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उत्तराखंडी ई-पत्रिका

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Wednesday, February 20, 2013

आण वळ राजनैतिक मौसम


गढ़वाली हास्य व्यंग्य
हौंस इ हौंस मा, चबोड़ इ चबोड़ मा
                             आण वळ राजनैतिक मौसम
                                 चबोड़्या-चखन्यौर्या: भीष्म कुकरेती
(s =आधी अ )
आण वळ मौसम की भविष्यवाणी सरल नि होंदि किलैकि बल स्त्री चरित्रंम , पुरुषस्य भाग्यम अर वातावरणम बदलावs बाराम दिवता बि नि बथै सकदन त मनिखौ क्या बिसात! पण अचकाल हम भारत को राजनैतिक मौसम की जानकारी अग्रिम जानकारी दीण लैक ह्वे गेवां।

अब द्याखो ना चुनाव आण इ वाळ च त बजट का जरिया गरीब नामक पहाड़ियोंम कनसेसन अर स्कीमों का बादळ जरूर दिख्याला।
गरीबुं नामौ स्कीम गरीबुं ड्यार त क्या बरखलि ? पण या स्कीम ट्रांस्फोर्मेसन का जरिया गरीबुं हिमायत्यूं ड्यार जरूर बरखलि ।

गरीबू आकाशम चुनाव तलक राजनैतिक पार्टी रुपी बनि बनिक बादळ जरूर रोज दिख्याला। गरीब लोग ये आसरा मा राला बल क्वी ना क्वी बादल यूंखुणि खुशहाली लालो पण सबि बादल 'काले बादल जी डरावे' जन सिद्ध ह्वाला।
राजनैतिक आश्वासनोंम अणु -परमाणु बम कृतिरिम ढंग से इंजेक्ट ह्वाला।हरेक पार्टी हेड क्वार्टर बिटेन आश्वासनों बम्ब लेकि हरेक राजनीतिग्य आश्वासनों बमब्याट कारल अर हरेकौ बमब्याट को हल्ला मा इन पता इ नि चौलल कि यी आश्वासन रूपी बम सन बावनो आश्वासन छन अर इथगा सालोंम खालि 'मेड बाइ ' को लेबल ही बदल्याणु रौंद। आश्वासनों बम से वातावरणमाँ एक अजीब सि बेहोशिक गंध फैललि जां से जनता बेहोश ह्वे सकदी। कुछ लोगुं पर आश्वासनों बम फटण से दिनम बि सुपिन दिखणो रोग लगि जालो अर पूरो वातवरणम एक दिव्य भरम की चकाचौंध रालि या दिव्य भरम की चकाचौंध बि जनता तै अति काल्पनिक आनन्द दीणि रालि।

राजनैतिक आरोप प्रत्यारोपुं बादल रोज फटणा राला अर यांसे वातवरणम गंदगी, सड्याण, चिराण पैदा होलि अर जनताम गुस्सा, चिंता, आशाहीनता नामक बीमारी अवश्य सौरलि (फ़ैललि).चूंकि हकीम लुकमानम बि गुस्सा, चिंता, आशाहीनता नामक बिमार्युं दवा नी होलि त जनता तै नया किस्मौ कैंसर की लाइलाज बिमारी भुगतण इ पोड़ल। लोगुं समजमा यो नि आलो बल यूं आरोप-प्रत्यारोपु बादळुम गाळी जन विषैलो पदार्थ कखन ऐ गे।

राजनैतिक गहमा गहमी से वातवरणम भयंकर गर्मी पैदा हवे जालि अर आचार -विचार-सही सची बातों -सुलक्षणी व्यवहार की कमी से सूखा पोडि जालो। सब जगा झूट, लम्पटगिरी, लफंगागिरि, लुच्चागिरि ,अनाचार को राज ह्वे जालो।
चुनावी मौसमम जन कि हर दै हूंद चुनाव टिकट पाणों बान पार्ट्यु दफ्तरम दंगऴयाट-भंगऴयाट-भिभड़ाट को वातावरण त अवश्यम्भावी च।

चंदा वसूली का बादल बिचौलियों ड्यार धना सेठुं से जादा दिख्याला।
चुनाव जितणो मनोकांक्षा से कुछ स्थाई वाइरल वीमारी बि फैल्दन जन कि परिवारवाद। कौंग्रेस, लालू जीक पार्टी, अकाली दल, शिवसेना, मुलायम सिंग यादव जीक तर्ज पर भारतीय जनता पार्टीमा बि परिवार वाद को वाइरस सौरल ( फैलना )
पौलिटिकल पार्ट्यु द्वारा अलाइन्स पार्टनरो खोज से वातावरणम गलतफहमी,भरम अव्यवस्था, गडबड, क्या बुन्या-क्या कन्या स्थिति , भैर कुछ हौर-भितर कुछ हौर, अस्थिरता को डरs बबंडर चुनाव ही ना चुनावुं पैथर बि रालो अर ये गलतफहमी,भरम अव्यवस्था, गडबड, क्या बुन्या-क्या कन्या स्थिति , भैर कुछ हौर-भितर कुछ हौर, अस्थिरता को डरs बबंडर से प्रजातंत्र की पौ/नींव खपचाणो खतरा सद्यानि बण्यु रालो।

राजनैतिक भाषणोंम जातीय विषैली गैस भर्यालि अर वोटर्स भारतीय हिसाब से नि गणे जाला बल्कण धर्म , जाती, उप जाती का हिसाब से खंडित होला। क्वी बि वोटर भारतीय ह्वेक वोट नि द्यालो बल्कणम धरम अर जातिक हिसाब से वोट द्यालो।
प्रधान मंत्री कु बौणल को गुबारा हरेक जगा लटक्यां राला अर यां से राजनैतिक पार्टी चुनावी गणत लगाणा राला।
में सरीखा चबोड्या लिख्वारो कुण त मजा रालो कि रोज एक नयो विषय अफिक मीलि जालो।

Copyright@ Bhishma Kukreti 21/2/2013  

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