उत्तराखंडी ई-पत्रिका की गतिविधियाँ ई-मेल पर

Enter your email address:

Delivered by FeedBurner

उत्तराखंडी ई-पत्रिका

उत्तराखंडी ई-पत्रिका

Monday, May 27, 2013

प्रतपनगर का पौराणिक मन्दिर


प्रतापनगर की स्थापना प्रतापशाह ने सन 1897 में की, यहाँ पर एक पौराणिक मंदिर ग्राम खोलगढ़ के बुजुर्गों द्वारा स्थापित था जिसका जीर्णोधार महाराजा प्रतापशाह द्वारा किया गया | यह मंदिर पंचनाम देव का है | इस मंदिर के अन्दर काले संगमरमर की रघुनाथ जी की मूर्ति स्थापित थी जी चोरों द्वारा चुरा ली गयी थी | जिसका कुछ पता नहीं चला | इस मंदिर के पुजारी जोशी ब्रह्मण हैं जिनकी तीसरी पीढी के श्री गिरीशचंद जोशी आज भी मंदिर में पूजा अर्चना करते हैं | मंदिर के अन्दर माँ राजराजेश्वरी की पीतल की मूर्ति थी जो चोरी हो गयी थी | इस वक़्त मंदिर के अन्दर सुर्यनारायण , गणेश जी की मूर्तियां संगमरमर की मौजूद है साथ ही मंदिर के अन्दर एक शिवलिंग भी संगमरमर का मौजूद है | इस मंदिर के पुजारी श्री जोशी अल्मोडा के झिझाड गाँव से राजा प्रतापशाह ने ला रखे हैं| पुजारी श्री जोशी के अन्य भाई पुरानी टिहरी के मंदिरों के पुजारी थे | राजा इनको प्रतिमाह राशन , पूजा सामग्री एवं वेतन दिया करते थे इनके रहने के लिए मकान मंदिर के पास ही है | पुरानी टिहरी डूबने के बाद इस मंदिर के पुजारी को लगभग 8 बर्षों से कोए सहायता नहीं मिल पायी स्वयं के प्रयास एवं कमाई से जोशी जी पूजा अर्चना की सामग्री की व्यवस्था करते हैं | मंदिर में आय का कोए साधन नहीं है ( जिससे मंदिर जीर्ण - शीर्ण हालत में है ) | मंदिर में चरों ओर बरामदा एवं कमरा है बहार ऊपर की ओर दो गुम्बद है जिनपर चददरें मढ़ी है | जगह - जगह चददर उखड गयी है मंदिर के ऊपर दो कलश लगे हैं एक अष्टधातु तथा एक पीतल का है | पीतल के कलश की चमक सोने जैसी है और अभी तक चमकती है | महाराजा ने मंदिर के वन्धान एवं वेतन को बंद न करने का वचन दे रखा था | पुजारी के पूर्वज 12 महीने यहीं रहा करते थे आज भी श्री गिरीशचंद जोशी यहीं 12 महीने रहते हैं | प्रतापनगर का पुराना नाम ठांगधार था यहाँ पर ग्राम पंचायत खोलगढ़ पल्ला की नामशुदा जमीन थी जिसको राजा ने अधिग्रहण कर जमीन के मालिकों को मिश्रवाण गाँव के नीचे तलाउ खेत दिए जिसका नाम आज धारगढ है | जो आज ग्राम पंचायत मिश्रवाण गाँव का हिस्सा है

No comments:

Post a Comment

आपका बहुत बहुत धन्यवाद
Thanks for your comments