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छांटा छांटा पौधौं मा किटास किलै ?
चबोड़ , चखन्यौ , चचराट ::: भीष्म कुकरेती
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मुंगरी - ए जुंडळ मीन तेरी मौण तोड़ि दीण हाँ ! तू म्यार जलडुं तै फ़ैलण नि दीणि छे।
जुंडळ - देख बै ठीक च कि पहाड़ी गांवुं मा बरसाती खेती मा तेरी बड़ी पूच हूंदी त इन त नी च कि तू केजरीवाल जन मर्जी अभियोग लगैक भाजी जै। यु भारतीय राजनैतिक चौक नी च बल्कि पुंगड़ च अर हमर कृषि संसार मा हम बगैर सबूत का अभियोग लगाण तो छ्वाड़ा सोची बि नि सकदा। मनिखोंन 'स्वर्ग मा न्याय' की ज्वा कल्पना करि वा हम पौधों आचरण मा दिख्यांद।
मुंगरी -अबै जब बिटेन तुम जुंडळ हाइब्रिड ह्वेका अयाँ बिंडी भाषण दीण मिसे गेवां हाँ।
जुंडळ - चोरक चर्र चर्र बचन। आफु त तीन म्यार जलडुं तै फ़ैलण - पसरण -सरकण से रोकि दे अर मेकुण बुलणु छै बल मि त्यार जलडुं तै फ़ैलण नि दीणु छौं।
मुंगरी - अरे त म्यार जलड़ किलै नि फ़ैलणा छन ?
जुंडल - मी त यी पुछणु कि म्यार जलड़ किलै नि फ़ैलणा छन ?
मुंगरी - मि ते से एक फिट दूर छौं तो म्यार जलड़ तेरा जलड़ु विकास तो नि रोक सकदन ।
जुंडळ - त इन मा म्यार जलड़ बि तेरा जलड़ु विकास तो नि रोक सकदन ना /
मूळा - अबे द्वी बदखोरो ! म्यार तो तुम दुयुं कारण बुरा हाल छन. अगल -बगल बि नि फैल सकणु छौ तो म्यार घिंडक नी बणणा छन अर तौळ बि क्वी ठोस चीज से किटास हूणु च त मि मैदानी मूली बि नि बण सकणु छौं।
जुंडळ -मुंगरी - अबे हम पर अभियोग लगाण बंद कर। इखि खेत मा इ थींची द्योला हाँ। हम ते से इथगा दूर छंवां अर गंध फैलाणु कि हमर जलड़ त्वे तैं घिंडक नी बणन दीणा छन।
मुंगण्या - अरे म्यार सोचो। हम तो कै इन उड़्यार -गुफा मा फंस्या छंवां कि हमर त बीज ही नि अगरणा छन। हमर त अंकुर ही नि फुटणा छन।
आदु - अरे पता नी क्या ख़ास गंध या रसायन च कि म्यार पंजा हि नि फैलणा छन।
हल्दी - म्यार बि यी हाल छन। गंध अलग अर क्वी चिपुळ चीज हम तै विकसित नि हूण दीणु च।
किदलु -- अरे हम से माटु खुद्याणु ही नी च। हम पत्थर तक पीसी दींदा छा पर पता नी क्या चीज धरती पुटुक ऐ गे कि हम से कुछ हूणु इ नी च।
सब - हाँ ! रुकावट माटु -पत्थर - हडका या खौड़ -कत्यारो नी च। या रुकावट कै नया ग्रह से आयीं च धौं ?
सब - कै से पूछे जावो। कि यी खेतों मा नई बात क्य ह्वे ? छांटा छांटा पौधौं मा किटास किलै ?
कवा -ह्यां यी सब प्लास्टिक की बोतल , ढक्क्न , थैला , पैकेजिंग मटीरियल का कारण च।
सब -प्लास्टिक ?
कवा -हाँ प्लास्टिक ! जु मनुष्यों द्वारा विचारहीनता का कारण इना -ऊना फेंक दिए गए अर कृषि योग्य धरती का अंदर चली गे। चूँकि ये प्लास्टिक का सरलता से रूपांतर (बायोडिग्रेसन ) नि हूंद तो यु अमर च।
सब - प्लास्टिक अमर च ?
कवा -हाँ अर प्लास्टिक एक दैं माटु मा मिल गे तो समझ तुम पौधों पैदावार खतम ही समझो।
सब - इथगा बड़ो दैंत , राक्षस ?
कवा - अमर रागस !
सब - अब क्या ह्वालु ?
कवा - यदि मनुष्य संबळ ग्यायि अर प्लास्टिक का प्रयोग सावधानी पूर्वक करण लग जावो तो ठीक ; निथर सर्वनाश। सर्वनाश ! विनाश !
सब पौधा - त्राहिमाम ,त्राहिमाम ! हे मनुष्य हम तैं ये अमर राक्षस से बचा !
17/5/2016 ,Copyright@ Bhishma Kukreti , Mumbai India
*लेख की घटनाएँ , स्थान व नाम काल्पनिक हैं । लेख में कथाएँ , चरित्र , स्थान केवल व्यंग्य रचने हेतु उपयोग किये गए हैं।
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