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उत्तराखंडी ई-पत्रिका

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Friday, May 15, 2015

तिमली डबराल स्यूं की बहू संस्कृत -हिंदी विदुषी - सुशीला ढौंडियाल डबराल

 (गंगासलाण के प्रसिद्ध संस्कृत विद्वान श्रृंखला -3  )
        इंटरनेट प्रस्तुति - भीष्म कुकरेती 
 सुशीला ढौंडियाल का संस्कृत साहित्य प्रसार में योगदान अभिन्न है।  
सुशीला ढौंडियाल डबराल का जन्म डुमलोट , ढौंडियालस्यूं , पौड़ी गढ़वाल में १५ अगस्त १९४७ को हुया।    सुशीला ढौंडियाल के पिता का नाम महेशचंद्र व माता का नाम रामप्यारी था। 
प्राथमिक शिक्षा गाँव में हुयी और हाइ स्कूल पौड़ी से। इनका विवाह तिमली के डा अशोक डबराल से साथ हुआ।  विवाह बाद ही सुशीला ने एमए हिंदी व एमए संस्कृत में किया।  १९७५ तक सुशीला ने कई जगह अध्यापकी की।  
सुशीला ढौंडियाल डबराल का योगदान संस्कृत प्रसार में महत्वपूर्ण है . सुशीला ने निम्न दो संस्कृत महाकाव्यों का अनुवाद हिंदी में किया 
देवात्मा -हिमालयः 
धुक्षते धरती 
दोनों महाकाव्य के रचयिता डा अशोक डबराल हैं। 
सुशीला का योगदान योगविद्या प्रचार में भी महत्वपूर्ण है 

 **** डा प्रेम दत्त चमोली की गढ़वाल की संस्कृत साहित्य को देन से साभार

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