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Monday, May 18, 2015

तिमली , डबराल स्यूं के विद्यादत्त डबराल : संस्कृत हिंदी टीकाकार

Viddya  Datt Dabral :  Sanskrit Scholar and Vyas 
तिमली , डबराल स्यूं के विद्यादत्त डबराल : संस्कृत हिंदी टीकाकार 

  (गंगासलाण के प्रसिद्ध संस्कृत विद्वान श्रृंखला -6   )
        इंटरनेट प्रस्तुति - भीष्म कुकरेती
     सदानंद डबराल कृत 'रासविलास' का हिंदी टीका स्व विद्यादत्त डबराल ने लिखी है। 
विद्यादत्त डबराल का जन्म संस्कृत के प्रकांड विद्वान श्री सदानंद डबराल हुआ।  विद्या दत्त डबराल का जन्म 1 जनवरी 1919 को तिमली , डबरालस्यूं , पौड़ी गढ़वाल में हुआ।  उनका प्राथमिक शिक्षण तिमली में हुआ , माउन्ट आबू में फिर पुराण आदि की शिक्षा ग्रहण की।  1939 से 1969 तक विद्यादत्त डबराल तिमली संस्कृत पाठशाला के अध्यापक व वाद में प्रधानाचार्य रहे। 1952 में वनारस से शास्त्री की डिग्री हासिल की।  1937 में विद्यादत्त का विवाह ख्याड़ा , उदयपुर के ज्योतिषी भवानी दत्त कुकरेती की सुपुत्री सौ सत्यभामा से हुआ। विद्यादत्त की हस्तलेखनी इतनी सुंदर थी कि रुड़की से सरकारी नौकरी की नियुक्ति पत्र ही इसलिए मिला कि विद्याद्त की लेखनी सुंदर थी।  श्री सदानंद ने सरकारी नौकरी करने की अनुमति नही दी। 
संस्कृत साहित्य की दृष्टि से 'रासविलास'की टीका एक महत्वपूर्ण ग्रन्थ है।  विद्यादत्त ने प्रत्येक पद्य का अन्वय सहित व्याख्या की और यथार्थ भाव को ध्यान में रख शब्दार्थ को महत्व दिया। 
विद्याद्त अपने समय के प्रख्यात व्यास थे और लोग पुराण कथा सुनने मीलों दूर से आते थे। हाँ खाने -पीने -घूमने के सदा शौक़ीन थे। 
1993 विद्याद्त डबराल ब्रह्मलीन हुए। 

 **** डा प्रेम दत्त चमोली की गढ़वाल की संस्कृत साहित्य को देन से साभार
* डा नन्द किशोर ढौंडियाल , गढ़वाल की दिवंगत विभूतियाँ से साभार 
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