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तू कर्मुं ठग त मि जातिक ठग
चबोड़्या स्किट संकलन ::: भीष्म कुकरेती
[स्थान धर्मपुर कु एक कराउ। एक ठग एक आदिम तै पकड़िक जू सब कुछ दीणो मांग करणु च ]
ठग -चल बे , जु छ सब निकळिक दे।
आदिम -हैं अब सरकारन इनकम टैक्स लीणो नै तरीका निकाळ आल ?
ठग -मजाक नि कर। मि चुक्खुवाला कु दाई छौं।
आदिम -दाई ? पर मि गर्भवती नि छौं।
ठग -अबे मि उन दाई ना बल्कण मा भाई छौं।
आदिम -भाई ह्वेक बि लूट ?
ठग -ओ मतलब मि दादा छौं।
आदिम -ग्रैंडफॉदर या ब्रदर ?
ठग -अबे मि डॉन छौं।
आदिम -सच्ची ?
ठग -देख हाँ मि हंसी मजाक पसंद नि करदु हाँ !
आदिम -मतलब तुम तै राजेन्द्र नाथ का धारीदार जंज्ञा से बि हंसी नि आंद।
ठग -राजेन्द्र नाथक टुटब्याग से म्यार दादा तक नि हंसद छौ तो ?
आदिम -मतबल कॉमेडी क्लास से बि हंसी नि आंद ?
ठग -अबे कॉमेडी क्लास का उटपटांग टुटब्यागुं से दस दिनों कुण हंसी गायब ह्वे जांद।
आदिम -तो कॉमेडी विद कपिल ?
ठग -साला ! भौत मजाक करता है ? ले रिवॉल्वर देख। निकाळ सब कुछ
[आदिम रिवाल्वर देखिक डौर जांद अर अपर खीसौंदक सब कुछ लुटेरा तै दींद ]
ठग -रिवाल्वर से डर गे ना ?
आदिम -साब पर मि त नौकरी करद अर यु माल ताल म्यार मालिकक च।
ठग -तो क्या वैकि हत्या करण ?
आदिम -नै नै , जब मि बुलल कि मि तै कै गुंडान लूट तो मालिकन मेरी सच नि मनण।
ठग -किलै बै ?
आदिम -जी मालिकक बुलण च बल देहरादून का सब गुंडौन अब नेतागिरीं का धंदा अपनै याल।
ठग -तो तू क्या चांदी ?
आदिम -म्यार कोट पर द्वी गोळी मारो अर मफलर पर तीन तो गोळी निसान देखिक मालिक तै विश्वास ह्वे जाल कि सबि गुंडा बुरु काम मतलब नेतागिरी पसंद नि करदन।
ठग -ले तेरी कामना पूरी कर दींदु (पांच गोळी कोट अर मफलर पर मारदु ]
आदिम -दाई जी ! सब पांच गोळी खतम ?
ठग -हाँ।
आदिम (फटाफट दाइक गौळ पकड़द अर गळक चखुलि पर हाथ रखद ]
ठग -अरे में रि … च … खु … लि
आदिम -हाँ मि तेरी गौळक चखुली दबाणु छौं जां से त्वै तै सुण्यालु पर तू कुछ करण लैक नि रैली , आधा घंटा तलक हाँ ! अब मि त्यार सबी माल मसाला अर रिवाल्वर लिजाणु छौं।
आदिम - अर सूण ! दादागिरी कु नियम हूंद कि लुठद दै ना कैकि सुणन ना कै तै सुणान अर लूठिक फटाफट चम्पर ह्वे जाण चयेंद। अर सूण मि खुड़बुड़ा मुहल्ला कु दादा छौं हाँ !
16/4/15 ,Copyright@ Bhishma Kukreti , Mumbai India
*लेख की घटनाएँ , स्थान व नाम काल्पनिक हैं । लेख में कथाएँ , चरित्र , स्थान केवल व्यंग्य रचने हेतु उपयोग किये गए हैं।
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