Laws for Tourism Development in Tehri Riyasat
( ब्रिटिश युग में उत्तराखंड मेडिकल टूरिज्म )
-
उत्तराखंड में मेडिकल टूरिज्म विकास विपणन (पर्यटन इतिहास ) -66
-
Medical Tourism Development in Uttarakhand (Tourism History ) - 66
(Tourism and Hospitality Marketing Management in Garhwal, Kumaon and Haridwar series--170) उत्तराखंड में पर्यटन व आतिथ्य विपणन प्रबंधन -भाग 170
टिहरी रियासत काल 1816 -1948 तक को अधिकतर जन शोषण काल माना जाता है किन्तु टिहरी रियासत काल में सुचारु उत्तराखंड पर्यटन हेतु कई पग भी उठाये गए थे।
मोटर मार्ग
1937 -38 में ऋषिकेश से देवप्रयाग मोटर मार्ग निर्मित हुआ पीछे इस मार्ग का कीर्तिनगर तक विस्तार विटार किया गया
1921 में ऋषिकेश से नरेंद्र नगर मोटर मार्ग का कार्य प्रारम्भ हुआ पीछे मोटर मार्ग टिहरी तक पंहुचाया गया।
मानवेन्द्र शाह काल में टिहरी से धरासू तक मोटर मार्ग निर्मित हुआ।
1940 में टिहरी रियासत में निम्न मुख्य मार्ग थे -
ऋषिकेश नरेंद्र नगर मोटर मार्ग-53 मील
ऋषिकेश देवप्रयाग -कीर्तिनगर मोटर मार्ग -63 मील
टिहरी मसूरी अश्व मार्ग -40 मील
अन्य कच्ची सड़कें 844 मील
राज्य बंगले
टिहरी रियासत के राजकीय बंगले - कौड़िया , धनोल्टी , पौ , डांगचौरा , धरासू , नाकुरी बड़ाहाट , भटवाड़ी , हरसिल , जांगला , देवलसारी , मगरा , बड़कोट ,पुरोला , बडियार , फाकोट , नागणी , चमुवा , टिहरी , प्रताप नगर , नरेंद्र नगर और कीर्ति नगर में थे।
जनता द्वारा मार्ग निर्माण
अधिकतर मार्ग निर्माण जनता द्वारा ही किये जाते थे।
टिहरी में नाट्य गृह
टिहरी में एक नाट्य गृह भी निर्मित किया गया जहां नाटक व सांस्कृतिक प्रोग्रैम होते थे। पांच सखा के गढ़वाली नाटक पाखो का मंचन इसी नाट्यगृह में हुआ था।
देव प्रयाग में पाठशालाएं
भवानी शाह काल में 1860 में हिंदी व संस्कृत पाठशालाएं खोली गयीं जो आतंरिक पर्यटन हेतु लाभकारी था।
गंगाजल विक्रय
भवानी शाह ने गंगोत्री के गंगा जल विक्रय हेतु ठेके की प्रथा प्रारम्भ क।
भवानी शाह ने कतिपय मंदिरों का जीर्णोद्धार किया व एक दो नए मंदिर भी निर्मित किये व राजप्रासाद भी निर्मित किये।
प्रताप शाह काल 1871 -1886
प्रताप शाह ो भवन निर्माण का शौक था। टिहरी में मोटर चलने लायक सड़कें बनवायीं।
टिहरी में चिकित्सालय
प्रताप शाह ने टिहरी में चिकित्सालय बनवाया जहां राजवैद्य रवि दत्त व यूरोपियन पद्धति के डा हरिराम भारतीय चिकित्स्क थे।
प्रताप नगर की स्थापना
प्रताप शाह ने टिहरी से 9 मील की दूरी पर 7 हजार फ़ीट की ऊंचाई पर 1877 में प्रताप नगर बसाया। जहां कई उद्यान व भवन निर्मित हुए। टिहरी से प्रताप नगर तक मार्ग चौड़ा किया गया।
टिहरी रियासत में शिकार पर्यटन
भवानी शाह व सुदर्शन शाह अंग्रेज भक्त थे और इस भक्ति प्रदर्शन हेतु कई अंग्रेजों जैसे विल्सन हंटर को शिकार खेलने की इजाजत दे दी थी। इस दौरान सैकड़ों वन्य जंतु मारे गए। 1935 में वन्य जीवन धिनियम से शिकार खेलने पर प्रतिबंध तो नहीं लगा किन्तु कुछ वन सुरक्षित क्षेत्र घोषित किये गए।
चट्टी तंत्र
गुप्तकाशी या मंदाकिनी घाटी से गंगोत्री -जमनोत्री यात्रा मार्ग व ऋषिकेश -यमनोत्री यात्रा मार्ग पर तीन चार मील पर चट्टियां थीं। केदार सिंह फोनिया ने अपनी उत्तराखंड पर्यटन पुस्तक में इन चट्टियों का विस्तार से वर्णन किया है
Copyright @ Bhishma Kukreti 8 /4 //2018
1 -भीष्म कुकरेती, 2006 -2007 , उत्तरांचल में पर्यटन विपणन परिकल्पना , शैलवाणी (150 अंकों में ) , कोटद्वार , गढ़वाल
Medical Tourism History Uttarakhand, India , South Asia; Medical Tourism History of Pauri Garhwal, Uttarakhand, India , South Asia; Medical Tourism History Chamoli Garhwal, Uttarakhand, India , South Asia; Medical Tourism History Rudraprayag Garhwal, Uttarakhand, India , South Asia; Medical Tourism History Tehri Garhwal , Uttarakhand, India , South Asia; Medical Tourism History Uttarkashi, Uttarakhand, India , South Asia; Medical Tourism History Dehradun, Uttarakhand, India , South Asia; Medical Tourism History Haridwar , Uttarakhand, India , South Asia; MedicalTourism History Udham Singh Nagar Kumaon, Uttarakhand, India , South Asia; Medical Tourism History Nainital Kumaon, Uttarakhand, India , South Asia; Medical Tourism History Almora, Kumaon, Uttarakhand, India , South Asia; Medical Tourism History Champawat Kumaon, Uttarakhand, India , South Asia; Medical Tourism History Pithoragarh Kumaon, Uttarakhand, India , South Asia;
1 -भीष्म कुकरेती, 2006 -2007 , उत्तरांचल में पर्यटन विपणन
2 - भीष्म कुकरेती , 2013 उत्तराखंड में पर्यटन व आतिथ्य विपणन प्रबंधन , इंटरनेट श्रृंखला जारी
3 - शिव प्रसाद डबराल , उत्तराखंड का इतिहास part -6
-
No comments:
Post a Comment
आपका बहुत बहुत धन्यवाद
Thanks for your comments