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Thursday, May 12, 2016

विषैले रक्तबीज

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 विषैले रक्तबीज 
विमर्श  :::   भीष्म कुकरेती   
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सन्  2016  , गाँव गढ़पुर - गढ़वाल 

 मि अपण आठ सालौ नौनु गोल्डी लेकि मूळ पुजाणो मुंबई बिटेन ड्यार ग्यों। 
जनि गाँव पास आई कि गांवक लोग रस्ता मा मिलदा गेन। 
मि - अफार सि रतनमणि चचा जी आणा छन।  तौंक खुट मा मुंड धौरिक -दादा जी बोलिक प्रणाम करि हाँ. 
गोल्डी -जी।  आइ विल फॉलो। 
मि - गोल्डी ! सि डुंकर सिंग बडा आणा छन।  दादा  प्रणाम करिक प्रणाम कौरी हाँ ! खुट मा पड़णै जरूरत नी च।   
गोल्डी - जी डैडी।  पर खाली प्रणाम ? खुट मा सिवा किलै नि लगाण   ?
मि -हम बामण छंवां अर डुंकुर बडा जजमान छन।  बामण उमर मा कथगा बि छुट हो वु जजमानक खुट मा नि पड़दु।  
गोल्डी -जी डैडी  मि हाइ - हैलो स्टाइल मा प्रणाम करलु। 
मि -अरे अरे ! स्यु भाना दादा आणु च , सूण तै तैं प्रणाम बि नि बुलण हाँ।  अर हाँ तै पर कतै बि नि भिड़े हाँ।  डोंट टच हिम ऐट ऑल।  बी अवे फ्रॉम हिज शैडो , वैकि छाया से दूर हि 
गोल्डी -बट ह्वाइ डैड। इथगा  ओल्ड आदिम  तै  प्रणाम किलै ना ? अर शैडो से दूर किलै ?
मि - स्यु ओल्ड च पर " .." च याने शिल्पकार च , अनटचेबल च।  अर  बिठ मीन्स क्वी बि सवर्ण  कै बि  "' ..'" याने हरिजन तै प्रणाम नि करदु , ना ही वै तै स्पर्श करदो।  डोंट टच हिज बॉडी ऐट आल। 
गोल्डी - ओके डैडी।  आई विल नेवर सैलूट हिम ऐंड  विल नेवर,  नेवर टच ऐनी ".. " मीन्स हरिजन। 
मीन इकीसवीं सदी मा बि मुलायम जमीन मा कांड, कैकटस  का  रक्तबीज ब्वे याल छौ ।  अब तीसेक साल बाद म्यार गोल्डी अपण नौनु तै लेकि गाँव आल तो या ही घटना दुबर दुहराए जाली अवश्य। 

13/5/2016 ,Copyright@ Bhishma Kukreti , Mumbai India 
*लेख की   घटनाएँ ,  स्थान व नाम काल्पनिक हैं । लेख में  कथाएँ चरित्र , स्थान केवल व्यंग्य रचने  हेतु उपयोग किये गए हैं।
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