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उत्तराखंडी ई-पत्रिका

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Wednesday, November 14, 2012

गढ़वळिम ऐस ऐम. ऐस (SMS ) साहित्य

 गढ़वळिम ऐस ऐम. ऐस (SMS ) साहित्य
                            बटोळन्देर अर बोल बचन- भीष्म कुकरेती

मोबाइल कु दगड एस.एम्.एस या ( शौर्ट मेसेज सर्विस ) बि आई. अर आज ऐस ऐम. ऐस हाम्रो जिन्दगी क एक हिसा च. आज दुनिया मा द्वी लाख प्रति सेकेण्ड से जादा ऐस ऐम. ऐस भिजे जान्दन.

गढ़वळिम बि ऐस ऐम. ऐस साहित्य खूब् प्रचलित होणु च जु गढ़वळि भाषा बान एक भलि बात च।
कुछ ऐस ऐम. ऐस मीन इन्टरनेट साईट मेरापहाड़ डौट कौम बिटेन टीपेन. यि ऐस ऐम. ऐस गढवळी साहित्यौ बान एक सौगात छन
अब तलक गढ़वळिम छै किसमौ ऐस ऐम. ऐस दिखे गेन

- नयो सालौ ऐस ऐम. ऐस

जै हो माराज
जी रयाँ, जाग रयाँ
भला दिन भला मॉस दिखणा रयाँ
भलो देख्यां , भला सुण्या
सौ साल जियां
भौत भलो ह्वेन तुमार ड़्यार
तुमारो घर द्वार खुसियुं बहार राओ
भलो बाटु देख्यां
बस यो इ दुआ च माराज !
२- बगदा पाणी कैन रोकि
नि रोकि सकदा तुम , ना माछा को जाळ
चखुला बि उड़ी जाला
सि ढुंढल नयो डाळ
पुराणो साल बि चलि ग्याई
मुबारक ह्वाओ सब्युं तै नयो साल

- हंसण हंसाण वाळऐस ऐम. ऐस

क्वादों रुट्टी, कण्डाळी क साग
क्वादों रुट्टी, कण्डाळी क साग
वाह वाह
जु ऐस ऐम. ऐस नि कारल
वैको मोबाइल पर लागल आग
ब- अच्काल ब्व़े नौन्यालूं तै कन सिवाळदि --
से जा रे से जा रे, अब त भूत बि से गे होला.

स-
त्यारो हाथ मा
मोबाइल च
मुखड़ी मा बुरांस सि
स्माइल च
एस .एम.एस कि अच्छी खासी
फाइल च
फिर बि
एस .एम.एस नि करदा
यार यू कनो
स्टुपिड स्टाइल च ?

ड़-
मास्टर जी- हे घ्याळु ! जरा बता उत्तराखंड मा कथगा बाँध छन ?
घ्याळु - जी मासाब- एक त छकना बांद, हैंकि फुरकी बांद अर तीसरी माया बांद ..

इ-
मासाब- अबे नर्पतु आज देर किलै ह्वाई रै ?
नर्पतु- मासाब आज सुबेर ब्व़े बाब मा झगड़ा राई चलणु
मासाब- त याँ मा अबेर कु क्या रिश्ता?
नर्पतु- उ क्या च म्यार के जुत बुबा मा छौ अर एक जुत ब्व़े क हथ मा छौ
कुछ मजेदार हौर ऐस एम ऐस

1- जब अलु कुणि फोन आंदो त वैक जबाब क्या हूंदो ?
अलो आलू

2- बद्रिनाथम एक होटलम एक गाहकन बैरा कुणि रुसेक ब्वाल, " ये बैरा ! क्या बै मि तै सरा रात भूकि बैठण पोड़ल ?"
"नै साब ! हम पुट्ट नौ बजि होटल बंद करदवां .." बैराको जबाब थौ

३- चेतना जगाण वाळ ऐस ऐम. ऐस

अ-
आज हिमला रैबार दीणु च
जाग जाग म्यारो लाल
नि करण द्याओ हमारी नीलामी
नि करण द्याओ हमारो हलाल

ब-
जाग जाग हे उत्तराखंडी
हे ! नरसिंग, भैरों बजरंगी
जाग जाग हे पर्वत नारी
धौर काली को रूप प्रचंड
जय भारत , जय उत्तराखंड

४- व्यंगात्मक ऐस ऐम. ऐस

कमाल का त्यार नखरा छन
अजब त्यारा स्टाइल छन
भलि तेरी स्माइल च
अर अळग मा सुपर हेयर स्टाइल च
नाक पुंजणो सवर त नी च
पण हाथ मा मोबाइल च

5- साहित्यिण्या चर्चा लैक ऐस ऐम ऐस

गढ़वळि साहित्यकार वीरेन्द्र पंवार न खबर सार मा एक दै ऐस ऐम. ऐस मा गढ़वळि साहित्यौ चर्चा बिरतांत दे छौ. श छाळी (शुद्ध ) गढ़वाळी बाराम भग्यान संतराम मैखुरी , डा राजेश्वर उनियाल, पूरण पन्त भीष्म कुकरेती, राजेश शर्मा, प्रकाश पांथरी , रमण कुकरेती न भाग ले छौ

6- रैबार भिजणो ऐस ऐम ऐस

साहित्यिक हिसाब से भीष्म कुकरेतीन चिट्ठी पत्री अर उत्तराखंड खबर सारौ क विशेषांको बान गढ़वाली साहित्यकारों तैं कथगा इ दें ऐस ऐम ऐस भेजिन

यूँ उदारणो से साफ पता चल्दो कि गढवळि ऐस ऐम. ऐस साहित्य प्रगति पर च अर भोळ गढवळि ऐस ऐम. ऐस साहित्य मा तरं तरां क रस अर छंद आला .

सन्दर्भ व अभार
भीष्म कुकरेती

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