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उत्तराखंडी ई-पत्रिका

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Wednesday, February 13, 2013

" प्रभो मेरी भी सुनो "

( किसे की धार्मिक भवनो को ठेस पहुन्चाने का मेरा कोइ इरादा नहीं है। छमा का परारथी हूँ )

" प्रभो मेरी भी सुनो "

कुम्भ की समाप्ति के बाद
शिबने गंगा से पूछा ....
कहो,, गंगे .....
कई सों करोड़ लोगो को नहलाकर
तुम्हे , कैसे लग रहा है
कुछ तो बतलाईये ना ???

गंगा बोलीं ... प्रभो ....
पापियों के पाप धोते धोते
गले गले तक आ गई है
अब तो आप,
मुझे बचाईये ना !

पराशर गौर

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