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उत्तराखंडी ई-पत्रिका

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Monday, May 4, 2015

ट्रेनिंग : एक आवश्यक बीमारी

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                    ट्रेनिंग : एक आवश्यक बीमारी


                    जु मैनेजमेंट कॉलेजुं मा नि सिखाये जांद -6
                     
                  चबोड़ इ चबोड़ मा  मैनेजमेंट संस्मरण :::   भीष्म कुकरेती

                  आज ग्लोब्लाइजेसन का समय पर बि ट्रेनिंग वास्तव माँ एक बीमारी माने जांद अर ट्रेनिंग तै ऐसेट बिल्डिंग प्रोसेस नि माने जांद अपितु बीमारी भगाणो बान संसाधनुं नुकसान [लौस इन रिसोर्सेस ] माने जांद।
अधिकतर अलग अलग विभागुं बान ट्रेनिंग दीणो दृस्टि अलग हूंद।  जनकि प्रोडक्सन , टेक्नीकल अर सेल्स वाळु तै ट्रेनिंग मार बांधिक दीणी पड़द।  बकै विभागुं मा ट्रेनिंग की आवश्यकता समजे इ नि जांद। 
उन अधिसंख्य कम्पन्यूँ मा ट्रेनिंग मैनुअल रौंद च पर वे ट्रेनिंग मैनुअल की वै इ कीमत अर भतियाभन्द हूंद जन अपण पुरखों  सराद दीणो हूंद।  जन सालाना सराद मृतकों तै याद करणो बान नि हूंद अपितु दुनिया दिखाणो एक कर्मकांड हूंद उनि ट्रेनिंग मैनुअल कु हर्श हूंद। 
ट्रेनिंग मैनुअल की अहमियत इथगा इ च कि यु मैनुअल वै ड्रावर मा रखे जांद जै ड्रावर तै कदाचित ही खोले जांद याने धूल खांदि फाइलु बीच ट्रेनिंग मैनुअल पड्यु मिल्द। 
ट्रेनिंग दीणो भौत सी शैली छन भौत सा सिद्धांत छन , भौं भौं पद्धति छन। 
                                    अफिक त सीख ल्याल पद्धति

चूँकि मैनेजरों तै भूतकाल मा सही पद्धति से ट्रेनिंग नि हूंदी अर यि मैनेजर अपण मेहनत या यस बॉस वळ गुण से मैनेजर बण जांदन तो यूंक  सुचण हूंद कि -हम तै कैन सिखाइ ? जब बगैर ट्रेनिंग का हम मैनेजर बण सकदां तो हौर बि अफिक सीख ल्याल।  इन संस्थानों मा ट्रेनिंग गाळी माने जांद।  

                                 एकलब्य सिद्धांत 
इख नया कर्मिक तै एकलब्य माने जांद कि जु मोळ -माटो द्रोणाचार्य की मूर्ति समिण अफिक तीर चलाण सीख जाल।  याने कर्मिक तै एक द्रोणाचार्य की मूर्ति दिए जांद।  अर ये द्रोणाचार्य की मूर्ति हूंद - ट्रेनिंग मैनुअल।  नया कर्मिक से या आसा हूंद कि ट्रेनिंग मैनुअल पढ़िक नया कर्मिक एक दिन मा प्रवीण (हौनर्स ) की डिग्री त नि पास कर ल्यालु तो भी ग्रेजुएट तो ह्वेइ जालो। 
                        मनुष्य मा दिमाग नी च 

इन पद्धति मा सोच हूंद कि जन कारखाना मा कच्चा माल तै बिभिन्न विधियों से गुजारिक फ़िनिश्ड गुड्स मा बदले जांद उनि कर्मिक तै हरेक बिभगाम एकै दु दु घंटा कुण भिजे जाओ अर वु द्वी दिन मा परिपूर्ण कर्मिक बण जाल। 
                                सिवाळणै सुलाणै पद्धति 

यीं पद्धति मा नया कर्मिक तै संस्थान का इन पुराणो खुर्राटों पास जु अफु तै बड़ो भाषण दीन्देर समजदन।  नया कर्मिक तै यूंक भाषण सुणणो भिजे जांद अर ट्रेनिंग की खाना पूरी करे जांद। 

                     विभागीय लोगुं परिचय याने निराशा सिखणो थौळ (प्लेटफॉर्म )

ट्रेनिंग मा खासकर सेल वळु तै हरेक विभाग से परिचित हूणों उदेस्य से हरेक विभाग मा भिजे जांद। अर हरेक विभाग मा एकाद बगैर कामक कर्मिक हूंदी छन।  जब  बि ट्रेनिंग लीणो क्वी नया बकरा याने कर्मिक आये तो ये खुंड कर्मिक तै ट्रेनिंग दीणो काम मिल जांद।  अवस्य ही यु कर्मिक निरास कर्मिक ही हूंद तो यु कर्मिक नया कर्मिक का मन मा कम्पनी का प्रति इतना निरासा डाळि   दींदु कि नया कर्मिक अपण भाग्य तै गाळी दीण शुरू कर दींदु कि कैं कम्पनी मा ऐ ग्यों। 
                   
                        म्यार ट्रेनिंग का कुछ अनुभव 
मेरी बि सेल्स मा मर्फी मा ट्रेनिंग ह्वे छे।  मर्फी तब अफिक बिक जांद छौ।  अधिक मारामारी नि छे। 
पैलाक दिन तो ऑफिस मा अलग अलग विभाग का लोगुं से परिचय ह्वे दुसर दिन एक में से एक मैना अधिक अनुभवी सेल्समैन का दगड़ भिजे गे।  वैन मि तै सेल्समैनशिप तो नि सिखाइ पर इन अवश्य सिखाइ कि ट्रैवल बिल मा टीए डीए मा कन हेराफेरी करण।  सरा दिन वु मि तै सिखाणु राइ कि सेल्समैन की असली कमाई टीए डीए की हेराफेरी से हूंद। 
तिसर दिन मि तै सर्विस मैनेजर रेडिओ डीलरों परिचय का वास्ता ली गे।  बारा बजि से पैल तीन डीलरूं से कबड्डी जन -छू छू जन परिचय करैक उ सर्विस मैनेजर मि तै सिनेमा दिखाणो ली गे कि बारा से तीन भौत गर्मी हूंद तो जरा वातानुकूलित हॉल का मजा लिए जावो। 
म्यार बॉसन मि तै पूछ बि नि छौ कि मीन कन ट्रेनिंग ले। 
  ट्रेनिंग शब्द एक अच्छु शब्द च पर यदि ट्रेनर ही ट्रेनिंग दीण नि जाणल तो वीं ट्रेनिंग का क्या ह्वाल। 
एक दै मीन नया सेल्स ट्रेनी तै ट्रेनिंग का वास्ता पुरण सेल्स मैन का साथ मार्किट भ्याज अर मि अफु हैदराबाद टूर पर चलि ग्यों ।  द्वी तीन हफ्ता  तक तो मीम क्वी सूचना नि आई किन्तु बाद मा पता चौल कि पुरण सेल्समैन नया सेल्स ट्रेनी का साथ मार्केट नि गे बस अपितु पुरण सेल्समैनन  वै तै अपण विजिटिंग कार्ड देन अर हरेक दुकान दार का टेबल मा कांच का अंदर लगाणो हिदायत दे दे।  

                 मीन जब सेल्स ट्रेनी तै गोडाउन क्लर्क बणै दे !

मीन एक दै एक सेल्स ट्रेनी भर्ती कौर अर ट्रेनिंग का वास्ता वै तै गोडाउन भ्याज।  सेल्स वाळ तै माल परिवहन का ज्ञान आवश्यक हूंद तो अधिकतर कंपन्यूँ मा सेल्स वळ तै गोडाउन (जू ऑफिस से कई मील दूर हूंदन ) अवश्य भिजे जांद।  वै सेल्स ट्रेनीन उत्साह मा ऐक गोडाउन मा सुधार का वास्ता तीन पेज की रिपोर्ट मि तै दिखाइ।  मि रिपोर्ट से प्रभावित ह्वे ग्यों। तिसर दिन मीन गोडाउन कीपर बुलाइ अर वै तै वा रिपोर्ट दिखाइ।  गोडाउन कीपर बि रिपोर्ट से प्रभावित ह्वे गे।  हम दुयुंन वै सेल्स ट्रेनी तै मोटिवेट कार अर वै तै गोडाउन मा स्टोर क्लर्क बणै दे।  अब उ एक बड़ी कम्पनी मा गोडाउन कीपर च।  

                   नया कार्मिक का बि सपना हूंदन 

कुछ समय पैलाक इ बात छन।  मीन एक तरो ताजा एमबीए मुंबई ब्रांच मा ले।  अपण ब्रांच मैनेजर का समिण मीन वै तै लोहार चाल मुंबई मार्किट भ्याज।  लोहार चाल किचेन यूटेंसिल्स का भौत बड़ो व्होलसेल व रिटेल मार्केट च।  दुसर दिन मीन वै एमबीए तै पूछ कि कन राइ तेरो अनुभव ?
वै युवा सेलमैनान उत्तर दे - अर आपन मि तै दुकानदारों पास भ्याज ना कि रिटेलर्स का पास। 
वैन एमबीए की किताबुं मा रिटेलर्स का अर्थ मॉल या डिपार्टमेंटल स्टोर्स समझ ना कि दुकानदार। 
ट्रेंनिंग एक गंवहिर विषय च पर अबि बि भारत मा ट्रेनिंग एक बीमारी इ समजे जांद। 

4/5/15 ,Copyright@ Bhishma Kukreti , Mumbai India 
*लेख की   घटनाएँ ,  स्थान व नाम काल्पनिक हैं । लेख में  कथाएँ चरित्र , स्थान केवल व्यंग्य रचने  हेतु उपयोग किये गए हैं।
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