गढ़वाली हास्य व्यंग्य
हौंस इ हौंस मा, चबोड़ इ चबोड़ मा
गैरसैण से भौं भौं डाउ ( विभिन्न प्रकार के दर्द )
(s =आधी अ )
गैरसैण उत्ताराखंडै स्थाइ राजधानी ना सै रुड्यूं राजधानी त बौणि इ गे। पण कथगौं तैं डाs बि दीणी च। अब चीमा जन पहाड़ अर पहाड़ी विरोधी नेता चैक बि गैरसैण की स्थाइ राजधानी या परमानेंट कपिटल ना सै पण रुड्यूं राजधानी,ग्रीष्म कालीन राजधानी, टेम्पोरेरी कपिटल या समर कैपिटल को ताज/पद नि लूठी सकदन। विजय बहुगुणाs निर्णयन पहाड़ विरोधी लौबिक मुख पर इन बुज्यड़ लगाइ बल चैक बि या धुर पहाड़ विरोधी लौबि ये परमानेंट बुज्या तैं नि निकाळ सकदि। पहाड़ अर पहाड़ी विरोधी लौबि कथगा बि चूं-चां कौरलि अब या पहाड़ -पहाड़ी विरोधी लौबिम एक बात स्वीकार करणों अलावा क्वी चारा नी च बल उत्तराखंडs आन्दोलन पहाड़ अर पहाड्यूं बान छौ। बिचारि पहाड़-पहाड़ी विरोधी लौबि बान गैरसैणौ कणसि राजधानी बणण छाती पर एक बड़ो गुल च, एक दर्द च। अर बिचारि पहाड़ -पहाड़ी विरोधी लौबि रोइ बि नि सकदि बलकणम यीं धुर पहाड़ विरोधी लौबि तै खुलेआम विजय बहुगुणा को निर्णयों तारीफ़ इ करण पड़नु च।
गैरसैणों कणसि राजधानी बणन से भारतीय जनता पार्टी का नेता जन कि अजय भट्ट, वी . सी . खंडूरी, कोशियारी, डा. रमेश निशंक आद्यूं तैं बि नानिन्दिs बीमारि लग गे ह्वेलि बल "इ क्या कौंग्रेसन भलो काम करि दे। अब हम विरोध क्यांक करला? अब हम कौंग्रेस पर भगार क्या लगौला?" आजकाल क्वी बि प्रतिपक्ष नि चांदो कि राजकीय पार्टी जन हितमा क्वी फैसला ल्याउ! विरोधी पार्टी चान्दि बल राजकीय पार्टी जन विरोधी निर्णय ल्याओ अर वूं तैं सरकार तैं गाळी दीणो मौक़ा मीलि जावो। अब बिचारि भाजापा कणाणि च, दुखि च, खिन्न च,उदास च बल यि क्या कनै कौंग्रेसन जन-जजबातों, जन -भावना कदर वाळो फैसला ली याल! पण समणि खुसिम दांत निपोड़ी हंसणि च। नाटक करणम भाजापा त कौंग्रेस से भौत अगनै च। जु भाजापा गैरसैण तै रूड्यूं राजधानी बणाण से खुसि जतांद त यूं तै पुछण छौ तुम इथगा सालोंम किलै सियां रौवां भै? पण बिचारा भाजापाई दुखि छन, सन्न छन त यूं तैं क्या पुछण बल जब आन्दोलन चलणो छौ त तुमन किलै नि ब्वाल बल पहाड़ी प्रदेश की राजधानी पहाड़ोंम ना मैदानम होलि?
गैरसैणो कणसि राजधानी बणन से बनि बनि क उत्तराखंड क्रांति दल का कथगा इ नेता त बेहोश पड्याँ छन बिचारोंम जनता तै बौगाणो एकि त नारा छौ अर विजय बहुगुणा वो नारा बि लूठिक ली ग्यायि।त यूं कंगाल नेताओंन बेहोश हूणि च।मै नि लगद यूं उत्तराखंड क्रान्ति दलौ नेताओं बेहोशी दूर ह्वेलि। अब यूंको ऑक्सीजन इ 'गैरसैण' छे त ऑक्सीजन को सिलिंडर त अब विजय बहुगुणा क पास च। हां एक बात च उत्तराखंड क्रांति दल का कै बि नेताक घौ, घाव, चोट, व्यथा, पर कैन बि मलम नि लगाण किलैकि अब कैको बि यूं कमजोर बेकार का नेतौं पर कैको भरवस नि रै गे।
भितरै बात क्वी भैर नि लाणों ह्वालो पण कौंग्रेस का भौत सा नेता बि निरस्यां छन, अब क्वी बि जळतमार कॉंग्रेसी कनकैक सहन कारल कि दुसर कॉंग्रेसीs बडै ह्वावो, प्रशंसा ह्वावो; त इन मा गैरसैण को उत्ताराखंडै स्थाइ राजधानी ना सै रुड्यूं राजधानी बणन से ज्याठा नेता बि निरास ही छन बल इन कनो विजय बहुगुणा सरा क्रडिट अफिक ली जावो! तुम इ सचि बथावदि बल क्या जनता द्वारा विजय बहुगुणा की प्रसशा से अपणा सतपाल महाराज, हड़क सिंग रावत, गोविन्द सिंह कुंजवाल, हरीश रावत खुस, प्रसन्न ह्वाला ?
पण गैरसैणो कणसि राजधानी बणन से पहाड़ी जनता खुस च कि पूरो नि सै एक बाटो त खुलि गे।
Copyright@ Bhishma Kukreti 10/2/2013
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