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उत्तराखंडी ई-पत्रिका

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Monday, February 4, 2013

पत्नी के दिल में भी खयाल आता है !


हौंसि हौंस मा, चबोड़ इ चबोड़ मा

                           पत्नी के दिल में भी खयाल आता है ! 

                                         चबोड्या: भीष्म कुकरेती

(s=-माने आधी अ )

वैदिन घरवळि बुलण लगि बल," तुम से बढ़िया त वो फिलम वाळ राकेश इ ठीक छौ।"
"कु फिलम वाळ?" मीन पूछ

वींन बोलि," जु तुम से पैलि मि तैं दिखणो ऐ छौ। क्या बुलबुला छा, क्या स्टाइल छे वैबरि वैकि, वैक समणि देवा नन्द बि शरमांदो होलु।"

"त किलै नि कार वैक दगड़ पलाबन्द ? मि कैं मतबरौ नौनि लयांद , कुछ दहेज मा त मिलदो।"
घरवळिs जबाब छौ," मि त तयार छौ पण बुबा जीक बुलण छौ बल जु दुसरो नकल करण वळु ह्वालो वों फिलम लैनम ऐक्स्ट्रा बि नि बौण सकुद।"

मीन वीं तैं चिरड़ाइ," हां वो ता जिंदगी फ़िल्मी स्ट्रगलर रौंद अर त्यार बुबा जी तुम तै पळणो रौंदा।"
वींन बोलि," जब वूं तैं हिंदी फिल्मुंम ऐक्स्ट्रा क पाठ (रोल) खिलणो बि नि मिलदो त वो गढ़वळि भाषा प्रेमी ह्वै जान्दा"
मीन रुसैक बोलि," त्यार मतबल च जु हिन्दी साहित्य या हिन्दी फिल्मोम फेल ह्वे जांदन वो इ गढ़वाली साहित्य या गढ़वाळि फिल्मोंम आंदन।"

वा बुल्दि गे," जब हिंदी फिल्मोम कामयाब नि होंदा मिल्दो त वो राकेश गढ़वळि फिल्मो विकास अर संवर्धन का वास्ता बौलिवुड छोड़िक हिलवुड याने देहरादून ऐ जांदा।"

मीन बोलि," नै या बात सै नी च बल हिलवुड याने गढ़वळि फिल्मो मा वी आंदन जु हिंदी फिलम उदयोगम फेल ह्वे जांदन।"
घरवळि बुल्दि गे," उन त वो बेकार से बेकार, फोर्थ ग्रेड से बि बेकार गढ़वळि फिल्म बणान्दा पण गढ़वळि लोग भावना क बल पर फिल्म देखि लींदा।"

मीन ब्वाल," हां गढ़वऴयूं जोगम फोर्थ ग्रेड से बि बेकार फिलम लिख्यां छन त आलतू -फालतू फिलम बौणलि"
वा बुल्दि गे," बुड्यांद दें राकेश तै पश्चाताप होंद बल वैन अब तलक गढ़वळि संस्कृति दगड़ बदतमीजी ही कार अर राकेश तिलु तड़ीयलि पर फिलम बणान्दू ."

मीन बोलि," बस अब त लोक कथा अर लोक गीतों तै इ गढ़वळि संस्कृति माने जांदो बकै कलाओंक बाराम त लोग बौं हड़ पोड्याँ छन, सिंयाँ छन "

वींन मेरि बातुं पर ध्यान नि दे," अर फ़िर तीलू तडियालि अर अमरदेव गाथा पर राकेश फिलम बणान्दु ,"
मीन छिटगा लगै," हजार चूहे खा के बिल्ली हज को चले।"
वा बुल्दी गे," वीं सांस्कृतिक फिलमम कुछ सीन तीलू तडियाली अर अमरदेव का गंगा जी अर नयार नदीम स्विमिंग का सीन रौंदा।"

मीन पूछि , "स्विमिंग सीन स्विमिंग सूट मा या स्यूं कपड़ोमा ?"

वा बुल्दि गे "जब फिलम सेंसर से पास ह्वे जांदी अर रिलीज होणो ठीक एक दिन पैलि उत्तराखंड का मुख्यमंत्री फिलम तै बैन करी दींदा ,"
मीन बोलि," हैं गढवाली संस्कृति बचाण वळि फिलम तै कर मुक्त हूण चयाणि छे कि फिलम बैन हूण चयाणि छे ?"
वींको बुलण छौ," मुख्यमंत्री बयान हूंदा बल इन सुणन मा आयि बल फिलम मा कुछ सेक्सी सीन छन जो गढवाली संस्कृति का खिलाफ छन। ड्यारादूण म गढ़वाली संस्कृति बचावो संगठन फिल्म का विरोधमा घंटाघरम अंग्रेजी बैनरों लेकि धरना मा बैठि जांदा "

मीन बोलि," त मुख्यमंत्री अर गढ़वाली संस्कृति बचावो संगठन वाळुन पैलि फिलम देखि ह्वेली ?"
वा बुल्दि गे ,"ना फिलम कैन नि देखि ह्वेलि पण विरोध बड़ो होंदु। सब तै संस्कृति बचाणों चिंता जादा होंदी अर इन माँ सबि फिलम दिखणै बात नि करदा।"

मीन पूछ," इन कनो भै फिलम कैन नि देखि अर बगैर फिलम दिख्यां फिलम को विरोध?"
वा बुल्दि गे," भारत एक प्रजातांत्रिक देश च इख राजनैतिज्ञों , धर्मअर संस्कृति का ठेकेदारों डंडा न्यायपालिका अर कार्यपालिका से जादा असरदार च . फिर वा फिलम दिल्ली मा रिलीज होंदि "
मीन पूछ," दिल्ली माँ बि विरोध होलु ?"

वींको जबाब छौ," ना . उख त फिलम की बड़ी तारीफ़ होंदि। नयार अर गंगा जी मा अमरदेव अर तीलू तड़ीयाली माछ अर मच्छी रूप माँ तैरदन अर यो सीन गढ़वळि फिल्मो इतिहासम सबसे बढ़िया सीन होंदो।"
मीन पूछ,' फिर या फिलम देहरादून याने उत्तराखंडम रिलीज होंदि कि ना?"

वींन बोलि," किलै नि होंदि। मुख्यमंत्री तै पार्टी फंड अर संस्कृति बचाण वळ संगठनो तै फिलम रिलीज से पैलि चंदा दियॆ जांदो त फिलम को विरोध बि नि होंद।"

मीन पूछ," त क्या जयललिता अर मुस्लिमो तथा कथित हितैषी मुस्लिम संगठनो न कमला हासन की फिलम विश्वरूपम फिलम को विरोध रुपया खाणों बाण करी होलु?"
वींन बोलि," कुज्याण ! लोग त इनि शक करणा छन .!"

Copyright@ Bhishma Kukreti 5/02/2013

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