गढ़वाली
हास्य व्यंग्य
चबोड़ इ
चबोड़ मा
अमेरिका
कुणि बक्कि
बनि चिंता अर
चीनौ तरफ ध्यान
इ नी
चबोड्या
: भीष्म
कुकरेती
अमेरिका
मा कै मौ क इख
जरा एक घंटा
बिजली गे अर एक
घंटा
अन्ध्य्रर
रावु त हमारा
टीवी न्यूज चैनेल
सुबर बिटेन
स्याम तलक
किराणा रौंदन, लोगुं
तै डराणा
रौंदन बल हे
मेरी ब्वे
अमेरिका मा
फलणो ड्यार
सरकारै गल्ति
से एक घंटा
अन्ध्यरू राइ
अर यूं खबरों
स्पोंसर होंदन
क्वी इनवर्टर
ब्रैंड या
जनरेटर कम्पनी।
अमेरिका
मा क्वी गाड
भोरे जांद अर
एकाद डाळौ ग्वाळ
तलक पाणि ऐ
जाओ त हमर
देसौ पत्रकार
इन फिकरमंद
ह्वे जांदन जन
बुल्यां
जमुना मा बाढ़
ऐ गे ह्वे धौं ! खबर
नबीस यीं खबर
तै भारतीय जन
मानसौ मध्य इन
सौरांदन कि
छ्वटा छ्वटा
नौन्याळो तै
बि ये अमेरिकी
गाड कु नाम
याद ह्वे जांद
.
जब पच्छमी
यूरोप मा कै
छ्वटु सि गदन
मा गंदगी से
सड्याण आवो त
हमारा इखाक
खबर्या
भारतीय लोगु
तै इथगा घबरै
दीन्दन, इथगा डराई
दीन्दन कि
गंगा प्रदूषण
हटाण वळा सरकारी
इंजिनियर बीस
दिनों की सिक
लीव ले लीन्दन
अर बिमारी
डौरन गंगा
प्रदूषण हटाण
वळा ठेकेदार
अर कर्मचारी
काम बंद कौरी
दींदन।
उख
अमेरिका मा
अमेरिकी
राष्ट्रपति
एक मिनट कम
स्याओ त
भारतीय
राष्ट्रीय
मीडिया इ ना
रीजनल मीडिया
बि घांडी घंडल
बजै घ्याळ
करदन कि अमेरिकी
राष्ट्रपति क
नीदै कमि पूरि
करणों बान सरकारी
बाबु अर
अधिकारी दिन
मा इ औफ़िस मा इ
सीण बिसे
जान्दन।
रूप्या क
मुकाबला डौलर
को उतार चढ़ाव
की खबर त भारतीय
खबरची सुबर से
स्याम तलक
चौबीस घंटा इन
तरे से दीन्दन
कि भारतीय ब्यापारी
स्विस बैंक की
पूजा मा रात
दिन व्यस्त
ह्वे जांदन .
यु ठीक च
बल अमेरिकी अर
यूरोप की
आर्थिक , सामाजिक, राजनैतिक, रोजगारै
स्तिथि
भारतीय
सामजिक, आर्थिक, राजनैतिक
, रोजगारै
तै प्रभावित
करदी अर हम
भारितीयों तै
अमेरिकी अर
यूरोप की
आर्थिक , सामाजिक, राजनैतिक, रोजगारै
स्तिथि बारा
मा टक्क लगैक
चित्वळ हूण
जरुरी च . अमेरिका
अर यूरोप की
राजनैतिक फेर
बदल से हमारी
स्तिथि मा बि
बदलाव ऐ जांदो
त भारतीयों तै
अमेरिका अर
यूरोप की
जानकारी हूणि
चयेंद .
पण एक बात
बथावदी जब
क्वी दूर
दाराजों दुसर
गां बारा मा त
चित्वळ रावो, दुसर
गां क
समस्याओं से
फिकरमंद
ह्वाओ, दूर हैंको
गां मा क्या
क्या हूणु च
की सौब खबर कट्ठा
कारो अर अपण
ख्वाळम अपण
पड़ोसी क इख
क्या होणु च
को बारा मा
अज्ञानी
ह्वाओ , पड़ोसी क
हालात क बारा
मा चित्वळ नि
ह्वाओ त इन आदिमौ
कुणि क्या
बुलली ? बेवकूफ इ
बोलिलि कि ना ? कि जब
क्वी मनिख मा
दूरौ गां मा
कैक ड्यार क्या
क्या पकणु च
की त खबर
ह्वाओ पण
पड़ोसी भूकू च
तिसा च या अघळ
चकी क्वी खबर
नि ह्वाओ त इन
मनिख तै मूर्ख, लाटो , फुलिश, बेवकूफ
इ बुले जालो
कि ना ?
चीन हमारो
पड़ोसी देस च . हमर
बान हरेक
दृष्टि - सामजिक, ब्यापारिक
, राजनैतिक, आर्थिक
, रोजगारौ
, सामरिक
की दृष्टि से
महत्वपूर्ण
च। इख तलक कि चीन
की मौजूदा
भौगोलिक अर
औद्योगिक
स्तिथि भारत
तै हर समौ
प्रभावित
करणी रौंदी अर
हमारो मीडिया, हमारा
बुद्धिजीवी
चीन का मामला
मा तकरीबन सियां
रौंदन .
सन बौसठ मा
हमन मार इलै इ
खाइ कि हम
निर्गुट
सम्मेलन , रूस
अमेरिका
संबंधों बारा
मा , अमेरिका
अर यूरोप का
हेरक गांकी
पंचैत को बारा
मा गणित त
बैठाणा
रौंवां पण अपण
ख़ासम ख़ास पड़ोसी
चीन की
राजनीति का
बारा मा
अनभिग्य
रौंवां अर जब
चीनन हम पर
हमला कार तब
तलक देर ह्वे
गे छे।
आज आर्थिक
उन्नति, रोजगारौ
उन्नति, शैक्षणिक
व्यवस्था , आयात -निर्यात
का मामला , विदेश
नीति क मामला
मा चीन हम
कुणि अमेरिका
अर यूरोप से
जादा
महत्वपूर्ण च
पण हम सौब
सिंयां छंवां।
ओबामा
जीतल या रौनी -टौमी
जीतल की चिंता
त हम भारतीयों
तै छें च पण हम
लोगु तै फिकर
इ नी च कि चीन
का मा
राष्ट्रपति
हू जिंताओ अर
सरा
कम्युनिस्ट
पार्टी चीन की
शक्ति युवा
लोगु तै दीण
वाळ च .
यूरोप मा
कु देस यूरो
यूनियन से खुस
च का बारा मा त
हम आम जनता
बनि बनि छ्वीं
लगौंदा पण हम
आम मनिख
निस्फिकर सि
छौंवां बल
निकट भविष्य
मा चीन मा
मिलट्री , ब्यूरोक्रेसी
, नेत्रित्व
माँ एक बडो
फेर बदल हूण
वाळ च अर चीन
को यों भारी
बदलाव भारत की
अर्थनीति , सामरिक
नीति , रोजगार
नीति, आयत -निर्यात
नीति पर
प्रभाव डळण
वाळ इ होली . इन
मा हमारो
सामजिक
कर्तव्य च कि
हम आम लोग चीन
तै ठीक समजणो
बान तरकीव
लवां अर चीन
की हरेक गतिविधि
बारा मा सचेत
रौंवां।सरकार
अर समाज एकी
होंद त जु
समाज
चीनोनमुखी
ह्वालो त
सरकार तै चीनौ
दगड़ संबंध
बढ़ाण-घटाण मा
सुविधा होलि.
आज जरुरात
च कि हमारा
समाचार
एजेंसी चीनोनमुखी
समाचारों से
आम आदमियों तै
अवगत काराव . आज
जरुरात च कि
आम भारतीय बि
चीन की खबरों
मा ध्यान
द्याव अर चीन
क बारा म जादा
से जादा जानकारी
हासिल कारो।
चीन हमारा
महत्वपूर्ण
पड़ोसी च अर
हमारो सामजिक
कर्तव्य च कि
हम चीन का बारा
मा उथगा इ
संवेदनशील
होवाँ जथगा हम
अमेरिका अर
यूरोप का बारा
मा संवेदनशील
छौंवां . या
चीन
संवेदन्शीलता
समय की मांग च, समय
की भारी जरुरत
च अर सामजिक
उत्तरदायित्व
बि च .
Copyright@ Bhishma Kukreti 4/11/2012
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आपका बहुत बहुत धन्यवाद
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