(गंगासलाण के प्रसिद्ध संस्कृत विद्वान शश्रृंखला -2 )
इंटरनेट प्रस्तुति - भीष्म कुकरेती
इंटरनेट प्रस्तुति - भीष्म कुकरेती
तिमली ( डबरालस्यूं )ने संस्कृत , हिंदी व गढ़वाली साहित्य को कई प्रख्यात साहित्यकार दिए हैं। इनमे से एक हैं डा अशोक कुमार डबराल।
डा अशोक कुमार डबराल संस्कृत के सिद्ध कवि पंडित सदानंद डबराल के पौत्र , दार्शनिक , कवि , विद्वान श्री विद्यादत्त के पुत्र याने डा पार्थ सारथि डबराल व डा श्री विलास डबराल के चचेरे भाई हैं।
डा अशोक डबराल का जन्म तिमली , डबरालस्यूं , पौड़ी गढ़वाल , उत्तराखंड में 14 अप्रैल सन 1943 को हुआ।
इन्होने देवीखेत में आधारिक शिक्षा पाई व तिमली संस्कृत पाठशाला से मध्यमा की शिक्षा ग्रहण की। , कशी से साहित्य शास्त्री , आगरा वि वि से 1968 म एमए (संस्कृत ) , 1974 में मेरठ वि वि से एमए हिंदी व चरण सिंह वि वि से 1999 में पीएचडी डिग्री हासिल की।
1962 से 2001 तक अध्यापन कार्य किया और साहित्य सेवा की।
इनके निम्न पुस्तकें छप चुकी हैं
देवात्मा हिमालय -संस्कृत महाकव्य (2004 )
धुक्षते हा धरती - संस्कृत महाकाव्य (2005 )
चन्द्रसिंघस्य गर्जितम् - संस्कृत लघुनाटक प्रकाशित
दायाद्यम् - संस्कृत नाटकम् प्रकाशित
प्रतिज्ञानम् - संस्कृत नाटकम् प्रकाशित
निम्न साहित्य अप्रकाशित है
अथ इति -हिंदी महाकव्य
लिप्टस - हिंदी कहानी संग्रह
मधुमास -हिंदी काव्य संग्रह
एक हमाम में सब नंगे - हिंदी ललित निबंध
डा अशोक डबराल की धर्मपत्नी डा सुशीला ढौंडियाल डबराल भी साहित्यकार हैं और डा सुशीला ने डा अशोक के महाकाव्यों का हिंदी में अनुवाद किया है।
डा डबराल ने काव्य में नई विधाओं का समिश्रण किया है और उनके साहित्य की भुरु भूरि प्रशसा हुयी है।
**** डा प्रेम दत्त चमोली की गढ़वाल की संस्कृत साहित्य को देन से साभार
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