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उत्तराखंडी ई-पत्रिका

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Sunday, May 26, 2013

भगवान की राक्षसों तैं धरती पर भिजणै असमर्थता

गढ़वाली हास्य -व्यंग्य 
 सौज सौज मा मजाक मसखरी 
   हौंस,चबोड़,चखन्यौ     
    सौज सौज मा गंभीर चर्चा ,छ्वीं   

                         भगवान  की राक्षसों तैं धरती पर भिजणै असमर्थता 

                               चबोड़्या - चखन्यौर्या: भीष्म कुकरेती (s = आधी अ ) 
साबि राक्षस पुळयाण्या छया, खुश हूणा छया, खितखिताणा छया, कमरतोड़ नाच करणा छया, अट्टाहसी  गाणा छया, आपसम मजाक मसखरी करणा छया अर सबि भगवानौ दरबार जिना भागणा छया।
साबि - समनैन भगवन ! तुमारि छाया बणी रै, हमकुण तुमारि दया का द्वार खुल्याँ रैन, हमर वास्ता तुमर आशीर्वाद का अणसाळ जगणो रावु माराज!
भगवन - आज क्या बात सबि रागस इकदड़ि अर इख?
एक रागस - भगवन ! अदा  कळजुग बीति गे अर आपन वादा करि छौ कि अदा कळजुग बितणो उपरांत सबि रागसों तैं इकै कौरि पृथ्वीलोक भिजे जालो। अदा कळजुग कबौ बीति गे अब हम तैं पृथ्वी लोक भ्याजो!
भगवान - पृथ्वी लोक जाणै बड़ी इच्छा हूणि च?
सबि रागस - हाँ ! भगवन !
भगवान -चलो मि तुम तें भारतलोक का दृश्य दिखांदो अर फिर जु तुमारि इच्छा होलि त तुम तैं इकै कौरि समय समय पर भारतलोक भिजे जालो।
सबि - सही वचन प्रभु 
भगवन - हाँ भै अर्थासुर ! तीन पृथ्वीलोक मा जैक क्या पाप करण छौ?
अर्थाअसुर - मीन जखम  जखम  हम शत्रु दिवतौं राज ह्वावो उखम  उखम  आर्थिक गुळादंगी करण छौ जाँ से हमर शत्रु की आर्थिक दशा खराब ह्वे जावो, शत्रुवों की आर्थिक दशा  लुंज तहस  नहस ह्वे जावो अर फिर दस्युराज तैं देवशत्रुओं तैं जितण भौति सरल ह्वे जावो। मेरो मकसद सिरफ़ अपण शत्रु क आर्थिक दशा बिगाड़णो रालो   
भगवन - ले देख भारतलोक मा क्या क्या होणु च?
अर्थासुर - हैं हैं ! भगवन ! यि क्या ! भारत मा कथगा क्या हजारो धनपति अपण धनभंडार भरणो खातिर जोर शोर से बलपूर्वक अपण देस की आर्थिक दसा खराब करणा छन अर दुसमन देश की आर्थिक दसा सुधारणम शत्रु  देस की मौ मदद करणा छन।        
भगवन -हे आळीजाळी असुर त्यरो ध्येय पृथ्वीलोक मा जाणो क्या छौ?
आळीजाळी असुर- भगवन अपण दुश्मन दिवतौं राज मा आळीजाळी फैलाण।
भगवन - ले देख ! भारतम क्या हूणु च!
आळीजाळी  असुर-  हैं ! भगवन ! भारतवासी त अपण ही देस मा आळीजाळी फैलाणा छन।
भगवन - हाँ भै पर्यावरण शत्रु असुर ! तू किलै पृथ्वी लोक जाण चाणी छे ?
पर्यावरण शत्रु असुर- पर्यावरण बिगाड़नो कुण अर क्याँकुण?
भगवन - ले जरा भारत दर्शन इखि बिटेन कौर!
पर्यावरण शत्रु असुर- हैं इ क्या हरेक  भारतीय, हर समय अफिक अपण पर्यावरणो छ्त्यानाश करणु  च।  
भगवन -हाँ भै कंस तू किलै भारतलोक जाण चाणु छे?
कंस -भगवन अपणी रक्षा हेतु भ्रूण हत्या करणों मि भारतलोक जाण चाणु छौं।
भगवन - जरा देख त सै भारत जिना!
कंस - ये मेरि ब्वे ! भारत मा पुत्री भ्रूण हत्या बान नर्सिंग होम नाम का छद्म भेषी चिकित्सालय  खुल्याँ छन  
भगवन - हाँ भै रावण तेरो मकसद छौ कि स्त्री तैं ब्ल्पूव्क उठावो अर फिर स्त्री की इच्छा से वीं स्त्री तैं अपण पटरानी बणा। जरा देख त सै उख भारत मा क्या हूणु च!
रावण - हैं ! जबरन बलात्कार का मामला मा,  दुनिया भारत को स्थान  तिसरो च। ये मेरि ब्वे !
भगवन - हाँ भै भुखमरी असुर त्यार पृथ्वी मा जाणो क्या उद्देश्य च ?
भुखमरी असुर - पृथ्वी मा भुखमरी अर कुपोषण फैलाणों जाण चाणो छौं।  पण मै दिख्याणु च कि उख भारतम सरकारी लापरवाही से अन्न का भंडार सड़णा छन अर लोग भूखा मरणा छन अर लोग कुपोषण का शिकार हूणा छन।
भगवन - हाँ भै भष्मासुर तू किलै पृथ्वी लोक जाण चाणु छे?
भष्मासुर - मि उख अफु तैं अफिक निपटाणो  मनोरोग प्रसारित करणों जाण चाणु छौं 
भगवन - ले जरा पृथ्वी लोक को नजारा बि देखि लेदि 
भष्मासुर - हैं ! दुनिया भर का देशों मा इथगा विनाशकारी हथियारों जखीरा छन कि केदिन पृथ्वीन मिनटों मा ख़ाक ह्वे जाण 
भगवन - अब तुम सौब राक्षसों क्या राय च ?
सबि रागस - भगवन ! उख त भारतीय ही राक्षस का कार्य सम्पन करणा छन तो हमारि उख क्वी आवश्यकता नी च। जख दोस्त हि दोस्त का घर उजाडो उख दुस्मानो क्या जरूरत? हमकुण भारत विचरण से तो नरकलोक हि भलु च।
भगवन -एक राय मि द्यावदि  बल इन स्थिति मा मि क्या कौरु?
सबि रागस - भारत मा सचेकि देव अर संत भ्याजो। सचेकि हाँ ! निथर उख भारतम त दुराचारी , अनाचारी , अभिमानी , घमंडी, बेइमान , ठग, चोर, कुत्सित मनोदशा का, बलात्कारी, व्यभिचारी , रंगीन आचार विचार का , आळी-जाळी, हत्यारा, हीण कर्मों का   मनिख बि बाबाओं , गुरुओं भेष मा आश्रम चलाणा छन अर ऋषि जात पर धब्बा लगाणा छन   

Copyright @ Bhishma Kukreti  26/05/2013            
(लेख सर्वथा काल्पनिक  है )

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