ,  से द्वी लतडांग दूर , कालिदास का ममाकोट 
मल्लिका - कालिदास की पूर्व प्रेमिका 
ममा -कालिदास कु  ममा 
अनुस्वार अर अनुनासिक - उज्जयनी राज्य का प्रशासनिक अधिकारी  
(इथगा मा द्वार खटखटाणो ध्वनि आदि। मल्लिका पैल हडबडाट माँ हूंदी फिर संयंत हूंदी अर द्वार खुल्दी।  द्वी राजकीय अनुचर समिण )
अनुस्वार -  क्या हम मल्लिका देवी का सम्मुख उपस्थित छौंवाँ ? 
मल्लिका - हाँ।  तुम ?
अनुस्वार -मि अनुस्वार अर यु अनुनासिक।  हम द्वी विक्रमादित्य प्रशासनिक प्रशिक्षण केंद्र से  निष्णांत छंवां अर अब हम द्वीइ  पर्वतकुमार गुप्त का प्रशासनिक अनुचर छंवां। देव पर्वत कुमार गुप्त का अनुचरों प्रणाम स्वीकार हो।  
मल्लिका -देव पर्वत कुमार गुप्त ? कु ?
अनुस्वार -ऋतुसंहार , कुमारसम्भव अर मेघदूत का रचयिता , प्रेणता कवींद्र , राजनीति निष्णात आचार्य तथा मध्यहिमालयौ  भावी शासक। देव पर्वत कुमारगुप्त की राजमहिषी गुप्त वंश दौहितता परम विदुषी देवी प्रियंगुमंजरी आपक साक्षात्कार का वास्ता उत्सुक च। अर शीघ्र ही वो इख आण चाणि छन। हम द्वी वांकी पूर्व सूचना दीणो अयाँ छंवां  
मल्लिका - ऋतुसंहार अर मेघदूत का प्रेणता  तो कालिदास छन अर तुम बुलणा छंवां पर्वत कुमारगुप्त ?
अनुस्वार -वो गुप्त राज्य की ओर से  मध्य हिमालय  का राज्य सँबाळण वाळ छन।   पर्वत कुमारगुप्त ऊंक नयो नाम च। 
मल्लिका -वो उत्तराखंड का राज्य सँबाळण वाळ छन ? अर उंकी राजमहषी  परम विदुषी देवी प्रियंगुमंजरी  मि तै मिलणो आणि छन ?
अनुस्वार - मि तै विश्वास च कि तुम अपण उपवेश  गृह की सामग्री मा अवश्य परिवर्तन करण चैली।  तुमर आदेश समजिक हम तुमर प्रकोष्ठ मा कुछ परिवर्तन कर दींदा। 

( द्वी कमरा मा ऐक निरीक्षण करदन , मल्लिका अलग दूर खड़ी ह्वे जांदी।  अनुनासिक  आसन का पास आंद )
अनुनासिक - म्यार अनुसार यु आसन द्वारक पास हूण चयेंद। 
अनुस्वार -देवी द्वार से भितर आली अर आसन द्वारक पास ?
अनुनासिक - वीं स्थिति मा आसन तै छै अंगुळ दक्षिण मा हूण चयेंद।  
अनुस्वार -दक्षिण का ओर ?
(अनुनासिक मुंड हलांद )
म्यार अनुसार आसन तै वर्तमान स्थिति से पांच अंगुळ उत्तर मा हूण चयेंद।  गवाक्ष से सूर्य किरण सीधा ये पर पड़नी छन।  
अनुनासिक - मि त्वे से सहमत नि छौं। 
अनुस्वार - मि बि त्वे से सहमत नि छौं। 
अनुनासिक - त ?
अनुस्वार - त विवादास्पद वस्तु तैं जस तस इ रौण दिए जावो। 
अनुनासिक - भलो , भलो।  अब यूँ कुम्भं का क्या ह्वालु ? कुम्ब याने घौडुं क्या ह्वाल ? 
अनुस्वार -म्यार अनुसार एक घौड़ कूण्या पर अर हैंक घौड़ हैंक कूण्या पर। 
अनुनासिक - मि समजदु कि घौड़ ये प्रकोष्ठ मा हूणि  नि चयेंदन। 
अनुस्वार -किलै ?
अनुनासिक - किलैक क्वी उत्तर नी च। 
अनुस्वार -मि त्वे से सहमत नि छौं। 
अनुनासिक - मि बि त्वे से सहमत नि छौं। 
अनुस्वार -तो ?
अनुनासिक - त घौडूँ  तैं जस तस इ रौण दिए जावो। 
(द्वी इना ऊना दृष्ठि घुमांदन , उखम जांदन जखम रस्सी पर झुल्ला सुखणा छन , मल्लिका पृष्ठों तै संबाळिक चौकी मा धरदी अर भितर चल जांद )  
अनुस्वार -यी वस्त्र ?
अनुनासिक - वस्त्र अबि गिल्ल छन त  नि हटाण चयेंद। 
अनुस्वार -किलै ?
अनुनासिक - शास्त्रों का प्रमाण अनुसार। 
अनुस्वार -कु कु प्रमाण ?
अनुनासिक - स्मरण नी औणु च। 
अनुस्वार -यु त स्मरण च कि इन प्रमाण छैं च   ? 
अनुनासिक - हाँ। 
अनुस्वार -तो ?
अनुनासिक - त संदिघ्द विषय च। 
अनुस्वार -हाँ तब त संदिघ्द विषय च।   
अनुनासिक - सन्दिघ्द विषय हूणो कारण वस्त्रुं तै उनी रण दिए जाव। 
अनुस्वार -भलो भलो वस्त्रों तै बि ऊनि रण दिए जावो 
अनुनासिक - पर ये चुल्लु तै इख बटे हटै दीण चयेंद। 
अनुस्वार -ना 
अनुनासिक - ना ?
अनुस्वार -नै चुल्लू स्थानांतरित करणो अर्थ च कि अन्य वस्तुओं तै बि स्थानांतरित करण।  अर यांमा भौत अधिक समय लगल। 
अनुनासिक -समय का अतिरिक्त धैर्य अधिक चयेंद। 
अनुस्वार - धैर्य का अतिरिक्त परिश्रम बि अधिक चयेंद। 
अनुनासिक -मि समजदो कि भाण्डुं तै हथ लगाण हमर पद अर स्थिति का अनुकूल नी च। पदानुसार इ कार्य करण चयेंद। 
अनुस्वार -मी बि त योइ समजणु छौं। 
अनुनासिक - त हम द्वी सहमत छंवां कि चुल्ल स्थानांतरित नि करे जाव। 
अनुस्वार -हूँ।  हम द्वी सहमत छंवां। 
अनुनासिक चर्री ओर दृष्टि डाळद  
अनुस्वार बि चारि ओर नेत्र घुमांद 
अनुस्वार -म्यार विचार से कुछ बि शेष नी च 
अनुनासिक -ना अबि शेष च। 
अनुस्वार -क्य ?
अनुनासिक -या चौकी इखम पथमा पड़ी च । यीं तै हटाण चयेंद। 
अनुस्वार -मि सहमत छौं। 
अनुनासिक -त ?
अनुस्वार -त ?
अनुनासिक -तो यीं तै स्थानांतरित कर दीण चयेंद। 
अनुस्वार -हाँ ! अवश्य यीं तै स्थानांतरित कर दीण चयेंद।
अनुनासिक -तो ?
अनुस्वार -तो ?
अनुनासिक -हटै दे। 
अनुस्वार -मि ?
अनुनासिक -हाँ। 
अनुस्वार -तुम ना ?
अनुनासिक -ना। 
अनुस्वार -किलै ?
अनुनासिक -किलै कु क्वी उत्तर नी च। 
अनुस्वार -फिर बी ?
अनुनासिक -पैल मीन त्वै कुण ब्वाल। 
अनुस्वार -पर चौकी तीन पैल द्याख। 
अनुनासिक -त ?
अनुस्वार -त ?
अनुनासिक -हटै दे 
अनुस्वार -तू हटै दे। 
अनुनासिक -तो रण दे। 
अनुस्वार -ठीक च रण दे। 
अनुनासिक - हूँ।  तो 
अनुस्वार -तो ?
अनुनासिक - बस एक दृष्टि हौर। 
अनुस्वार -हूँ एक दृष्टि। 
(ममा भैर बटें उत्तेजित ह्वेक आंदो ) 
ममा - अधिकारी गण।  अवश्य ही तुमर कार्य पूर ह्वे गे होलु 
अनुस्वार -बस एक दृष्टि 
ममा - दृष्टि , उस्टि समाप्त। पर्वत कुमार गुप्त याने कालिदास की पत्नी देवी प्रियंगुमंजरी भैर पौंछि गेनि। 
अनुस्वार - देवी पौंचि गेन तो चले जाव। 
अनुनासिक - चला 
(द्वी भैर चल जांदन।  ममा बि उंक पैंथर जांद अर कुछ क्षणों परांत प्रियंगुमंजरी तैं लेकि भितर आंद। )
-
(मोहन राकेश कृत आषाढ़ का एक दिन ' नाटक का एक अंक से अनुदित )
/5/2016 ,Copyright@ Bhishma Kukreti , Mumbai India 
*लेख की   घटनाएँ ,  स्थान व नाम काल्पनिक हैं । लेख में  कथाएँ चरित्र , स्थान केवल व्यंग्य रचने  हेतु उपयोग किये गए हैं।
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