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उत्तराखंडी ई-पत्रिका

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Thursday, February 21, 2013

उत्तराखंड ग्रामीण पर्यटन के लिए सर्वोत्तम स्थल!


 डा . बलबीर सिंह रावत



सुनने में कैसा लगा? नहीं यह कोई कल्पना की उड़ान नहीं है। भारतीय संस्कृति और संस्कार ग्रामीण परिवेश में अधिक देखने को मिलते हैं, वोह अतिथि सत्कार की भावना, अपरिचितों से घुलमिल जाना, सामूहिक रूप से परस्पर एक दुसरे से घनिष्टता बढ़ाना, जो है वही मिल बाँट कर, खाना, त्योहारों, उत्सवों, मेलों में, खुशियाँ मनाना, लोक नृत्य व् संगीत में सामूहिक रूप से शामिल होना। खाली खेतों में खेलकूद, चांदनी रातों में किशोर किशोरियों के सामूहिक नृत्य, संगीत, बड़ों की चौपालें, दादी नानियों की कहानियां। ग्रामीण प्रयटन कम आय वर्ग के शिक्षित लोगों के लिए सर्वोचित है।
दिन में दिनचर्या के कार्य, लकड़ी, घास, फसल, पशु , पानी, रसोई की व्यवस्था, में जंगल, खेत, पानी के सोते चश्मों की सैर, पास के कसबे से खरीददारी,

खुले में नहाना, अपने कपडे आप धोना, फलों के मौसम में पेड़ों में चढ़ कर फल तोड़ना, ताजे ताजे खा भी लेना, पेटियों में रखना, तोलना, बेचना , या घर लेजा कर सुरक्षित रखना।
किसी शिशु के जन्म पर या शादी व्याह के उत्सव पर कैसे सारा गाँव इकठ्ठा हो कर हर कार्य में शामिल होता है और खुशिया भी बाँटता यह गाँव के अलावा और कही नहीं मिलेगा।

कौन नहीं चाहेगा अन्य स्थानों के ग्रामीण रीति रिवाजों से परिचित होना? अगर मौका मिले तो। जी हाँ। ग्रामीण प्रयटन का यही उद्देश्य है की पूरे देश के विभिन्न क्षेत्रों के रीति रिवाजों से परिचित होना, दैनिक जीवन के क्रियाकलापों में शामिल होना, कुछ सीखना, कुछ सिखाना, राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा देने के लिए आपसी लगाव की उष्णता की अनोखी अनुभूति को प्रसारित करना ।

सामान्य प्रयटन से यह ग्रामीण प्रयटन भिन्न है। इसे हम participative tourism भी कह सकते हैं, जहा आप, रहने, सोने, खाने और अन्य सारी गतिविधियों में स्थानीय लोगों के बीच ही रहते हैं। पाहिले दो एक दिन अपरिचितों की तरह कुछ दूरी बनाए हुए, एक दुसरे को जानने का प्रयत्न करते हैं, इसके बाद जहां खुले, तो फिर वह अपनाये जाने के आनन्द की वही कल्पना कर सकता है जो इसकी ढूँढ में, दूर दराज के गाँव के बीच आ धमकता है।
ग्रामीण पर्यटन से ग्रामीण उत्तराखंड को निम्न मुख्य फायदे हैं -

१-पर्यटन के कारण जनित ग्रामीण रोजगार से ग्रामीण आय में सकारात्मक
२-पलायन की रोकथाम वृद्धि
३-विदेशी मुद्रा वृद्धि
४-ग्रामीण वस्तुओं की मांग बढ़ेगी
५-ग्रामें कृषि व जीवन यापन शैली में सही कामयाब, प्रतियोगी हिसाब से परिवर्तन
६-ग्रामीण संस्कृति को एक पहचान
७-ग्रामीण संस्कृति की सुरक्षा 

भारत सरकार पर्यटन पर ध्यान दे रही है
सन दो हजार सोलह के के लिए भारत सरकार ने बारह मिलियन पर्यटकों का टार्गेट रखा हैजब की सन दो हजार ग्यारा में करीब सात मिलियन पर्यटक आये । एक अनुमान के अनुसार भारत ग्रामीण पर्यटन से प्रति वर्स में चार हजार करोड़ का ब्यापार कर सकता है

अभी तो गाँवों में आगंतुकों के लिए कोइ अलग से रहने का, होटल, धरमशाला जैसा स्थान नहीं हैं। मेहमान अपने मेज्मानो के ही घरों में ठहरते हैं। अगर आप अपने किसी मित्र के साथ आये हैं तो कोई समस्या नहीं है। अगर आप दल बना कर आये हैं तो पहुचने से पाहिले, स्थानीय ग्राम सभा से, या स्कूल के अध्यापकों से इन्टरनेट द्वारा या मोबाइल से जानकारी ले सकते हैं की क्या उनके पास पंचायत भवन में, या कहीं अन्य स्थान में,कुछ दिनोके लिए ठहरने के व्यवस्था हो सकती है? यह तो हुवा व्यक्तिगत स्तर का प्रयास . लेकिन, अगर ग्रामीण प्रयटन को आकर्षक व्यवसाय बनाना है तो निम्न उपाय करना लाभदायक रहेगा :

1. दर्शनीय स्थलों में ऐसे गाँव की सूची बनाना, जिनमे काफी आबादी हो और वे अन्य स्थानों से आये युवाओं, जोड़ों, परिवारों, को स्वीकार करके, उन्हें अपनी जीवनशैली से परिचित कराने को उत्सुक हों। उनके आठ घुल मिल कर दीनिक कार्यों में उन्हें शामिल करने के उत्सुक हों।

2. ऐसे गाँव मोटर मार्गों के समीप हों, आसपास के दर्शनीय स्थलों, मंदिरों, मेलों, हांट-बाजारों में पैदल घूमे जाने के सुगम रास्ते हों।

3. गाँव में ठहरने के लिए, प्रवासियों के खाली पड़े मकानों में कुछ कमरे , मालिकों की सहमती से पर्यटन सीजन के लिए ठहरने की व्यव्स्था के लिए लिए किराए पर जा सकते हों। और उन में बिछौने,पानी, बिजली , गुसलखाने की सुविधा हो।मोटर साइकलों और कर पार्किंग के लिए स्थानं हों।

4. स्वादिष्ट भोजन पकाने वाले रसोइयों के लिए भी यह पर्यटन रोजगार के अवसर घर में ही ला सकता है। इसलिए पाक हुनर के 2 हफ्ते के प्रशिक्षण की व्यवस्था हो तो चयनित गाँव के ही किसी इच्छुक व्यक्ति को प्रशिक्षित किया जा सकता है। सरयूल परिवार के लोग तो प्रशिक्षित होते ही हैं।

5.गाँव में/आसपास के गाँवोँ मेमे लोक संगीत और लोक नृत्य दलों का गठन किया जा सकता है, और पर्यटकों को आमंत्रित करके उन्हें स्थानीय संस्कृति के इस पहलू से परिचित किया जा सकता है।मेलों में ऐसी आयोजन अक्सर होते रहते हैं, इनको ग्रामीण पर्यटन से जोड़ा जा सकता है।

6. जब पर्यटन सीजन में कुछ फलों की फसलें तैयार होती हैं तब उस काल में, फल मेले, ग्रामीण खेल कूद, सांस्कृतिक गतिविधियां, जैसे कथायें, प्रवचन, निबन्ध लेखन, पुस्तक मेमे इत्यादि आयोजित किये जा सकते हैं।

ग्रामीण प्रयटन के पैकेज टूर अधिक आकर्षक होंगे, जिनमे रहने, भोजन , घूमने , सहभाग करने के खर्चों का प्रतिव्यक्ति सूचना हो और ऐसे पैकेजों का खूब प्रचार हो तो यह नए प्रकार का पर्यटन उद्द्योग काफी लोकप्रिय हो सकता है।         

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