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उत्तराखंडी ई-पत्रिका

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Sunday, May 13, 2018

युगशैल शासक शील वर्मन

History of  Yugshail Kings of Haridwar, History Bijnor,   Saharanpur

    Ancient  History of Haridwar, History Bijnor,   Saharanpur History  Part  -  199                      
                                                हरिद्वार इतिहास ,  बिजनौर  इतिहास , सहारनपुर   इतिहास  -आदिकाल से सन 1947 तक-भाग - 199                  

                                               इतिहास विद्यार्थी ::: भीष्म कुकरेती  
 राजा शीलवर्मन ने अशोक शिलालेख के ठीक सामने जगतग्राम नामक स्थान में एक या अधिक अश्वमेध यज्ञ किये थे।  यज्ञ हेतु उसने गरुडाकार बलि वेदियां बनायीं थीं जिनकी ईंटों पर निम्न अभिलेख अंकित हैं (सरकार सलेक्टेड इंस्क्रिप्सन vol 1 पृष्ठ 99 ) -
१- सिद्धम , युगेश्वरस्याश्वमेधे युगशैलमहीपते 
इष्टका वार्षगणस्य नृपतेशीलवर्मण 
२- नृपतेर्वाषगणस्य पोण षष्ठस्य धीमत:
 चतुर्थस्याश्वमेधस्य चित्यो  यं शीलवर्मण 
उपरोक्त इष्टा लेख से निम्न तथ्य सामने आते हैं -
 अ -राजा शीलवर्मन वार्षगण्य गोत्र में पैदा हुआ था 
ब = युगशैल या तो राजधानी थी या शासित प्रदेश का नाम था। 
स - पोण शीलवर्मन का छटा पूर्व पुरुष था 
ध - शीलवर्मन ने इससे पहले तीन अश्वमेध यज्ञ किये थे और एक तो जगतग्राम में सम्पन हुआ था। 
             वार्षगणस्य गोत्र 
 वार्षगणस्य गोत्र उत्तराखंड में नहीं मिलते हैं।  महाभारत अनुसार वार्षगण एक प्राचीन ऋषि थे जो सांख्य व योग गुरु थे।  सांख्य व योग ग्रंथों में वार्षगण का नाम आदर से लिया गया है।  वार्षगण का समय दूसरी सदी का माना जा सकता है। शीलवर्मन छटी पीढ़ी का पुरुष है तो शीलवर्मन का काल तीसरी सदी का माना जा सकता है। 
     शीलवर्मन का काल तीसरी सदी के ही समय में यमुना घाटी में सेन बर्मन ने यदुवंश की स्थापना की थी। लाखामंडल में राजकुमारी ईश्वरा लेख में जिन 12 राजाओं के नाम मिले हैं।  किन्तु सरकार व राम चंद्रन इतिहासकार इसे एक ही राजा नहीं मानते हैं। 
                      पोण 
           शीलवर्मन पोण की छटी पीढ़ी में पैदा हुआ था।  पोण को शीलवर्मन का वंश संस्थापक मान सकते हैं। किन्तु पोण के विषय में कोई अन्य सूचना उपलब्ध नहीं है।  हर्षचरित का पौण /पौणकि के भी संबंध स्थापित नहीं होते हैं। 
  शीलवर्मन से पहले चार वंशक भी अज्ञात ही हैं। समुद्रगुप्त से पहले छत्रेश्वर , भानु , रावण, शिवभवानी को शीलवर्मन के पूर्वज व इन्हे पोण उत्तराधिकारी मानने हेतु कोई प्रमाण नहीं उपलब्ध हैं। शिव भवानी पररवर्ती शासक था या शीलवर्मन पूर्वर्ती था पर भी एकमत नहीं हुआ जा सकता है।  

          अश्वमेध यज्ञकर्ता नृप होने से शीलवर्मन का हरिद्वार व पूर्वी सहारनपुर पर शासन होना तर्कसंगत है किन्तु बिजनौर पर तब किसका शासन था अज्ञात ही है।  क्या तब बिजनौर पर मित्र वंशियों का शासन था पर चर्चा अगले अध्याय में की जायेगी।




Copyright@
 Bhishma Kukreti  Mumbai, India  2018 
   History of Haridwar, Bijnor, Saharanpur  to be continued Part  --

 हरिद्वार,  बिजनौर , सहारनपुर का आदिकाल से सन 1947 तक इतिहास  to be continued -भाग -



      Ancient History of Kankhal, Haridwar, Uttarakhand ;   Ancient History of Har ki Paidi Haridwar, Uttarakhand ;   Ancient History of Jwalapur Haridwar, Uttarakhand ;   Ancient  History of Telpura Haridwar, Uttarakhand  ;   Ancient  History of Sakrauda Haridwar, Uttarakhand ;   Ancient  History of Bhagwanpur Haridwar, Uttarakhand ;   Ancient   History of Roorkee, Haridwar, Uttarakhand  ;  Ancient History of Jhabarera Haridwar, Uttarakhand  ;   Ancient History of Manglaur Haridwar, Uttarakhand ;   Ancient  History of Laksar; Haridwar, Uttarakhand ;     Ancient History of Sultanpur,  Haridwar, Uttarakhand ;     Ancient  History of Pathri Haridwar, Uttarakhand ;    Ancient History of Landhaur Haridwar, Uttarakhand ;   Ancient History of Bahdarabad, Uttarakhand ; Haridwar;      History of Narsan Haridwar, Uttarakhand ;    Ancient History of Bijnor;   seohara , Bijnor History Ancient  History of Nazibabad Bijnor ;    Ancient History of Saharanpur;   Ancient  History of Nakur , Saharanpur;    Ancient   History of Deoband, Saharanpur;     Ancient  History of Badhsharbaugh , Saharanpur;   Ancient Saharanpur History,     Ancient Bijnor History;
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