(गंगासलाण के प्रसिद्ध संस्कृत विद्वान श्रृंखला -4 )
इंटरनेट प्रस्तुति - भीष्म कुकरेती
इंटरनेट प्रस्तुति - भीष्म कुकरेती
श्री ललिता प्रसाद डबराल के बारे में अधिक जानकारी नही मिल सकी है। केवल यही जानकारी हासिल है कि ललिता प्रसाद डबराल ने स्वतंत्रता नन्द नाथ विचरित 'मातृकाचक्र विवेक ' कुशल सम्पादन किया है।
संस्कृत साहित्य के प्रसिद्ध इतिहासकार डा प्रेम दत्त चमोली लिखते हैं कि 'मातृकाचक्र विवेक' का संपादन , संशोधन एवं 13 पृष्ठों में संस्कृत भाषा में विद्वतापूर्ण भूमिका का लेखन ललिता प्रसाद डबराल ने किया है।
'मातृकाचक्र विवेक ' तांत्रिक परम्परायुक्त है। भूमिका में संपादक ने तांत्रिक दृष्टिकोण स्पष्ट किया है। ग्रन्थ के संपादित स्वरूप को शुद्धि पत्रादि विवरण के साथ भूमिका में बीजों एवं तत्वों का स्पष्ट विवेचन भूमिका में दी गयी है।
'मातृकाचक्र विवेक ' तांत्रिक परम्परायुक्त है। भूमिका में संपादक ने तांत्रिक दृष्टिकोण स्पष्ट किया है। ग्रन्थ के संपादित स्वरूप को शुद्धि पत्रादि विवरण के साथ भूमिका में बीजों एवं तत्वों का स्पष्ट विवेचन भूमिका में दी गयी है।
भूमिका में ग्रन्थ का परिचय संसक्षिप्त रूप में हुआ है और ललिता प्रसाद डबराल ने कठिनाईयों का चित्रण भी किया है जिनके कारण ग्रन्थ शुद्धि का कार्य कठिन हुआ है।
संपादकत्व की दृष्टि से ग्रन्थ उत्तम है।
1977 में ग्रन्थ नागरी प्रचारणी सभा , विशेस्वर गंज , वाराणसी में उपलब्ध था।
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