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उत्तराखंडी ई-पत्रिका

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Sunday, May 13, 2018

युग शैल के अश्वमेध यज्ञ कर्ता शासक और हरिद्वार , सहारनपुर , बिजनौर का इतिहास (290 -350 ई )-1

Ashwamedha yagya Performing Kings & History of haridwar, saharanpur and bijnor  
        Ancient  History of Haridwar, History Bijnor,   Saharanpur History  Part  -  198                     
                                                हरिद्वार इतिहास ,  बिजनौर  इतिहास , सहारनपुर   इतिहास  -आदिकाल से सन 1947 तक-भाग -  198                

                                               इतिहास विद्यार्थी ::: भीष्म कुकरेती  


            अंतिम कुषाण नरेश पश्चात व कुणिंद शासन अवसान बाद पर्वतीय उत्तराखंड व मैदानी प्राचीन उत्तराखंड इतिहास हेतु निम्न सूचनाओं पर निर्भर करना पड़ता है -
अ -  छत्रेश्वर , भानु व रवां की कुणिंद मुद्राएं 
ब - गोविषाण में मित्र वंशजों के इष्टका लेख जो बिजनौर इतिहास पर प्रकाश डालने में सहायक हैं 
स -प्रयाग प्रसस्ति जिसमे कर्तृ पुर नृपति का उल्लेख है 
द -लाखामंडल में प्राचीन प्रसस्ति जो सहारनपुर व हरिद्वार इतिहास हेतु सहायक हैं 
  उपरोक्त सामग्रियों से अनुमान लगता है कि कुणिंद अवसान कालीन शासक व गोविषाण (उधम सिंह नगर ) मित्रवंशी समकालीन थे।
        
               पश्चिम देहरादून के जौनसार बाबर क्षेत्र में  (पूर्वी सहारनपुर व उत्तरी हरिद्वार से सटा क्षेत्र ) जयदास या उसके किसी वंशज का शासन था . 
         शिव भवानी 
जगतग्राम (  पश्चिम देहरादून ) में पुरातत्व विभाग ने 1952 -54 खुदाई की तो देहरादून , सहारनपुर , हरिद्वार इतिहास के नए पृष्ठ खुले।  अम्ब्री गाँव में शिव भवानी का एक अभिलेख मिला व अश्वमेध यज्ञ के चिन्ह भी जगतग्राम में मिले (asidehraduncircle. in /excavation . html ) 
    महाभारत अनुसार सूर्यवंशी  नभागपुत्र ने प्राचीनकाल में अंबरीष में यज्ञ किया था (आदि पर्व 1 /227 ) .   ब्राह्मी लिपि  व ईंटों से लगता है कि यह साइट तीसरी सदी की है।  अश्वमेध यज्ञ की बलि स्थान व गुरुदाकार वेदी से सिद्ध हुआ कि यहां युगशैल के शासकों ने अश्वमेध यज्ञ किया था। भारत में तीसरी सदी में अश्वमेध यज्ञ की सूचना अभी तक नहीं मिली है।  
     चूँकि अभी अभिलेख पढ़ा नहीं गया है तो शिव भवानी के बारे में अधिक जानकारी अभी तक नहीं हो सकी है 
   







Copyright@ Bhishma Kukreti  Mumbai, India  2018 
   History of Haridwar, Bijnor, Saharanpur  to be continued Part  --

 हरिद्वार,  बिजनौर , सहारनपुर का आदिकाल से सन 1947 तक इतिहास  to be continued -भाग -



      Ancient History of Kankhal, Haridwar, Uttarakhand ;   Ancient History of Har ki Paidi Haridwar, Uttarakhand ;   Ancient History of Jwalapur Haridwar, Uttarakhand ;   Ancient  History of Telpura Haridwar, Uttarakhand  ;   Ancient  History of Sakrauda Haridwar, Uttarakhand ;   Ancient  History of Bhagwanpur Haridwar, Uttarakhand ;   Ancient   History of Roorkee, Haridwar, Uttarakhand  ;  Ancient History of Jhabarera Haridwar, Uttarakhand  ;   Ancient History of Manglaur Haridwar, Uttarakhand ;   Ancient  History of Laksar; Haridwar, Uttarakhand ;     Ancient History of Sultanpur,  Haridwar, Uttarakhand ;     Ancient  History of Pathri Haridwar, Uttarakhand ;    Ancient History of Landhaur Haridwar, Uttarakhand ;   Ancient History of Bahdarabad, Uttarakhand ; Haridwar;      History of Narsan Haridwar, Uttarakhand ;    Ancient History of Bijnor;    Ancient  History of Nazibabad Bijnor ;    Ancient History of Saharanpur;   Ancient  History of Nakur , Saharanpur;    Ancient   History of Deoband, Saharanpur;     Ancient  History of Badhsharbaugh , Saharanpur;   Ancient Saharanpur History,     Ancient Bijnor History;
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