Bhanu King of Kuninda Period of Haridwar, Bijnor, Saharanpu
Kunind King Bhanu Ancient History of Haridwar, History Bijnor, Saharanpur History Part -
Copyright@ Bhishma Kukreti Mumbai, India 2018
History of Haridwar, Bijnor, Saharanpur to be continued Part --
हरिद्वार, बिजनौर , सहारनपुर का आदिकाल से सन 1947 तक इतिहास to be continued -भाग -
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Kunind King Bhanu Ancient History of Haridwar, History Bijnor, Saharanpur History Part -
हरिद्वार इतिहास , बिजनौर इतिहास , सहारनपुर इतिहास -आदिकाल से सन 1947 तक-भाग -
इतिहास विद्यार्थी ::: भीष्म कुकरेती
शिव प्रसाद डबराल अनुसार भैड़गाँव , डाडामंडी शीला पट्टी , पौड़ी गढ़वाल में मिलीं हैं जिनपर मुद्रालेख नहीं हैं ( डबराल भाग ३ , पृष्ठ 257 ) . डबराल प्रदत्त भैड़गाँव से प्राप्त कुणिंद मुद्राओं का विवरण इस प्रकार है -
१- भैड़गाँव से प्राप्त मुद्रा पर अगर भाग में दाहिने हाथ में शुलयुक्त षडानन कार्तिकेय है। कार्तिकेय का बांया हाथ कमर पर है। पृष्ठ भाग में देतीन सिर वाली देवी दाहिना हाथ उठाये तथा बायां हाथ कमर पर लगाए खड़ी है। परिधि को बिंदुओं से सजाया गया है। दाहनी ओर ब्राह्मी लिपि में 'वि ' अंकित है
२- जिन मुद्राओं में पूर्ववर्ती कुनिन्फ मुद्राओं सामान मृग चित्रण है उन भैड़गाँव की मुद्राओं में मृग चित्रण में विविधता लाने का प्रयत्न किया गया है। डा काला द्वारा प्रकाशित चित्रों में तीन मुद्राओं में मृग मुख दाहनी ओर और पांच मुद्राओं में मृग मुख बायीं ओर है।
३- भैड़गाँव निधि मुद्राओं में जिनमे पूर्ववर्ती मुद्राओं जैसे चित्रांकन हैं उनमे विविधता लाने की कोशिश की गयी है।
३- भैड़गाँव निधि मुद्राओं में जिनमे पूर्ववर्ती मुद्राओं जैसे चित्रांकन हैं उनमे विविधता लाने की कोशिश की गयी है।
भानु -
भानु के बारे में अधिक जानकारी नहीं है। भानु ने किस क्षेत्र में शासन किया भी अविदित है।
भैड़गाँव में लोगों ने मुद्राएं भूत भी से घाटियों में गिरा दिए थे। कनिघम व ऐलन ने भानु की एक मुद्रा प्रकाशित की है। भैड़गाँव निधि में 25 मुद्राएं भानु की हैं।
भानु मुद्रा मिलने के क्षेत्र
भानु मुद्राएं बेहट , देहरादून ,और भैड़गाँव में मिली हैं। यमुना पूर्व में भानु शासन था सिद्ध होता है किन्तु पहाड़ी उत्तराखंड , हरिद्वार , बिजनौर का कितना क्षेत्र भानु शासन अंतर्गत था बताना कठिन है। कनिंघम ने इस भानु को आडमब्र नरेश सिद्ध करने का प्रयास किया परन्तु काल, पीरियड टाइम अनुसार यह सिद्धांत सही नहीं बैठता है।
कनिंघम , ऐलन और डा सतीश काला ने जिन भानु मुद्राओं के चित्रांकन व् लेखों अध्ध्य्यन किया है उनका विवरण इस प्रकार है -
1 - अग्रभाग में नाग तथा ब्राह्मी लेख भानु वर्मा पृष्ठभाग में हिस्सा त्रिशूल ही दिखता है।
२- अग्रभाग में भानव , पृष्ठ भाग में त्रिशूल व ध्वज
३-अग्रभाग में ब्राह्मी में 'रांयन् भानव ' पृष्ठभाग में षडानन कार्तिकेय व त्रिशूलधारी शिव
४- अग्रभाग में ब्राह्मी में भानवस्य व पृष्ठभाग में अस्पस्ट चित्रण
भानु शसन काल
कनिंघम आदि अनुसार भानु मुद्राओं पर कुषाण प्रभाव पाया गया है। इसका अर्थ है भानु छत्रेश्वर का समकालीन न था. इसमें संदेह नहीं कि भानु रावण से पूर्ववर्ती था व वासुदेव कुषाण
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