Kuninda King Rule & economic , religious Conditions in Hardwar ,Bijnor , Saharanpur
Ancient History of Hardwar ,Bijnor history , Saharanpur H Part - 196
कुनिंद शासन में आर्थिक स्थिति
भाबर की मंडियों में व्यापार आय के मुख्य साधन थे। अमोदभूति की मुद्राएँ प्रचलित थीं व तीनों शासन - कुषाण, यौयेध , यवन मुद्राएँ साबित करती हैं कि यहां निर्यात व आयत होता था। मकान पक्की ईंटो किन थीं व कुँओं की जगत पर गोल ईंटों की चिनाई ह
Copyright@ Bhishma Kukreti Mumbai, India 2018
History of Haridwar, Bijnor, Saharanpur to be continued Part --
हरिद्वार, बिजनौर , सहारनपुर का आदिकाल से सन 1947 तक इतिहास to be continued -भाग -
Ancient History of Kankhal, Haridwar, Uttarakhand ; Ancient History of Har ki Paidi Haridwar, Uttarakhand ; Ancient History of Jwalapur Haridwar, Uttarakhand ; Ancient History of Telpura Haridwar, Uttarakhand ; Ancient History of Sakrauda Haridwar, Uttarakhand ; Ancient History of Bhagwanpur Haridwar, Uttarakhand ; Ancient History of Roorkee, Haridwar, Uttarakhand ; Ancient History of Jhabarera Haridwar, Uttarakhand ; Ancient History of Manglaur Haridwar, Uttarakhand ; Ancient History of Laksar; Haridwar, Uttarakhand ; Ancient History of Sultanpur, Haridwar, Uttarakhand ; Ancient History of Pathri Haridwar, Uttarakhand ; Ancient History of Landhaur Haridwar, Uttarakhand ; Ancient History of Bahdarabad, Uttarakhand ; Haridwar; History of Narsan Haridwar, Uttarakhand ; Ancient History of Bijnor; Ancient History of Nazibabad Bijnor ; Ancient History of Saharanpur; Ancient History of Nakur , Saharanpur; Ancient History of Deoband, Saharanpur; Ancient History of Badhsharbaugh , Saharanpur; Ancient Saharanpur History, Ancient Bijnor History;
हरिद्वार इतिहास , बिजनौर इतिहास , सहारनपुर इतिहास -आदिकाल से सन 1947 तक-भाग - 196
इतिहास विद्यार्थी ::: भीष्म कुकरेती
कनिंघम , स्मिथ व ऐलन , रैपसन ने किसी कुणिंद रावण शासक के मुद्राओं का उल्लेख नहीं किया था। डा सतीश काला को भैड़गाँव गढ़वाल (कोटद्वार , नजीबाबाद के बहुत ही निकट ) में रावण की 15 ताम्र मुद्राएं मिलीं थीं (जॉर्नल , न्यूसिस्मैटिक भाग 18 , पृष्ठ 40 ) . डा डबराल ने भी भैड़गाँव से मुद्राएं प्राप्त किन थीं।
ये सभी मुद्राएं असावधानी से ढाली गयीं हैं , मुद्राओं का भार 20 से 25 ग्रेन। अग्रभाग में लेख में रावणस्य ब्राह्मी में है। कहीं कहीं तो रावण का नाम अस्पस्ट है। किरीट धारी देवी का चित्रांकन है व पृष्ठ भाग में तोरणधारी खड़ा पुरुष है।
133 ग्रेन भार वाली मुद्राओं के अग्रभाग में ब्राह्मी लेख 'वणस्य ', नीचे मानवीकृत देवी , दाहनी ओर चैत्य ,पृष्ठ भाग में दाहनी ओर त्रिशूल व बायीं ओर अन्य चित्रण।
अग्रभाग में ऊपर एक अंकन , नीचे लेख , रावण। पृष्ठ भाग में त्रिशूल संलग्न युद्ध परुशु , बिंदुओं से बनी परिधि।
रावण कुणिंद शासक का क्षेत्र
कालाओं के गाँव सुमाड़ी व भैड़ गाँव के अतिरिक्त रावण की कोई मुद्राएं नहीं मिलीं। इससे अनुमान लगाया जा सकता है रावण का शासन गढ़वाल भाभर अथवा उत्तरी बिजनौर -भाभर या कुछ हद तक पूर्वी हरिद्वार भाभर तक रहा होगा।
इस रावण शासक का रामायण प्रसिद्ध रावण से संबंध नहीं जोड़ा जा सकता है।
कुणिंद काल की प्राचीन वस्तियां
स्रुघ्न , कालसी , बेहट , जगतग्राम , सुमाड़ी , भैड़गाँव , गोपेश्वर , कर्त्रिपुर , गोविषाण मुख्य वस्तियां थीं
बेहट सहारनपुर
चकरौता -सहारनपुर मार्ग में यमुना नहर के मध्यवर्ती क्षेत्र में बेहट यहां से प्रचुर मात्रा में कुणिंद व अन्य मुद्राएं व ऐतिहासिक सामग्री मिली हैं। अनुमान लगाया जाता है कि प्राचीन बेहट बाढ़ में दब गया और नया बेहट वहां बस गया (प्रिंसेप , इंडियन ऐंटीक्वीटीज पृष्ठ 83 -85 )
कुनिंद शासन में आर्थिक स्थिति
भाबर की मंडियों में व्यापार आय के मुख्य साधन थे। अमोदभूति की मुद्राएँ प्रचलित थीं व तीनों शासन - कुषाण, यौयेध , यवन मुद्राएँ साबित करती हैं कि यहां निर्यात व आयत होता था। मकान पक्की ईंटो किन थीं व कुँओं की जगत पर गोल ईंटों की चिनाई ह
अनेक सुविधा जुटाने की सामग्री खुदाई में मिलीं हैं। धातु पिघलाने पिघलाने की भट्टियां व लौह टुकड़े दर्शाते हैं कि यहां हथियार की मूठें , हथियार निर्मित होतीं थीं , मुद्राएं ढलती थीं . मनके भी यहां बनते थे।
धार्मिक स्थिति
बौद्ध व सनातन दोनों धर्म प्रचलित थे।
प्रयाग प्रशस्ति साक्ष्य
यौयेध गणराज्य था। समुद्रगुप्त के शासन में भी गणराज्य के रूप में ही उल्लेख हुआ है। प्रयागप्रशस्ति में मालव , समतट , यौयेध , आभीर , प्रार्जुन सनका , काक , खरपरिक नौ गणराज्यों का पृथक उल्लेख है। इनसे पहले पांच राजा जनपदों समतट , डवाक , कामरूप व नेपाल के बाद कर्तृपुर नृपतियों के नाम आते हैं। कुछ इतिहासकार कुणिंद व कर्तृपुर नरेशों से जोड़ते हैं किन्तु जोशीमठ के कत्यूरी काल प्रारम्भ व व कुणिंद काल के मध्य 400 सालों का अंतर् है अतः कटीरियों का कुणिंदों से सीधा संबंघ तर्कपूर्ण नहीं लगता है।
देहरादून के पास अश्वमेध यज्ञ के साक्ष्य मिले हैं जिसे इतिहासकार यौयेध गणराज्य का साक्ष्य मानते हैं (डबराल वही, पृष्ठ 251 -55 )
Copyright@ Bhishma Kukreti Mumbai, India 2018
History of Haridwar, Bijnor, Saharanpur to be continued Part --
हरिद्वार, बिजनौर , सहारनपुर का आदिकाल से सन 1947 तक इतिहास to be continued -भाग -
Ancient History of Kankhal, Haridwar, Uttarakhand ; Ancient History of Har ki Paidi Haridwar, Uttarakhand ; Ancient History of Jwalapur Haridwar, Uttarakhand ; Ancient History of Telpura Haridwar, Uttarakhand ; Ancient History of Sakrauda Haridwar, Uttarakhand ; Ancient History of Bhagwanpur Haridwar, Uttarakhand ; Ancient History of Roorkee, Haridwar, Uttarakhand ; Ancient History of Jhabarera Haridwar, Uttarakhand ; Ancient History of Manglaur Haridwar, Uttarakhand ; Ancient History of Laksar; Haridwar, Uttarakhand ; Ancient History of Sultanpur, Haridwar, Uttarakhand ; Ancient History of Pathri Haridwar, Uttarakhand ; Ancient History of Landhaur Haridwar, Uttarakhand ; Ancient History of Bahdarabad, Uttarakhand ; Haridwar; History of Narsan Haridwar, Uttarakhand ; Ancient History of Bijnor; Ancient History of Nazibabad Bijnor ; Ancient History of Saharanpur; Ancient History of Nakur , Saharanpur; Ancient History of Deoband, Saharanpur; Ancient History of Badhsharbaugh , Saharanpur; Ancient Saharanpur History, Ancient Bijnor History;
कनखल , हरिद्वार इतिहास ; तेलपुरा , हरिद्वार इतिहास ; सकरौदा , हरिद्वार इतिहास ; भगवानपुर , हरिद्वार इतिहास ;रुड़की ,हरिद्वार इतिहास ; झाब्रेरा हरिद्वार इतिहास ; मंगलौर हरिद्वार इतिहास ;लक्सर हरिद्वार इतिहास ;सुल्तानपुर ,हरिद्वार इतिहास ;पाथरी , हरिद्वार इतिहास ; बहदराबाद , हरिद्वार इतिहास ; लंढौर , हरिद्वार इतिहास ;बिजनौर इतिहास; नगीना , बिजनौर इतिहास; नजीबाबाद , नूरपुर , बिजनौर इतिहास;सहारनपुर इतिहास; देवबंद सहारनपुर इतिहास , बेहत सहारनपुर इतिहास , नकुर सहरानपुर इतिहास Haridwar Itihas, Bijnor Itihas, Saharanpur Itihas
No comments:
Post a Comment
आपका बहुत बहुत धन्यवाद
Thanks for your comments