Kanishka Ruling over Central Asia
कनिष्क का मध्य एशिया पर अधिकार (हरिद्वार , बिजनौर , सहारनपुर इतिहास संदर्भ )
Ancient History of Haridwar, History Bijnor, Saharanpur History Part - 172
हरिद्वार इतिहास , बिजनौर इतिहास , सहारनपुर इतिहास -आदिकाल से सन 1947 तक-भाग - 172
इतिहास विद्यार्थी ::: भीष्म कुकरेती
ख्वारेज्म की खुदाई सिद्ध करती है कि (क्रिब जे आदि के अन्वेशनयुक्त लेख ) कनिष्क का साम्राज्य मध्य एशिया में वर्तमान उज़्बेकिस्तान व तजकिस्तान तक प्रसारित था। कनिष्क ने अपनी पूर्वज भूमि तारिम पर चाहा तो चीन की सेना से युद्ध करना पड़ा और वह हार गया व चीन सम्राट का करद (सम्राट को कर देने वाल राजा ) बनने हेतु तयार हो गया था।
कुछ समय पश्चात कनिष्क ने अपनी सेना को पुष्ट किया और तरिम पर आक्रमण कर उसे जीत लिया व साथ में चीनी राजकुमारों को अपने साथ ले गया। पंजाब में इन चीनी राजकुमारों के निर्वाहन हेतु उसने पंजाब की चिनियारी प्रदेश को निर्धारित किया और चिंयारी की आय से चीनी राजकुमारों का निर्वाह चलता रहा।
कहा जाता है कि चीनी राजकुमारों ने यहां नाशपाती , आड़ू के पौधे मंगाकर इनकी फसल की शुरुवात की। (घृष्मैन , ईरान -पृष्ठ २८६ )
ख्वारेजम के रेगिस्तान कनिष्क -कुषाण वंश के नगरों के ध्वंस मिले हैं। इसीलिए ईशा की आरम्भिक तीन सदियों को कुशाण संस्कृति नाम दिया गया है।
Copyright@ Bhishma Kukreti Mumbai, India 1/ 5/2016
History of Haridwar, Bijnor, Saharanpur to be continued Part --173
हरिद्वार, बिजनौर , सहारनपुर का आदिकाल से सन 1947 तक इतिहास to be continued -भाग -173
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